सरकारी नौकरी परीक्षा, प्रतियोगिता परीक्षा या बोर्ड परीक्षा के लिए यदि सही दिशा में तैयारी की जाए तो हर कोई इन परीक्षाओं में सफल हो सकता है। लेकिन जैसे ही परीक्षा के दिन पास आने लगते हैं, स्टुडेंट्स को एंग्जायटी होने लगती है। ऐसे में परीक्षा से फोकस हट जाता है और मन में घबराहट और डर बैठ जाता है। लेकिन छात्र कुछ बेसिक बातों पर ध्यान दें तो काफी हद तक एग्जाम एंग्जायटी से निजात पा सकते हैं। तो आइये जानते हैं परीक्षा में सफलता पाने का अचूक मंत्र क्या है...
मान लीजिए कि अहम् हैं एग्जाम
आप चाहे जितना भी डरें या कतराएं लेकिन एकेडमिक लाइफ में एग्जाम और टेस्ट तो फेस करने ही पड़ेंगे, इस बात को आप जितनी जल्दी जान लेंगे और मान लेंगे उतनी ही जल्दी एग्जाम फोबिया से उबरने में सक्षम हो जाएंगे। सच तो यह है कि एग्जाम और टेस्ट न हों तो बच्चे कभी गंभीरतापूर्वक न पढ़ेंगे न अपना बेस्ट दे पाएंगे। इसलिए समझ लें कि अच्छे परफॉरमेंस के लिए टेस्ट स्ट्रेस कम्पल्सरी है।
कॉन्सेप्ट क्लियर करने पर हो जोर
बिना समझे रटेंगे तो भूलने की चांस बहुत ज्यादा रहेगी। साथ ही यह पढ़ाई आगे की लाइफ केलिए कभी यूजफुल नहीं रहेगी। इसके अलावा अगर आपने विषय को समझे बगैर अगर प्रश्नोत्तर रटे हैं, तो एग्जामिनर के जरा सा गुगली फेंकते ही यानी घुमाफिरा कर प्रश्न पूछते ही आप क्लीन बोल्ड हो जाएंगे। इसलिए जितना भी पढ़ें शुरू से ही विषय को समझकर पढ़ें और कॉन्सेप्ट को आत्मसात करें। एक बार आपने कॉन्सेप्ट समझ लिया तो फिर कोई कितना भी घुमाफिरा कर क्यों न पूछें आप किसी भी प्रश्न का उत्तर आसानी से दे देंगे। स्कूल में होने वाले वीकली टेस्ट, हाफ ईयरली टेस्ट और मॉक टेस्ट में जरूर भाग लें।
लिखने का अभ्यास है जरूरी
कभी भी सिर्फ पर पढ़-पढ़कर और मन ही मन दोहराकर याद करने की पद्धति पर निर्भर न हों। पढ़ने और याद करने का सही तरीका का जरा मेहनत वाला है। पहले चैप्टर पढ़ें। फिर प्रश्नोत्तर याद करें। इसके बाद इन्हें लिखकर भी देखें कि आप कितना फीसदी सही लिख लेते हैं, कहां चूक होती है और एक प्रश्न का उत्तर कितनी देर में लिख लेते हैं। एग्जाम हॉल में से सारी चीजें मैटर करती हैं, इसलिए आपकी तैयारी आधी अधूरी नहीं कम्प्लीट होनी चाहिए। दिन भर में कम से कम दो-ढाई घंटे लिखने का अभ्यास जरूर करें। कई बार लिखने का अभ्यास नहीं होने पर तीन घंटे में स्टूडेंट सभी उत्तर नहीं लिख पाते हैं।
रियलिस्टिक हो रूटीन
कई स्टूडेंट्स अत्यधिक जोश में आकर एकदम चुस्त दुरूस्त रूटीन बना लेते हैं, जो दिखने में तोबड़ा आदर्शवादी होता है लेकिन उसका प्रैक्टिकल पालन करना मुश्किल होता है। सुबह 5 बजे उठना और रात को 11 बजे सोना। इस बीच वे न तो ढंग से खेलने या मनोरंजन का समय रखते, न खाने पीने का समुचित समय। नतीजतन यह रूटीन पहले ही दिन ध्वस्त हो जाता है। हमेशा पढ़ने का प्रॉपर रूटीन बनाएं और इसके शिद्दत से पालन करें। इस रूटीन में आराम करने और खाने पीने का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।
पहचानें अपना एनर्जी टाइम
आपको सही ढंग से पढ़ना हो तो उस वक्त की पहचान करें आप सबसे ज्यादा एनर्जेटिक और लाइट मूड में होते हैं। कई विद्यार्थी सुबह सवेरे टफ चीजें पढ़ना पसंद करते हैं, तो कोई देर रात को। आप भी अपना वक्त पहचानें और कठिन विषयों की पढ़ाई उन्हें एनर्जी ऑवर्स में करें। इससे आपका काम काफी आसान हो जाएगा।
सभी सब्जेक्ट्स को दें समय
कई विद्यार्थी कुछ सब्जेक्ट्स को बेहद आसान समझकर शुरू में उन्हें पढ़ते नहीं कि बाद में पढ़ेंगे। टालते-टालते कब एग्जाम आ जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता और फिर अचानक एक दिन महसूस करते हैं कि इस विषय की तो अभी तक उन्होंने एक बार रीडिंग तक नहीं लगाई। ऐसे में उनके हाथपैर फूल जाते हैं और नर्व्स महसूस करते हैं। ऐसी गलती कभी न करें। शुरू से सभी सब्जेक्ट्स को प्रॉपर टाइम दें। क्लास की पढ़ाई के समय आपने जो अलग अलग विषयों के नोट्स बनाए हैं, उन्हें लगातार पढ़ते रहें। कोर्स को लगातार रिवाइज करते रहें।
बनाएं टीचर-स्टूडेंट्स का व्हाट्सऐप ग्रुप
संभव हो, तो शिक्षकों व स्टुडेंट्स के साथ मिलकर ऐसा व्हाट्सऐप ग्रुप बनाएँ जिसमें स्टूडेंट्स और टीचर दोनों हों। किसी भी प्रकार का कोई कन्फ्यूजन हो तो इसमें पोस्ट कर सकते हैं. आपके पास सोल्यूशन आ जाएगा. इसी तरह कोई भी नई सूचना हो तो उसका आदानप्रदान किया जा सकता है।
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