करीब एक सदी पहले अपने देश में नौकरियां खोजने वाले लोग सबसे पहले कोलकाता की ओर रुख किया करते थे। हम पुरानी फिल्में देख सकते हैं कि जब भी कोई नायक काम करने की तलाश में गांव से किसी शहर की तरफ जाने की बात करता है तो वह शहर कोलकाता ही होता है। लेकिन देश के आजाद होते होते कोलकाता से यह तमगा छिनने लगा और आजादी के आसपास यानी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान और उसके बाद यह तमगा एक नहीं शहरों ने आपस में बांट लिया। ये शहर थे- मुंबई, अहमदाबाद, कानपुर और अमृतसर। लेकिन आज की तारीख में अमृतसर और कानपुर का वह रुतबा नहीं रह गया है।
पिछड़ने लगी मुंबई
आजादी के बाद मुंबई ने दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से विस्तार किया। पिछली सदी के 70 दशक आते-आते आलम यह था कि जिस किसी को भी नौकरी की तलाश होती वह मुंबई का टिकट कटा लेता था। जॉब और करियर के मामले में मुंबई की यह बात बादशाहत 90 के दशक तक कायम रही। लेकिन 90 के दशक के मध्य में कंप्यूटर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे शब्द खास लोगों के दायरे से निकलकर आम युवाओं के रोजगार का हिस्सा बनने लगे तो एक और शहर धीरे-धीरे जॉब सीकर्स के सपनों में उभरने लगा। आज जॉब प्रदाता के मामले में इस शहर की पूरे देश में बादशाहत है। जी हां, आपने बिल्कुल सही समझा, हम बात कर रहे हैं बैंगलुरु शहर की। मुंबई का जॉब प्रदाता शहर के रूप में यूं तो 21वीं सदी के दूसरे दशक की शुरुआत से ही पतन होने लगा था। साल 2015-16 तक आते-आते मुंबई में नए उद्योग विशेषकर आईटी इंडस्ट्री ने तो अपनी जड़ें जमाई ही नहीं। यहां के सबसे मजबूत पारंपरिक फिल्म उद्योग का भी विकेंद्रीकरण होने लगा। जो तमाम क्षेत्रीय फिल्में पहले मुंबई में बना करती थी। अब गुवाहाटी, भुवनेश्वर, जयपुर और यहां तक कि राजकोट - अमृतसर जैसे शहरों में क्षेत्रीय सिनेमा चला गया और म्यूजिक इंडस्ट्री तो करीब करीब आधे से ज्यादा यहां से चली गई।
करियर का हब बना बैंगलुरु
एक वक्त था जब बेंगलुरु दक्षिण भारत का शहर होता था। लेकिन आज यह शहर मुंबई से भी दो कदम आगे बढ़कर अखिल भारतीय शहर बन गया है। यहां पूरे देश के युवा अपना करियर बनाने आते हैं। बैंगलुरु नई पीढ़ी के लिए करियर का हब हम बन गया है। खासकर उन युवाओं के लिए जो कंप्यूटर और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में अपना करियर बनाना चाहते हैं। आज की तारीख में बैंगलुरु देश का जॉब देने वाला नंबर वन शहर है और आज से नहीं पिछले 6-7 सालों से उसकी यही स्थिति बनी हुई है। सिर्फ जॉब के मामले में ही नहीं बैंगलुरु इस समय उच्च शिक्षा शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन के लिए उनकी पहली पसंद बना हुआ है। सही मायने में बैंगलुरु देश का आईटी क्षेत्र के लिए गुलाबी शहर रहा है और लगता है उसकी यह बादशाहत लंबे समय तक कायम रहेगी। देश के किसी भी कोने के युवाओं के लिए बैंगलुरु कई मायनों में एक आदर्श करियर सिटी बनकर उभरा है। उसकी कोई वजह हैं। एक बड़ी वजह तो यह है कि यहां करियर ग्रोथ की संभावना देश के किसी भी दूसरे शहर के मुकाबले 25 से 30 से ज्यादा है। खासकर आईटी सेक्टर के लिए तो यह संभावना बाकी शहरों से 30 से 35 फीसदी से भी ज्यादा है। एक और फायदा यह है कि आईटी क्षेत्र के तमाम यंग प्रोफेशनल यहां से बहुत आसानी से अमेरिका यूरोप या दुनिया के किसी भी दूसरे शहर में जॉब पा जाते हैं। एक तरह से आईडी वालों के लिए देश से बाहर जाने का भी बैंगलुरु सबसे अच्छा स्पॉट है। एक यहां का वातावरण और सभ्य शांत माहौल भी यहां करियर के लिए अच्छी संभावनाएं बनाता है। आज की तारीख में बैंगलुरु में पढ़े-लिखे प्रोफेशनल जॉब के मामले में अकेले पूरे देश की 35 फीसदी जॉब उपलब्ध कराता है।
ग्रो कर रहा गुरुग्राम
बेंगलुरु के बाद बहुत तेजी से एक और नया शहर उभरा है जिसका कैरेक्टर भी अखिल भारतीय होने लगा है। शायद जल्द ही यह भी अपनी अंतरराष्ट्रीय खूबीयां हासिल कर ले। यह शहर देश की राजधानी से सटा हुआ गुड़गांव ज्ञानी गुरुग्राम है। इसका एक विकास इसलिए भी ज्यादा चौंकाता है क्योंकि ना तो गुरुग्राम हरियाणा की राजधानी है और ना ही कुछ उसे कुछ उन बड़े शहरों जैसा स्वतंत्र कद हासिल है जैसे पुणे, अहमदाबाद को। बहरहाल, यह 90 दशक के बाद की आर्थिक प्रगति का ही नतीजा है कि कोलकाता और मुंबई जैसे पारंपरिक जॉब प्रदाता शहर अब बेंगलुरु और गुरुग्राम से टक्कर नहीं ले पा रहे हैं। वैसे आज भी जॉब देने और करियर की संभावनाओं के लिहाज से मुंबई तीसरे नंबर का शहर है। लेकिन जल्द ही दिल्ली इससे यह जगह छीन सकता है, क्योंकि दिल्ली में तेजी से नए कॉरपोरेट ऑफिस बन रहे हैं। जॉब और करियर को शेप देने के मामले में दिल्ली चौथे नंबर पर और सूरत पांचवे नंबर पर मौजूद है।