कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए कैसे करें, फीस, जॉब, सैलरी और टॉप कॉलेज

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए कृषि-आधारित व्यवसाय और ग्रामीण आर्थिक विकास के संदर्भ में प्रशासनिक सिद्धांतों और तकनीकों के अनुप्रयोग में विशेषज्ञता के साथ व्यवसाय प्रशासन के क्षेत्र में 2-वर्षीय पीजी कोर्स है। बता दें कि कृषि भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। देश की पचास प्रतिशत से अधिक आजीविका कृषि पर निर्भर है। इसके अलावा कृषि को खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों जैसे कृषि आधारित सेटअपों को चलाते हुए देखा जाता है जो कृषि आधारित जीडीपी में अत्यधिक योगदान करते हैं।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए कैसे करें, फीस, जॉब, सैलरी और टॉप कॉलेज

• कोर्स का नाम- कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट
• कोर्स की अवधि- 2 साल
• पात्रता- स्नातक
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 85,000 से 6 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 18,000 से 22,000 तक (प्रति माह)
• जॉब प्रोफाइल- ग्रामीण विकास अधिकारी, संचालन प्रबंधक, संबंध प्रबंधक, निवेश विश्लेषक, एक बैंकिंग कार्यकारी, खाता प्रबंधक, वित्त प्रबंधक, लेखा परीक्षक आदि।
• जॉब फील्ड- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, खुदरा कृषि क्षेत्र, कृषि वित्तपोषण, ग्रामीण बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आदि।

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए: पात्रता

  • उम्मीदवारों के पास किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज या विश्वविद्यालय से सांख्यिकी, गणित, जैविक विज्ञान, कंप्यूटर अनुप्रयोग, आदि में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
  • उम्मीदवार स्नातक डिग्री में कुल मिलाकर कम से कम 60% अंक होने चाहिए।
  • उम्मीदवारों को अपनी पसंद के कॉलेजों में सीट सुरक्षित करने के लिए सामान्य प्रवेश परीक्षा जैसे कैट, एक्सएटी, मैट, जीएमएटी और सीएमएटी में किसी एक को भी उत्तीर्ण करना चाहिए।
  • अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित उम्मीदवारों को अनिवार्य प्रक्रिया के रूप में पाठ्यक्रम कार्यक्रम में 5% छूट प्रदान की जाती है।

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए: प्रवेश प्रक्रिया

किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए में एमबीए के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है
चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए के लिए एडमिशन प्रोसेस कैट, एक्सएटी, मैट, जीएमएटी और सीएमएटी आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए: सिलेबस

सेमेस्टर 1

  • प्रबंधन के सिद्धांत और मूल्य
  • लेखा और वित्तीय विश्लेषण
  • मात्रात्मक तकनीक
  • कृषि-व्यवसाय प्रबंधन
  • प्रबंधकीय अर्थशास्त्र
  • विपणन सिद्धांत
  • गुणवत्ता प्रबंधन
  • व्यवसाय का अर्थशास्त्र
  • व्यावहारिक

सेमेस्टर 2

  • संगठनात्मक व्यवहार
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था
  • संचालन प्रबंधन
  • उत्पादन प्रबंधन
  • व्यवसाय में कंप्यूटर अनुप्रयोग
  • पेशेवर प्रबंधन
  • व्यावसायिक संचार
  • मौखिक परीक्षा

सेमेस्टर 3

  • ई-कॉमर्स
  • बीज उत्पादन तकनीक
  • सामग्री प्रबंधन
  • उद्यमिता
  • व्यापार कानून
  • व्यापार को नैतिकता
  • जल विभाजन प्रबंधन
  • ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था
  • ग्रामीण विकास
  • पशुपालन का प्रबंधन
  • व्यावहारिक प्रशिक्षण

सेमेस्टर 4

  • रणनीतिक प्रबंधन
  • सेमिनार
  • निबंध
  • ग्रामीण बुनियादी ढांचा
  • बागवानी विकास
  • विशेषज्ञता विषय -1
  • स्पेशलाइजेशन सब्जेक्ट-2
  • मौखिक परीक्षा

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • आईएमटीएस नोएडा- फीस 2, 44, 050
  • केआईआईटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट भुवनेश्वर- फीस 2,40,000
  • एमजीसीजीवी सतना- फीस 35,700
  • शेरवुड कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट लखनऊ- फीस 96,675
  • सिद्धार्थ आधुनिक प्रबंधन संस्थान जयपुर- फीस 34,000
  • लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ- फीस 1,53, 250
  • उड़ीसा विश्वविद्यालय भुवनेश्वर- फीस 31,932
  • लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जालंधर- फीस 1,69,427
  • सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस पुणे- फीस 4,48, 200
  • एमिटी यूनिवर्सिटी जयपुर- फीस 242,000

कृषि-व्यवसाय और ग्रामीण विकास में एमबीए: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • रूरल डेवलेपमेंट ऑफिसर- सैलरी 5.52 लाख
  • ऑपरेशन मैनेजर- सैलरी 2.85 लाख
  • बैंकिंग एग्जीक्यूटिव- सैलरी 2.63 लाख
  • इंवेस्टमेंट एनालिस्ट- सैलरी 3.4 लाख
  • फाइनेंस मैनेजर- सैलरी 2.67 लाख

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English summary
MBA in Agri-business and Rural Development is a 2-year PG course in the area of Business Administration with specialization in the application of administrative principles and techniques in the context of agri-business and rural economic development. The course focuses on bridging the gap of skilled and qualified professionals that is required by nurturing young graduates with a knowledge base in the respective field.
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