Explained Parenting Tips: ऑनलाइन गेम के नुकसान, बच्चों को ऐसे रखें सुरक्षित

Explained Parenting Tips: कैम्ब्रिज की संस्था इंटरनेट वाच फाउंडेशन के आंकड़े़ बताते हैं कि 2021 में बच्चों के साथ रेप और यौन हिंसा से संबंधित फोटो और वीडियो वाले 252,000 यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर सामने आए।

Explained Parenting Tips: कैम्ब्रिज की संस्था इंटरनेट वाच फाउंडेशन के आंकड़े़ बताते हैं कि 2021 में बच्चों के साथ रेप और यौन हिंसा से संबंधित फोटो और वीडियो वाले 252,000 यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर सामने आए। इनमें से 182, 281 (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) ऐसे थे जिनमें फोटो और वीडियो को टेक्नोलॉजी की मदद से जोड़ा गया था। कोरोना काल के दौरान और बाद में जैसे इंटरनेट-मोबाइल-कंप्यूटर का उपयोग दुनिया भर में बढ़ा‚ उसके साथ ही इंटरनेट के जरिए अश्लील सामग्री का प्रसार भी बढ़ा है। 2019 के मुकाबले 2021 में इंटरनेट के द्वारा अश्लील सामग्री के प्रसारण में लगभग 374 गुना इजाफा हुआ है।

Explained Parenting Tips: ऑनलाइन गेम के नुकसान, बच्चों को ऐसे रखें सुरक्षित

बच्चों का ऑनलाइन शोषण
ऑनलाइन शोषण से बचाव के तरीके जानना सभी के लिए आवश्यक हो गया है। बुजुर्ग और कम उम्र के बच्चों को इंटरनेट के जरिए आसानी से शिकार बनाया जा सकता है। एक तरफ तो मोबाइल और इंटरनेट सबकी जरूरत बन गए हैं‚ लेकिन इंटरनेट के खतरे और उससे बचाव कैसे होगा‚ इस पर अभिभावक‚ स्कूल‚ पुलिस‚ स्वयंसेवी और कानूनी संस्थाएं सभी को मिल कर कार्य करना होगा। अधिकांश अभिभावक यह नहीं जानते कि बच्चे इंटरनेट के जरिए आसानी से यौन हिंसा के शिकार हो सकते हैं।

ऑनलाइन कॉन्ट्रैक्ट की शर्त
अभिभावकों के पास समय भी नहीं होता कि वे इस मुद्दे पर अपने बच्चों से बातचीत करें कि वे क्या देख रहे हैं‚ और उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए। ऑनलाइन माध्यम के बारे में जानकारी का अभाव है‚ तो बच्चे शोषण का शिकार तो हो ही सकते हैं‚ वे अनजाने में किसी साइबर अपराध का हिस्सा हो सकते हैं। क्या कंटेंट (सामग्री) उनके पास आ रही है‚ किसे वे फॉरवर्ड कर रहे हैं‚ ऑनलाइन रहते हुए किस अनजान व्यक्ति के संपर्क में वे आते हैं‚ बिना पूरी बात जाने ऑनलाइन कॉन्ट्रैक्ट की किस शर्त को वे स्वीकार कर रहे हैं‚ इस मुद्दे पर बच्चों से कौन बात करता हैॽ

इंटरनेट को लेकर बच्चों में नशा
अपने देश में स्कूल-परिवार के स्तर पर इन्फोर्मशन टेक्नोलॉजी के कानून‚ बच्चों और किशोर वय से संबंधित प्रावधान‚ भारतीय दंड संहिता और अंतरराष्ट्रीय कानून की जानकारी का अभाव है। ऐसे में किसी एक घटना से स्कूल-कॉलेज के छात्र‚ स्टाफ और संस्थाएं मुसीबत में फंस सकते हैं। 2020-2021 में जब महामारी अपने चरम पर थी तब अभिभावकों ने बच्चों को ऑनलाइन क्लास के लिए प्रोत्शाहित किया। अब बच्चों को इंटरनेट-मोबाइल की आदत पड़ गई है‚ और अब इंटरनेट उनकी अपनी दुनिया का हिस्सा है। अब अभिभावक जोर-जबरदस्ती करके उनसे मोबाइल नहीं ले सकते हैं। यदि आप उभरते हुए परिदृश्य को देखें तो इंटरनेट को लेकर बच्चों में नशा और बढ़ने वाला है। इसकी एक झलक टिकटॉक जैसे प्लेटफार्म की बढ़ती लोकप्रियता से मिल सकती है। उम्मीद जताई जा रही है कि चीन का यह वीडियो शेयरिंग प्लेटफार्म 2024 तक विज्ञापन व्यापार से 23 बिलियन डॉलर तक कमाई कर लेगा और ऐसा हुआ तो वह यूट्यूब की बराबरी कर लेगा।

ऑनलाइन गेम का बाजार
आज वीडियो-ऑनलाइन गेम बच्चों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। ऑनलाइन गेम का बाजार कई हजार करोड़ का है‚ और तेजी से बढ़ता जा रहा है। आने वाले दिनों में ऑनलाइन गेम‚ दुनिया के स्तर पर संगीत और फिल्म से बहुत बड़ा बाजार बनने वाला है। यह ऑनलाइन गेम एक व्यक्ति नहीं बनता‚ बल्कि मनोवैज्ञानिक से लेकर‚मार्केटिंग‚ विज्ञापन के विशेषज्ञों की पूरी टीम होती है। और जैसे टीवी धारावाहिक आपको बांधे रहते हैं‚ उसी तरह यह ऑनलाइन गेम आपको आकर्षित करते हैं‚ और आपको अपनी तरफ खींचते हैं। बच्चों को यह पता नहीं चलता कि कब वे खिलाड़ी से उपभोक्ता में तब्दील हो जाते हैं।

ऑनलाइन गेम के नुकसान
कहने के लिए कई ऑनलाइन गेम 'फ्री' होते हैं‚ लेकिन कैंडी क्रश से लेकर रोब्लोक्स तक जितने भी लोकप्रिय गेम हैं‚ सभी में कई ऐसे तरीके शामिल हैं‚ जिनसे इन्हें बनाने वाली कंपनियां अपना मुनाफा कमाती हैं। कई गेम हिंसा और हथियार पर आधारित हैं‚ जो बच्चों को 'जीत' की खुशी देते हैं। बच्चों के मनोभावों को उद्वेलित करते हैं। खेलने वालों को गेम की रचना में शामिल ईर्ष्या‚ शत्रुता‚ जय-पराजय‚ दया‚ क्रूरता आदि का भाव घंटों तक ऑनलाइन बनाए रखता है। ऐसे में उनके साथ साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ने की आशंका रहती हैं। गेम के भीतर अतिरिक्त समय अथवा खिलाड़ी‚ मनपसंद वस्त्र आदि खरीदने के विकल्प रहते हैं‚ और आप आवेश में उन्हें खरीद लेते हैं। ऑनलाइन गेम बच्चों को इतने प्रभावित करते हैं कि उन्हीं गेम से जुड़े पात्र‚ उनकी पोशाक‚ उनके सौंदर्य प्रसाधन से लेकर‚ उनके पोस्टर-कैलेंडर-कार्ड तक वास्तविक बाजार में बिक रहे होते हैं।

इंटरनेट का बच्चों पर प्रभाव
ऐसा कहा जा रहा है कि कोई बच्चा अगर एक स्क्रीन वाला फोन एक घंटा इस्तेमाल करता है‚ तो उसकी नींद 16 मिनट कम हो जाती है। ऐसे बच्चे जरूरी चीजें भूल जाते हैं। उनकी पढ़ने की आदत कम हो रही है। उनकी सामाजिक परिधि छोटी होती जा रही है‚ और वे दूसरों से मिलने से बचते हैं। इंटरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल से आभासी दुनिया की कल्पना का एक असर यह भी हो सकता है कि ऐसे बच्चे जीवन की वास्तविक समस्याओं से लड़ने में खुद को कमजोर पाएं। इंटरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल से बच्चों का खान-पान‚ आंख और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

मुश्किल होती दिनचर्या
कुछ बच्चे बता रहे हैं कि उनके लिए एकाग्रचित हो कर कुछ पढ़ने और नियमित दिनचर्या का पालन करना मुश्किल हो रहा है। अक्सर किशोर उम्र के बच्चों पर वीडियो गेम का जो नशा है‚ उसका प्रभाव उनके शैक्षिक परिणाम और सामाजिक व्यवहार पर दिखने लगता है। मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती चिंता के चलते चीन‚ ब्रिटेन सहित कई देशों में अट्ठारह वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए वीडियो गेम को प्रत्येक सप्ताह कुछ घंटों-दिनों के लिए प्रतिबंधित करने के लिए कुछ कदम उठाए जा रहे हैं।

इंटरनेट से अति प्रभावित बच्चे
एम्स‚ दिल्ली के मानसिक रोग विभाग में कुछ वर्षों से इंटरनेट व्यसन के रोगियों के लिए एक केंद्र चलाया जाता है। यहां ऐसे रोगियों का इलाज होता है जो ऑनलाइन गेम और घंटों-घंटों इंटरनेट का उपयोग करते हैं‚ और उसके बिना रहने में उन्हें बेचैनी हो जाती है। इस केंद्र में अपने इलाज के लिए आने वालों में 15 से 20 साल के युवा अधिक हैं। इंटरनेट से अति प्रभावित बच्चे छोटी सी असफलता के चलते अवसाद का शिकार बन सकते हैं। उनके व्यवहार में उग्रता‚ भाषा में आक्रामकता‚ घर के खाने में अरुचि‚ अनिद्रा जैसे लक्षण आने लगते हैं।

अभिभावक बच्चों को ऐसे करें कंट्रोल
अभिभावकों को बच्चों से ऑनलाइन खतरे के मुद्दे पर धीरज के साथ बात करते रहना चाहिए। बच्चों को पता होना चाहिए कि उन्हें कौन सी फोटो दूसरों को देनी है और कौन सी नहीं। किस फोटो पर टिप्पणी करनी है‚ और ऑनलाइन होते हुए अनजान लोगों के प्रलोभन से कैसे बचाव करना है। अभिभावकों को उन लोगों पर ध्यान रखना चाहिए जो बच्चे से अकेले में अथवा ऑनलाइन संपर्क में आते हैं। बच्चों में यह विश्वास होना चाहिए कि वे अपने मां-बाप से अपना डर बता सकते हैं। अभिभावकों में भी धैर्य होना चाहिए कि वे बच्चों को सुनेंगे। हम इंटरनेट युग में हैं‚ और यहां आपके ऑनलाइन बैंक खाते ही खतरे में नहीं हैं‚ आपकी निजता पर भी किसी की नजर हो सकती है।

deepLink articlesUPSC IAS Interview में पूछे जाते हैं इस तरह सवाल, ऐसे दें जवाब

deepLink articlesTips: आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं, जानिए बेस्ट टिप्स

For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

English summary
Explained Parenting Tips: Parents should be patient in talking to their children about the issue of online danger. Children should know which photos they should share with others and which should not. what photos to comment on, and how to avoid the temptation of strangers online. Parents should take care of the people who come into contact with the child in private or online.
--Or--
Select a Field of Study
Select a Course
Select UPSC Exam
Select IBPS Exam
Select Entrance Exam
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
Gender
Select your Gender
  • Male
  • Female
  • Others
Age
Select your Age Range
  • Under 18
  • 18 to 25
  • 26 to 35
  • 36 to 45
  • 45 to 55
  • 55+