Mission Divyastra Kya hai: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया। मिशन दिव्यास्त्र नाम का यह उड़ान परीक्षण ओडिशा के डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। विभिन्न टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों ने कई पुन: प्रवेश वाहनों को ट्रैक और मॉनिटर किया। मिशन ने डिज़ाइन किए गए मापदंडों को पूरा किया।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई युद्ध प्रमुखों को तैनात कर सकती है। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परियोजना निदेशक एक महिला है और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है।
यह प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणालियों और उच्च सटीकता सेंसर पैकेजों से सुसज्जित है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पुन: प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें। यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति का प्रतीक है। पीएम मोदी ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ वैज्ञानिकों की सराहना की।
एमआईआरवी टेक्नोलॉजी क्या है?
एमआईआरवी (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल) तकनीक एक मिसाइल को कई स्थानों पर निशाना साधने में सक्षम बनाती है, जो कई सौ किलोमीटर दूर हो सकते हैं। अग्नि मिसाइल, एमआईआरवी क्षमताओं से बनी हैं और परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन की गई है। इन मिसाइलों की मारक क्षमता 5,000 किमी से अधिक की रेंज तक है। इसे लंबी दूरी की मिसाइल के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से चीन से संभावित खतरों का मुकाबला करना है।
वर्तमान में, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के पास एमआईआरवी तकनीक से लैस मिसाइलें होने का दावा किया गया है। इन मिसाइलों को भूमि-आधारित प्लेटफार्मों या पनडुब्बियों जैसे समुद्र-आधारित प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है। जबकि पाकिस्तान अपनी एमआईआरवी-सुसज्जित मिसाइल प्रणाली विकसित करने की प्रक्रिया में है। इज़राइल के पास एमआईआरवी टेक्नोलॉजी के मिसाइस होने की बात पर संदेह है। रिपोर्ट्स की मानें तो या तो इजराइल के पास पहले से ही ऐसी मिसाइल है या वह सक्रिय रूप से इसके विकास पर काम कर रहा है।
मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जटिल मिशन के संचालन में भाग लेने वाले डीआरडीओ वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्वीटर) पर उन्होंने लिखा, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है। मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसे असाधारण सफलता बताते हुए वैज्ञानिकों और पूरी टीम को बधाई दी है।
भारत की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल के पहले उड़ान परीक्षण- मिशन दिव्यास्त्र की सफलता पर बधाई दी है। उपराष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' के एक पोस्ट में कहा, "मिशन दिव्यास्त्र की सफलता पर बधाई! डीआरडीओ की यह अभूतपूर्व उपलब्धि भारत के समग्र विकास पथ के अनुरूप है। मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं और नवाचार की भावना का प्रमाण है।"