Children's Day 2022: बच्चों जैसे बेफिक्र जिंदगी जीने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

बाल दिवस पर बच्चों को क्या सिखाना है, ये तो हम बखूबी जानते हैं। मगर कभी सोचा है कि इन नासमझ बच्चों से हम कितना कुछ सीख सकते हैं। शायद, नहीं। इसलिए आज का बाल दिवस उस बचपन के नाम, जो हम बड़ों के अंदर जिंदा तो है, पर कहीं खो गया है। आइए, उस बचपन को मिलकर खोज निकालें और उसी बिंदास, बेफिक्र और बेखौफ तरीके से जिंदगी जिएं, जैसे हमारे बच्चे जीते हैं...

Children's Day 2022: बच्चों जैसे बेफिक्र जिंदगी जीने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

बच्चों जैसे बेफिक्र जिंदगी जीने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

1. जज़्बातों को बयां करें
बच्चे खुश होते हैं, तो मुस्कुराते हैं। दुखी होते हैं तो रोते हैं। लेकिन बड़े लोग भावनाएं दबाना शुरू कर देते हैं। नतीजा ये कि अपने असली अहसास समझ ही नहीं पाते, इसलिए भावनाएं नियंत्रित करना भी नहीं सीख पाते।
रिसर्च: 'मास्टर योर इमोशंस' के लेखक तिबूती कहते हैं- पहले जानें कि आप कब कैसा महसूस कर रहे हैं, तभी नकारात्मक विचारों से छूट पाएंगे।

2. आत्मविश्वास से भरे रहें
बच्चों को कुछ अच्छा लग जाए, तो फिर वो काम कितना भी मुश्किल हो, करने के लिए कूद पड़ते हैं। ये नहीं सोचते कि वे कामयाब होंगे या नहीं, लोग क्या कहेंगे? जबकि बड़ों में ऐसा आत्मविश्वास कम दिखता है।
किताब : 'हाउ टु बिल्ड कांफीडेंस' किताब के मुताबिक, आत्मविश्वास आपको अपने क्षेत्र में शीर्ष पर ले जाता है। लीडर बनने के लिए जरूरी।

3. जिज्ञासु बनें उत्साहित रहें
बिना ये सोचे कि कौन-क्या सोचेगा, बच्चे अपने सवालों का पिटारा खोल देते हैं। मगर बड़ी उम्र वाले अपने कई बेहतरीन आइडिया और सवाल सिर्फ इसलिए शेयर नहीं करते कि कहीं लोग उनका मजाक न उड़ा दें।
स्टडी : वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक, सवाल पूछने से सीखने की क्षमता, आत्मविश्वास और तर्क शक्ति बढ़ती है।

4. बदलाव में ढलने को तैयार रहें
बच्चे परिवर्तन को न सिर्फ स्वीकार लेते हैं बल्कि उसमें जल्दी ढल भी जाते हैं। झगड़ा हो जाए, तब भी मन में नहीं रखते। तुरंत ही माफ कर देते हैं। बड़े न बदलाव आसानी से स्वीकारते हैं, न ही जल्दी माफ कर पाते हैं।
एक्सपर्ट : अमेरिकी लेखक जिम रॉन के शब्दों में कहें तो आपकी जिंदगी 'चांस' से बेहतर नहीं होती, बल्कि 'चेंज' लाने से उसमें तरक्की होती है।

5. बिना किसी भेदभाव दोस्त बनाएं
सही मायनों में 'दोस्ती' सीखनी हो तो बच्चों से सीखिए। न स्वार्थ देखते हैं, न ही जात-पात व ऊंच-नीच से मतलब होता है। बड़ों में ऐसा बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। वे हर रिश्ते में फायदा-नुकसान ढूंढते रहते हैं।
शोध : अमेरिका में हुए शोध के मुताबिक, करीबी दोस्त तो 2-5 ही होते हैं, पर दोस्ताना रवैये से काम का माहौल सुधरता है, उत्पादकता बढ़ती है।

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English summary
We know very well what to teach children on Children's Day. But have you ever thought that how much we can learn from these mindless children. Probably not. That's why today's Children's Day is celebrated in the name of that childhood, which is alive inside us elders, but has been lost somewhere. Let's discover that childhood together and live life in the same cool, carefree and fearless way that our children live...
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