Foreign Education: छात्रों की पहली पसंद बनें ये डेस्टिनेशन

Foreign Education: भारत से हर साल औसतन 70 हजार छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। पढ़ाई के लिए इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों के पलायन के पीछे सबसे बड़ी वजह है कॅरिअर के अवसरों का विस्तार व अनुभव।

By Careerindia Hindi Desk

Foreign Education: भारत से हर साल औसतन 70 हजार छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। पढ़ाई के लिए इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों के पलायन के पीछे सबसे बड़ी वजह है कॅरिअर के अवसरों का विस्तार व अनुभव। दरअसल विदेश से पढ़ाई के बाद छात्रों को भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कॅरिअर बनाने का अवसर मिलता है। लंबे समय के कॅरिअर के लिए सबसे जरूरी है विषयों का चुनाव। एक्सपर्ट बताते हैं कि मौजूदा समय में किस विषय का ट्रेंड चल रहा है, से ज्यादा जिन विषयों का अगले 10 से 20 वर्षों तक भविष्य बेहतर रहने वाला हो उनका चुनाव करना चाहिए।

Foreign Education: छात्रों की पहली पसंद बनें ये डेस्टिनेशन

उदाहरण के तौर पर हेल्थ एंड टेक्नोलॉजी फील्ड अभी सबसे अधिक ट्रेंड में है लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्या ये दोनों क्षेत्र महामारी के बाद भी इसी संख्या में नौकरी दे सकेंगे जिस संख्या में अभी दे रहे हैं? साल 2021 में कनाडा में एक लाख दस हजार नौकरियां हेल्थकेयर व सोशल असिस्टेंट सेक्टर में थी इसके बावजूद मैनेजमेंट कोर्सेस की मांग सबसे अधिक रही। ऐसे में यदि आप फॉरेन एजुकेशन प्लान कर रहे हैं तो उसी विषय को चुनें जिसका भविष्य बेहतर हो।

बेस्ट एजुकेशन डेस्टिनेशन
यूके अपनी ग्रेजुएट इमिग्रेशन रूट पॉलिसी की वजह से भारतीय छात्रों का पसंदीदा देश है। इस पॉलिसी के तहत छात्र पढ़ाई के बाद दो साल नौैकरी व एक साल का मास्टर प्रोग्राम भी कर सकते हैं। छात्र यूएस में मिलने वाली सैलरी व वहां की बेहतर इमिग्रेशन पॉलिसी की वजह से हायर एजुकेशन में दाखिला ले रहे हैं। कनाडा सस्ती शिक्षा व आसानी से वीजा देने के मामले में फेवरेट डेस्टिनेशन बना हुआ है।

छात्रों के पसंदीदा देश
लीप स्कॉलर के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में विदेश जाने वाले कुल भारतीय छात्रों में से 49 प्रतिशत यूके, 36 प्रतिशत कनाडा व 18 प्रतिशत यूएस जाना चाहते थे। एक्सपर्ट के मुताबिक अगले साल इन देशों में भारतीय छात्रों की संख्या इस साल की तुलना में दोगुनी हो सकती है। वहीं एक्पर्ट्स यह मानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड जैसे देशों को अपने नियमों में बदलाव की जरूरत है ताकि उनके यहां विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ सके।

जरूरी सर्टिफिकेट्स
कनाडा, यूके व यूएसए में स्थित अधिकांश संस्थान आपकी भाषा की क्षमताओं का आंकलन करते हैं। इसके लिए आईईएलटीएस, टीओईएफएल, पीटीई, सीएईएल और सीईएलपीआईपी के सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कई संस्थान छात्रों को प्रवेश देने से पहले खुद भी टेस्ट लेते हैं।

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English summary
The UK is a favorite country for Indian students because of its graduate immigration route policy. Under this policy, students can do two years job and one year master's program after studies. Students are enrolling in higher education because of the salary they get in the US and the better immigration policy there. Canada remains a favorite destination in terms of affordable education and easy visa grants.
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