प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए कैसे करें, फीस, जॉब, सैलरी और टॉप कॉलेज

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए 2 साल का फुल टाइम पीजी कोर्स है, जिसे 4 सेमेस्टर में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक सेमेस्टर 6 महीने की अवधि का होता है। यह कोर्स पारंपरिक अनुसंधान विधियों और उपकरणों से सिस्टम-आधारित ढांचे में बदलाव को शामिल करते हुए, मॉड्यूल ऐसी समस्याओं को समझने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है ताकि यह आकलन किया जा सके कि पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान कैसे किया जा सकता है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एमबीए इन प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए कैसे करें, फीस, जॉब, सैलरी और टॉप कॉलेज

• कोर्स का नाम- एमबीए इन प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• पात्रता- स्नातक
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 20,000 से 1,00,000 तक
• अवरेज सैलरी- 2 से 8 लाख तक

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए: पात्रता

  • उम्मीदवारों के पास किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज या विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
  • उम्मीदवार के स्नातक डिग्री में कुल मिलाकर कम से कम 60% अंक होने चाहिए।
  • उम्मीदवारों को अपनी पसंद के कॉलेजों में सीट सुरक्षित करने के लिए एमबीए सामान्य प्रवेश परीक्षा जैसे कैट, एक्सएटी, स्नैप, एनएमएटी में से किसी एक को उत्तीर्ण करना होगा।
  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों को अनिवार्य प्रक्रिया के रूप में पाठ्यक्रम कार्यक्रम में 5% छूट प्रदान की जाती है।

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए: प्रवेश प्रक्रिया

किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

एमबीए इन सेल्स एंड मार्केटिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए के लिए एडमिशन प्रोसेस कैट, मैट, एक्सएटी और सीएमएटी आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए: सिलेबस

सेमेस्टर 1

  • प्रबंधन प्रक्रियाओं और परिप्रेक्ष्य
  • संगठनात्मक व्यवहार
  • प्रबंधकीय अर्थशास्त्र
  • प्रबंधन लेखांकन
  • मात्रात्मक तकनीक
  • कंप्यूटर एडेड प्रबंधन
  • सम्पूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन
  • व्यापार संचार

सेमेस्टर 2

  • मानव संसाधन प्रबंधन
  • विपणन प्रबंधन
  • वित्तीय प्रबंधन
  • व्यापार कानून
  • अनुसंधान क्रियाविधि
  • उत्पादन और संचालन प्रबंधन
  • व्यवसाय का आर्थिक वातावरण
  • व्यापार को नैतिकता

सेमेस्टर 3

  • स्टेट ऑफ इंडियाज पॉल्यूशन/ग्लोबल पोल. समस्याएं
  • वायु प्रदूषण
  • जल प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • कृषि प्रदूषण
  • परमाणु और तापीय प्रदूषण
  • समुद्री प्रदूषण
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

सेमेस्टर 4

  • प्रबंधन सूचना प्रणाली
  • रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन
  • प्रबंधन नियंत्रण प्रणाली
  • रणनीतिक प्रबंधन
  • परियोजना प्रबंधन
  • उद्यमिता विकास
  • निगम से संबंधित शासन प्रणाली
  • मास्टर की थीसिस

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • आईएमटीएस, नोएडा- फीस 68,000
  • एसवीआईआईटी पंजाब- फीस 1,00,000
  • ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी नागालैंड- फीस 24,125
  • एसबीआईएम पुणे- फीस 48,000
  • सीएमजे विश्वविद्यालय शिलांग- फीस 90,000

प्रदूषण नियंत्रण प्रबंधन में एमबीए: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • पॉल्यूशन ऑफिसर- सैलरी 4.50 लाख
  • एनवायरमेंटल हेल्थ ऑफिसर- सैलरी 3.09 लाख
  • सेफ्टी ऑफिसर- सैलरी 2.90 लाख
  • क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर- सैलरी 2.24 लाख

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English summary
MBA in Pollution Control Management is a 2 year full time post graduate course. Covering a shift from traditional research methods and tools to a systems-based framework, the module focuses on the need to understand such problems in order to assess how environmental challenges can be addressed.
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