किसी भी नए उम्मीदवार को जॉब देने से पहले कंपनियां उसके बारे में हर तरह से जांच पड़ताल करती है जिसमें उसका आईक्यू, बैकग्राउंड और एक्सपीरियंस देखने के साथ-साथ उसका सीक्यू भी देखा जाता है। लेकिन हममें से अधिकतर को पता ही नही होता है कि ये सीक्यू क्या बला है। अगर आपको भी नही पता है तो आज हम आपको बताने जा रहे है सीक्यू के बारे में और साथ ही ये भी बताने जा रहे है कि सीक्यू किसे कहा जाता है और नियोक्ता इसकी कैसे जांच करता है।
क्या है सीक्यू-
सीक्यू का मतलब होता है 'कल्चरल कोशचेंट'। जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। दरअसल जब कोई कंपनी किसी नये उम्मीदवार को जॉब देती है तो वह देखती है कि आपमें सीक्यू लेवल कितना है। जब आप किसी अन्य देश, समुदाय और समाज के लोगों से मिलते है तो उनकी भाषा में बोलने की कोशिश करते है, उनके जैसे हाव-भाव अपनाते है और उनसे करीबी रिश्ता बनाने की कोशिश करते है तो यही कोशिश कल्चरल इंटेलीजेंस या कल्चरल कोशचेंट (सीक्यू) कहलाती है। जब आप किसी दूसरी जगह पर जाते है तो अपने हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज को उनके जैसा करने की कोशिश करते है तो ये सामने वाले पर सकारात्मक असर डालती है। आज जहां दुनिया एक ग्लोबल विलेज में तब्दील हो गई है तो सीक्यू की पहले की अपेक्षा अब बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती है।
ग्लोबल करियर के लिए बेहद जरूरी है सीक्यू-
आज ऐसा समय आ गया है कि लोग दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर रहना चाहते है। कई मल्टीनेशनल कंपनियां है जो दूसरे देश के प्रोफेशनल को जॉब ऑफर करती है। इसलिए अगर आप भी विदेशों में या किसी ऐसी जगह पर जॉब पाना चाहते है जो आपके कल्चर से बिल्कुल ही अलग हो तो आपमें सीक्यू का होना जरूरी है। आपकी कामयाबी इसी बात पर टिकी है कि आप अलग-अलग देशों के लोगों से अच्छा तालमेल बना लें। शायद इसलिए कई कंपनियों में आजकल आईक्यू से ज्यादा सीक्यू लेवल चेक करना शुरू किया है।
ऐसे मापा जाता है सीक्यू लेवल-
सीक्यू मापने के लिए कुछ सवाल होते है जिसमें पहला होता है सीक्यू ड्राइव, इसका मतलब है दूसरे समुदाय और संस्कृति के बारे में जानने की ख्वाहिश। उसके बाद आता है सीक्यू नॉलेज यानी किसी भी समुदाय के बारे में जानकारी और ये आपके समुदाय से कितना अलग है इसकी समझ होना जरूरी है। फिर आता है, इस नए देश या समुदाय के लोगों से तालमेल बैठाने के लिए आपकी रणनीति क्या है। क्या आप इन लोगों में घूलने-मिलने के लिए तैयार है या नही। लेकिन जिन लोगों का सीक्यू कम है वो लोग सब को अपने ही नजरिए से देखते है जैसे वे अपने देश या समुदाय में देखा करते थे।
सीक्यू वालों को विदेश में मिलती है आसानी से नौकरी-
आपको बता दें कि अगर आपका सीक्यू लेवल ज्यादा है तो आपको आसानी से विदेशों में नौकरी मिल सकती है। एक स्टडी के अनुसार जब कोई विदेशी कंपनी किसी दूसरे देश के उम्मीदवार को नौकरी देती है तो वह आईक्यू, इमोशनल इंटेलीजेंस और सीक्यू देखती है। इनमें जिन लोगों का सीक्यू अच्छा था उन्हें न सिर्फ विदेश में आसानी से जॉब मिल जाती है बल्कि नौकरी मिलने के बाद उन लोगों की तरक्की भी तेजी से होती है।
यहां जांचा जाता है सीक्यू लेवल-
फिलहाल अमेरिका के मिशीगन इंटेलिजेंस सेंटर में ही सीक्यू लेवल जांचा जाता है। इस सेंटर की मदद से अब तक स्टारबक्स, ब्लूमबर्ग और मिशिगन यूनिवर्सिटी में भर्तियां की गई है। इस सेंटर को चलाने वाले डेविड लिवरमोर है। डेविड कहते है कि कोई भी सीखकर अपना सीक्यू लेवल बेहतर कर सकता है। वो आगे कहते है किसी देश की खास सभ्यता को समझना अलग बात है और अलग-अलग समाज और देश के लोगों के साथ अच्छा तालमेल बनाना अलग बात है।
सीक्यू विकसित करने के लिए टिप्स-
अगर आप भी किसी ऐसी जगह जॉब करने के लिए जाना चाहते है जो आपकी संस्कृति से एकदम अलग है तो आपको सबसे पहले अपने सीक्यू को बेहतर करने की जरूरत है। दरअसल सीक्यू को धीरे-धीरे सीखते हुए ही विकसित किया जा सकता है। जो लोग बाहर घूम चुके है उन लोगों के लिए ऐसा करना थोड़ा आसान होता है। इसके अलावा जो लोग दूसरी जगह तालमेल नही बैठा पाते है उन लोगों के लिए इसकी कोचिंग भी उपलब्ध है, जहां ये लोग कुछ महीनो से लेकर तीन महीने तक की अवधि वाले कोर्स कर सकते है।