कोरोना महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। इस महामारी के दौरान खुद को इससे बचाने और इसकी रोकथाम के लिए सराकारों ने लोगों को घरों में रह कर बचाने की सलहा दी थी। दुनिया के सभी दफ्तर और स्कूल आदि सभी तरह के संस्थान बंद कर दिए गए थे। सभी घरों पर रह कर कार्य कर रहे थे। इस महामारी की वजह से हर किसी को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। ये कहना गलत नहीं होगा की इस बीमारी की वजह से बाहर न निकलने घरों में खुद को बंद करने अपने परिवार आदि से दूर रहने की वजह से लोगों इसका सीधा असर लोगों के मानस्कि स्वास्थय पर पड़ा है। बच्चे हो या बड़े हो टीवी पर हर जगह बीमारी से ग्रस्त लोगों की स्थिति को देख लोगों की मानस्कि स्थिति पर इसका सीधा असर पड़ने लगा था। जिसे सही रखने के लिए लोग कई तरह के कार्य कर रहे थे। जहां परीस्थिति को संभालना बड़ों के लिए कठिन था त बच्चों के लिए तो ये और कठिन हो गया था। पूरे 2 साल बाद स्थिति में थोड़ा सुधआर आया है और स्कूल/ कॉलेज और ऑफिस आदि खुल गए हैं।
हर समय घर में बंद रहने और किताबों में रहने बाहर न जाने और लोगों से न मिल पाने की वजह से बच्चों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ा है। वर्तमान में इस स्थिति को उनके लिए सुधारने और पहले हुए नुकसान से उन्हें उभारने के लिए और अभी के माहौल में सक्रिय बनाने के लिए बहुत से तरीकों को प्रयोग कर सकते हैं। आइए जाने किन तरह से आप अपने बच्चों को वर्तमान समय में सक्षम बना सकते हैं।
कभी- कभी ठीक न होने भी एक तरह से ठीक ही है
हर किसी के जीवन के एक स्थिति ऐसी आती है जब वह भावनाओं के रोल कोस्टर से जुझ रहे होते हैं। हम न खुद समझ पाते हैं और न ही किसी को ठीक तौर पर इस स्थिति के बारे में समझा पाते हैं। लेकिन आपको ये समझना जरूरी है कि जब आपके इमोशन हाई हो तो आपको इसे किसी भी प्रकार से नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ये समस्या को और अधिक बढ़ा सकते है। बच्चों के साथ आपकों भी ये समझने की जरूरत है कि ये एक समान्य स्थिति है जिसे आप बात करके और उन्हें समझा के आसानी से सुलझा सकते हैं। इस परिस्थितियों से कैसे निपटना है बच्चों को ये सिखाया जाना भी आवश्यक है। आपको अपने बच्चों से हमेशा बात करनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की परेशानी में आपके बच्चें आपसे बात कर सकें क्योंकि "कम्युनिक्शन इज द की फॉर ए बेटर रिलेशनशिप"
कोई भी परिस्थिति हमेशा के लिए नहीं होती
बच्चों को ये समझाना बेहद ह आवश्यक है की बुरा समय हमेशा के लिए नहीं रहता है। समय अच्छा हो या बुरा के बीतता जरूर है। तो उन्हें ये समझना जरूरी है की ये समय भी गुजर जाएगा और हर बुरे समय के बाद एक प्रकाश की किरण जरूर आती है जो हमें उस समय से उभारती है। बच्चों के साथा आपको को भी इस समय के लिए आश्वस्त होना होगा क्योंकि यदि आप ही इस बात को नहीं समझ पाए तो बच्चों को कैसे समझा पाएंगे। उन्हें ये समझाना जरूरी है कि हर परिस्थिति का साहस के साथ डटकर सामना करना है।
शिक्षा के लक्ष्यों का निर्धारण
यदि आपका ध्यान शिक्षा कि तरफ रहेगा और अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से मगन रहेंगे तो ऐसी स्थिति में आपका ध्यान इधर उधर की चीजों की वजह से नहीं भटकेगा। यदि आपने शैक्षिक लक्ष्य तय कर रखा है तो आपके लिए फायेमंद साबित हो सकता है। इसी के साथ एक अच्छी निवेश योजना के माध्यम से आप उच्च स्तर की महंगी शिक्षा को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जो आपके बच्चे के भविष्य के लिए काफी अच्छा साबित होगा। निवेश योजना बनाने का मुख्य कारण ये है कि कोई नहीं जानता की आगे आने वाले समय में बच्चे की शिक्षा शिक्षा पर कितना खर्च हो सकता है लेकिन इसके लिए तयारी तो की ही जा सकती है तो एक निवेश योजना बनाने से अंत में आप पर किसी भी प्रकार का भार नहीं पड़ता।
भावनाओं को स्वागत करें
बच्चों का जीवन ऐसा होता है जिसमें समय समय पर आपको भावनाओं का रोल कोस्टर देखने को मिलता है। ये एक दम सामान्य बात है। सबसे ज्यादा ये उतार चढ़ाव आपको उनकी किशोरावस्था में देखने को मिलता है। ऐसी स्थिति में आपको अपने बच्चों के साथ सहानुभूति रखनी होगी और उन्हें आपसे बाते शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा न की दबाव डालना है। अधिक दाबाव महसूस करने पर भी बच्चे आपसे दूरी बनाने लगते हैं। इसलिए आपको ये ध्यान देना है की वह आपसे अपनी इच्छा से बात करें बिना कुछ छिपाएं। इस अवस्था में वह हर बात पर क्रोधित हो सकते हैं, उदास हो सकते हैं और हो सकता है कि आप पर चिल्ला भी दें ऐसे में आप उन्हें स्थिति समझने के लिए थोड़ा समय दें और उनसे प्यार से बात करें। इस स्थिति से निपटने के लिए आप बचपने से ही उनके लिए ऐसा माहौल बनाए कि वह बिना किसी संकोच के आपसे बात करने के आदि रहें। ये सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपके बच्चे ये जानते हो कि आपको उनकी चिंता है और वह आपसे बात कर सकते हैं आप उन्हें किसी भी व्यक्ति कि तुलना में ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं। आपको यहां घैर्य से काम लेना होगा।
मॉर्डन प्रैक्टिस के माध्यम से शिक्षण को बेहतर बनाए
आपने देखा होगा की काफी बच्चे ऐसे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाते हैं स्कूल में अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। काफी बार तो ऐसी स्थिति भी उत्पन्न होगी जहां उनके द्वारा पुछे गए सवालों के जवाब आपके पास नहीं होंगे तो ऐसा होना कोई गलत बात नहीं है आपको इसके लिए सिर्फ उन्हें ईमानदारी से बताना है कि आपको नहीं पाता या चलो साथ मिलकर इसके बारे में पता करते हैं। इसे देख आपका बच्चा आपके साथ मिलकर कार्य करने और पढ़ने में दिलचस्पी लेने लगेगा। इससे आपके बच्चे की चीजों को जनाने की जिज्ञासा भी शांत होगी और उसका मन भी पढ़ाई में होगा। इसी के साथ आप नए तरीकों को अपना सकते हैं जो आधुनिकता से जुड़े है इन माध्यमों से भी आपके बच्चे की पढ़ाई में रूचि बढ़ेगी।
एक डेली रूटीन बनाने की आवश्यकता है
डेली रूटीन तैयार करने से सबसे पहले बच्चे में अनुशासन पैदा होगा जो आपके बच्चे के जीवने के लिए फायदेमंद है। डेली रूटीन से वह समय से काम कर पाएंगे और इसी के साथ थोड़ा समय अन्य चीजों को भी दे पाएंगे। रूटीन तयार होने से बच्चे की भावनात्मक भलाई भी होगी। आपका डेल रूटीन प्लान होने की वजह से आप उन कार्यों को बिना करे संतुष्ट नहीं ह पाएंगे ये आपके जीवन में और भावनात्मक रूप से स्थिरता लाती है। इसमें आप अपने समय कितना कितना और किस कार्य पर लगाना चाहते हैं उसके मुताबिक प्लान कर सकते हैं इससे आपकी मानस्कि स्थिति भी अच्छी रहेगी।
ऊपर दिए इन माध्यमों से आप अपने बच्चे को वर्तमान समय में हो रही गतिविधियों से निपटने के लिए तयार कर सकते हैं।