लैंगिक न्याय और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

लैंगिक न्याय भारत के संविधान में निहित सरकार की एक महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता है। लैंगिक न्यायपूर्ण समाज को प्रोत्साहन देने और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में कई कदम उठाए गए हैं।

भारत महिला-विकास से महिला-नीत विकास की ओर तेजी से होने वाले बदलाव को देख रहा है

इनमें आपराधिक कानूनों और घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005, दहेज निषेध अधिनियम, 1961, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006, महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986, महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956, सती निवारण आयोग अधिनियम, 1987, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में महिलाओं के लिए न्यूनतम 1/3 आरक्षण, केंद्रीय/राज्य पुलिस बलों में, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और सैनिक स्कूल, कमांडो फोर्स आदि में महिलाओं के लिए आरक्षण, महिलाओं को शामिल करने के प्रावधानों को सक्षम करना जैसे विशेष कानूनों का अधिनियम शामिल है।

महिला विकास की दिशा में सरकार का दृष्टिकोण

पिछले कुछ वर्षों में, भारत नए भारत की दृष्टि से महिला-विकास से महिला-नीत विकास की ओर तेजी से बदलाव देख रहा है। इस उद्देश्य से, सरकार ने शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण को शामिल करते हुए जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर महिलाओं के मुद्दों का समाधान करने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है, ताकि वे तेज गति और सतत राष्ट्रीय विकास में समान भागीदार बन सकें।

भारत में महिलाओं की भूमिका

भारत वर्तमान में दुनिया के उन 15 देशों में से एक है, जहां महिला राष्ट्राध्यक्ष हैं। विश्वस्तर पर, भारत में स्थानीय सरकारों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक है। भारत में वैश्विक औसत से 10 प्रतिशत अधिक महिला पायलट हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला एयरलाइन पायलट सोसायटी के अनुसार, विश्वस्तर पर लगभग पांच प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं। भारत में, महिला पायलटों की हिस्सेदारी काफी अधिक है, यानी 15 प्रतिशत से अधिक।

नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारत की सभी अनुसूचित एयरलाइनों और प्रमुख विमान पत्तन संचालकों को 2025 तक इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) पहल में भाग लेने के लिए एक सलाह जारी की है, जो एक उद्योग-व्यापी विविधता और समावेशन परियोजना है। इसका उद्देश्य है वर्तमान में रिपोर्ट किए गए मेट्रिक्स के मुकाबले वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की संख्या 25 प्रतिशत तक बढ़ाएं या 2025 तक न्यूनतम 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व प्रदान करें। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने संगठन के कामकाज के लिए मौलिक संवेदनशील डोमेन में महिला भागीदारी को सक्षम किया है जैसे हवाई यातायात नियंत्रण, अग्निशमन सेवाएं, विमानपत्तन संचालन। एएआई द्वारा आयोजित सीधी भर्ती प्रक्रिया में महिला उम्मीदवारों को शुल्क में और छूट दी गई है।

प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) लगभग लड़कों के बराबर है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में लड़कियों/महिलाओं की उपस्थिति 43 प्रतिशत है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। विज्ञानज्योति को 9वीं से 12वीं कक्षा तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं में लड़कियों के कम प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिए 2020 में लॉन्च किया गया था। 2017-18 में शुरू हुई ओवरसीज फेलोशिप योजना भारतीय महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को एसटीईएम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगात्मक अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करती है। कई महिला वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम), या मंगलयान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण भी शामिल है।

इसके अलावा, भारत सरकार ने विभिन्न व्यवसायों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाबद्ध और विधायी हस्तक्षेप किए हैं और सक्षम प्रावधान बनाए हैं। कौशल भारत मिशन के तहत महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए, हाल ही में अधिनियमित श्रम संहिताओं में कई सक्षम प्रावधान शामिल किए गए हैं। महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाने के लिए वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम कृषि वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है, "किसान कॉल सेंटर" योजना किसानों के प्रश्नों का उनकी अपनी भाषा में टेलीफोन कॉल पर उत्तर देती है। यह किसान सुविधा, कृषि बाजार, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल, उमंग (यूनिफाइड मोबाइल) जैसे मोबाइल एप्लिकेशन के लिए कार्यरत हैं। ये डिजिटल नवाचार महिलाओं को बाजारों तक पहुंचने के क्रम में आने वाली बाधाओं को दूर करने या उनकी भरपाई करने में मदद कर रहे हैं।

क्या है मिशन शक्ति?

भारत सरकार "मिशन शक्ति" लागू कर रही है, जिसके दो घटक हैं, संबल और समर्थ। "संबल" के अंतर्गत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्प लाइन और नारी अदालत जैसे घटक संचालित हैं। "समर्थ्य" उप-योजना है, जिसके घटकों में प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना, शक्ति सदन, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए केंद्र, सखी निवास यानी कामकाजी महिला छात्रावास, पालना, आंगनवाड़ी सह क्रेच शामिल हैं।

प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इत्यादि जैसी किसान कल्याण योजनाएं महिला किसानों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाती हैं। इन पहलों के माध्यम से सरकार कृषि विस्तार सेवाओं सहित उत्पादक संसाधनों तक कृषक महिलाओं की पहुंच में सुधार कर रही है, जिससे ग्रामीण महिलाओं के जीवन में समग्र सुधार आ रहा है।

राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम महिला सहकारी समितियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएं खाद्यान्न प्रसंस्करण, पौधा-रोपी फसलों, तिलहन प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन, कताई मिलों, हथकरघा और से संबंधित गतिविधियों से निपटने वाली सहकारी समितियों में संलग्न हैं। इनमें पावरलूम बुनाई, एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाएं आदि शामिल हैं।

महिला सशक्तिकरण और वोकल फॉर लोकल

सरकार की प्रमुख योजना दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत, लगभग 90 लाख महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) समूह कार्यरत हैं, जिनमें लगभग 10 करोड़ महिला सदस्य हैं। इनके द्वारा महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के संबंध में ग्रामीण परिदृश्य को बदला जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत लगभग 40 मिलियन घरों में से अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं। इन सबसे वित्तीय निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। 'वोकल फॉर लोकल' का महिला सशक्तिकरण से बहुत बड़ा संबंध है, क्योंकि ज्यादातर स्थानीय उत्पादों की ताकत महिलाओं के हाथ में है।

सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व

सरकार ने सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सक्षम प्रावधान किए हैं, जैसे युद्धक पायलटों जैसी भूमिकाओं सहित महिलाओं को स्थायी कमीशन देना, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देना, सैनिक स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देना आदि। भारतीय वायु सेना में महिला अधिकारियों को सभी शाखाओं और धाराओं में शामिल किया जाता है। भारतीय वायु सेना ने पहली बार अग्निपथ योजना के तहत महिलाओं को अग्निवीरवायु के रूप में अन्य रैंकों में शामिल किया है। वर्तमान में 154 महिला अभ्यर्थी प्रशिक्षण ले रही हैं।

सरकार ने विभिन्न महिला केंद्रित पहल भी की हैं, जो सरकारी सेवा में अधिक महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकती हैं। इनमें अन्य बातों के अलावा बाल देखभाल अवकाश (सीसीएल) का लाभ उठाना, मुख्यालय छोड़ना और सीसीएल के दौरान विदेश यात्रा पर जाना, विकलांग महिला कर्मचारियों को बच्चे की देखभाल के लिए 3000 रुपए प्रति माह की दर से विशेष भत्ता शामिल है। इसके अलावा उत्तर पूर्व कैडर की अखिल भारतीय सेवा की महिला अधिकारियों के लिए विशेष छूट, कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकार महिला सरकारी कर्मचारियों को 90 दिनों तक की छुट्टी, महिलाओं को प्रतियोगी परीक्षा से शुल्क में छूट, एक ही स्टेशन पर पति और पत्नी की पोस्टिंग आदि का भी प्रावधान किया गया है।

राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को महिला बस ड्राइवरों, कंडक्टरों और पर्यटक गाइडों की संख्या बढ़ाने की भी सलाह दी गई है। इसके अलावा, सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस कर्मियों की कुल संख्या में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 33 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह भी जारी की है।

महिला नेताओं की संख्या बढ़ी

सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी है। आजादी के बाद देश में पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में 81 महिलाएं लोकसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। पंचायती राज संस्थाओं में 1.45 मिलियन या 46 प्रतिशत से अधिक महिला निर्वाचित प्रतिनिधि हैं (33 प्रतिशत के अनिवार्य प्रतिनिधित्व के मुकाबले)। भारत के संविधान में 73वें और 74वें संशोधन (1992) ने महिलाओं के लिए पंचायतों और नगर पालिकाओं में 1/3 सीटों का आरक्षण किया था।

लोकसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा सहित राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए महिला सशक्तिकरण और देश के सर्वोच्च राजनीतिक कार्यालयों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए सबसे बड़ी छलांग सरकार द्वारा 28 सितंबर, 2023 को नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 (106वां संविधान संशोधन) अधिनियम, 2023 की अधिसूचना है। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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English summary
Gender justice is an important commitment of the government enshrined in the Constitution of India. Several steps have been taken by the government over the years to promote a gender just society and increase the representation of women in various fields. These include the Protection of Women from Criminal Law and Domestic Violence Act, 2005, Dowry Prohibition Act, 1961, Child Marriage Prohibition Act, 2006, Indecent Representation of Women (Prohibition) Act, 1986, Sexual Harassment of Women (Prevention, Prohibition and Redressal) Act. , 2013, Immoral Traffic (Prevention) Act, 1956, Sati Prevention Commission Act, 1987, Protection of Children from Sexual Offenses Act, 2012, Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015, Women in Panchayati Raj Institutions (PRIs) Minimum 1/3rd reservation for women in central/state police forces, reservation for women in National Defense Academy (NDA) and Sainik Schools, Commando Forces etc., including enactment of special laws enabling provisions for inclusion of women .
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