Election Campaign Management: इन दिनों देश में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। भारत जैसे बडे देश में इलेक्शन प्रोसेस बहुत ही काम्प्लीकेटेड है। इसके बावजूद अभी तक हमारे यहां जितने भी चुनाव हुए हैं, लगभग सभी चुनावों में एडमिनिस्ट्रेशन ने सफलतापूर्वक निर्वाचन प्रक्रिया पूरी की है। यह सब इतना आसान नहीं है। इसके लिए काफी तैयारियां और व्यवस्थाएं करनी पडती है। एक तरह से इलैक्ट्रोरेट प्रोसेस अपने आप में एक मैनेजमेंट है, जिसे अपनाकर किसी भी चुनाव को सफलतापूर्वक कंडाक्ट कराया जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया से हमें मैनेजमेंट के कई फंडे सीखने को मिलते हैं।
टाइम मैनेजमेंट से पूरा होता है टास्क एग्जीक्यूशन
सभी चुनावों को एक समय कराना एडमिनिस्ट्रेशन के लिए संभव नहीं होता है। इसीलिए पूरे स्टेट या देश में इलेक्शन कंडाक्ट करने के लिए टाइम मैनेजमेट का सहारा लिया जाता है कि किस समय किस स्थान पर चुनाव कराए जाना चाहिए। उसी के आधार पर नॉमिनेशन सबमिट करने, नाम वापस लेने, चुनाव प्रचार करने, वोटर्स स्लिप डिस्ट्रिब्यूट करने, इलेक्शन ऑफिसर्स को डेपूट कर उन्हें पोलिंग बूथ तक पहुचाने, समय पर इलेक्शन स्टार्ट और समय पर क्लोज करने, वोटिंग मशीन जगह पर पहुचाने से लेकर वोटिंग प्रोसेस पूरी कर रिजल्ट डिक्लीयर करने की प्रोसेस अपनाई जाती है। यदि टाइम मैनेजमेट सही नहीं हो तो पूरी इलेक्ट्रोरल प्रोसेस गड़बड़ा सकती है। कुछ प्रकरणों में जहां इलेक्शन ऑफिसर्स टाइम मैनेजमेंट एग्जीक्यूट नहीं कर पाते समय पर वोटिंग स्टार्ट नहीं होती है या शाम को इलेक्षन समय बीत जाने के बाद भी बूथ पर लम्बी लम्बी लाइन लगी रहती हैं। इसलिए जिस तरह इलेक्शन में टाइम मैनेजमेंट जरूरी है, ऑर्गनाइजेशन के टास्क के एग्जीक्यूशन में भी वैसा टाइम मैनेजमेंट जरूरी है।
स्ट्रिक्ट डिसिप्लिन से सफल होता है मैनेजमेंट
जिस तरह चुनाव में इलेक्शन आफिसर्स को पूरी अथॉरिटी देकर स्ट्रिक्ट इंस्ट्रक्शनस दिए जाते हैं कि वह अपने पावर का उपयोग कर किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोक कर इलेक्ट्रोरल प्रोसेस को सफलतापूर्वक पूरा करें। उसी तरह मैनेजेरियल टास्क में भी स्ट्रिक्ट डिसिप्लिन जरूरी है, क्योंकि यदि ऐसा नहीं किया जाए तो टीम मेम्बर्स टास्क में कई गड़बड़ियां पैदा कर टास्क एग्जीक्यूशन में मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। इसलिए मैनेजेरियल टास्क में मैनेजर्स को पूरी अथॉरिटी देकर टास्क को अच्छी तरह से एग्जीक्यूट कराया जा सकता है।
टीम मैनेजमेंट के बिना सक्सेस अधूरी है
इलेक्शन ऐसी प्रोसेस है जिसे सरकार अपने बल पर पूरा नहीं कर सकती है। इसके लिए उसे टीम मैनेजमेंट का सहारा लेना पड़ता है। टीम मैनेजमेंट का उपयोग कर प्र्त्येक बूथ पर अलग अलग कैटेगरी के इलेक्शन ऑफिसर्स डेप्युट किए जाते हैं। जो अपना अपना काम करते है। कोई वोटर्स लिस्ट देखता है, कोई वोटर्स की आइडेंटिटी चेक करता है, कोई उसकी अंगुली पर अमिट स्याही लगाता है तो कोई वोटिंग मशीन को वोटर्स के लिए क्लियर करता है। जरूरत पड़ने पर टीम का एक मेंबर दूसरे की हेल्प करता है, ताकि इलेक्ट्रोरल प्रोसेस बिना किसी बाधा के पूरी हो जाए। आर्गेनाइजेशन के मैनेजेरियल टास्क की सक्सेस के लिए भी यही टीम मैनेजमेंट जरूरी है। इसी तरह टीम के प्रत्येक मेंबर्स को उनकी एबिलिटी के हिसाब से टास्क दिए जा सकते हैं और टीम के कमजोर सदस्य की दूसरे सदस्य मदद कर टास्क को पूरा कर सकते हैं। जिस तरह से टीम मैनेजमेंट से इलेक्ट्रोरल प्रोसेस सफलतापूर्वक निपटाई जाती है, उसी तरह का टीम मैनेजमेंट अपनाकर आर्गेनाइजेशन अपना मैनेजेरियल टास्क सक्सेसफुली पूरा कर सकते हैं।
सिक्रेसी और लॉयल्टी से निखरता है मैनेजमेंट
इलेक्शन ड्यूटी में लगे लोग किसी न किसी पॉलिटिकाल पार्टी के प्रति उदार रूख रखते हैं या किसी खास पार्टी को अपना वोट देते हैं। लेकिन जब उन्हें इलेक्शन प्रोसेस में इंगेज किया जाता है तो वह पॉलिटिकल एप्रोच को हाशिये पर रखकर पूरी गंभीरता और ईमानदारी के साथ काम करते हैं। इसी तरह जब मैनेजर्स अपने आर्गेनाइजेशन के लिए काम करता है तो वह अपनी व्यक्तिगत पसंद-ना पसंद कर वही काम करता है जो टॉप मैनेजमेंट ने उसे सौंपा होता है। वह अपने टास्क के प्रति लॉयल रहकर ही अपने आर्गेनाइजेशन के गोल को एचिव करने में मदद कर सकता है। इस तरह इलेक्शन के दौरान अपनाई जाने वाली प्रोसेस को यदि मैनेजमेंट के रूप में एडाप्ट किया जाए तो सभी तरह के मैनेजेरियल टास्क समय पर सफलतापूर्वक एग्जीक्यूट किए जा सकते हैं।