UPSC Success Story: विपरीत परिस्थितियों पर विजय, कुछ ऐसी ही है गोविंद जयसवाल की प्रेरणादायक यूपीएससी यात्रा

UPSC IAS Success Story: आपने अपने आस-पास बड़े बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि जीवन का सबसे अच्छा सबक अक्सर विपरीत परिस्थितियों से ही मिलता है। जिन लोगों ने जीवन के तूफ़ानों का सामना किया है वे यूं ही सफल नहीं होते; वे जीवंत रंगों में विजय पाते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय अदम्य मानवीय भावना का प्रमाण है, जो चुनौतियों का सामना करने में एक व्यक्ति के साहस को प्रदर्शित करती है।

आज हम भी ऐसे ही एक साहसी, प्रतिभाशाली व्यक्ति के जीवन और उनके संघर्ष की कहानी जानेंगे। ये संघर्ष कोई ऐसा वैसा संघर्ष नहीं, ये उनके यूपीएससी यात्रा की कहानी है। यह उनके विपरीत परिस्थितियों में हार ना मान कर देश की सेवा करने के लिए एक आईएएस अधिकारी बनने की कहानी है। आइए जानते हैं आईएएस गोविंद जयसवाल की यूपीएससी की यात्रा कैसी रही?

...जब 22 साल में मिली यूपीएससी की जीत

जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में बाधाओं, असफलताओं और कठिनाइयों को दूर करने के लिए लड़ता है तो अंततः मजबूती से उभर कर जीत अपने नाम कर ही लेता है। आईएएस गोविंद जयसवाल की कहानी इस दर्शन के प्रमाण के रूप में खड़ी है। साधारण शुरुआत से उठकर, उन्होंने न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की बल्कि एक आईएएस अधिकारी के प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने में भी सफलता हासिल की।

वाराणसी की गलियां और रिक्शा की कहानियां

वाराणसी में जन्मे गोविंद के पिता रिक्शा चलाते थे। उन्होंने अद्भुत दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए 35 रिक्शों का बेड़ा बनाया था। हालांकि, उनके परिवार में त्रासदी तब हुई जब 1995 में गोविंद की माँ गंभीर रूप से बीमार पड़ गईं। उनके इलाज के लिए, गोविंद के पिता को अपने 20 रिक्शा बेचने पड़े। हालांकि इन सबसे बावजूद गोविंद की मां का निधन हो गया।

अपने गाँव के एक सरकारी स्कूल और एक निचले स्तर के संस्थान में पढ़ने के बावजूद, उन्होंने यूपीएससी आईएएस को अपना लक्ष्य बनाया और उनका मानना था कि अगर वे कड़ी मेहनत करेंगे और उचित रणनीति का इस्तेमाल करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। और ऐसा ही हुआ। हजारों परिस्थितियों के बावजूद उनका हौसला कहीं से भी कम नहीं हुआ।

गोविंद के सपनों के लिए पिता का बलिदान

कठिनाइयों से घबराए बिना, गोविंद के पिता अपने बेटे की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहें। स्कूली और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान गोविंद का समर्थन करने के लिए उन्होंने अपना रिक्शा चलाना जारी रखा। गोविंद के पिता द्वारा किये गये बलिदान बहुत बड़े थे, लेकिन प्रतिबद्धता अटल थी। उन्होंने हमेशा चाहा कि गोविंद पढ़ लिख कर अपने किस्मत खुद लिखें। गोविंद ने पिता के सपनों की जी जान से पूरा करने के हर संभव प्रयास किया।

यूपीएससी ड्रीम्स और दिल्ली प्रवास

स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद गोविंद की यूपीएससी की यात्रा शुरू हुई। देश के प्रतिष्ठित पदों में से एक आईएएस अधिकारी बनने का सपना लिए गोविंद दृढ़ संकल्पित होकर, वर्ष 2004 या 2005 में अपनी कठिन यूपीएससी तैयारी यात्रा शुरू करने के लिए दिल्ली चले गये। गोविंद ने उस वक्त के पिता का भार अपने कंधों पर लेने का निर्णय ले लिया था। गोविंद ने देश के सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया, जिससे उनमें आत्मविश्वास जगा और उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का ठान लिया।

...जब 22 साल में मिली यूपीएससी की जीत

2006 में, 22 साल की उम्र में, गोविंद ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास करके 48 की अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) हासिल की। महज 22 वर्ष की उम्र में आईएएस अधिकारी बनने के साथ ही गोविंद ने एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। उनकी सफलता अटूट दृढ़ संकल्प और निरंतर कड़ी मेहनत की शक्ति को दर्शाती है। गोविंद हिन्दी मीडियम के छात्र रहे हैं और हिन्दी मीडियम के छात्रों के लिए यूपीएससी में रैंक हासिल करना बेहद खास बात है। गोविंद ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के दौरान वैकल्पिक विषय के रूप में दर्शन और इतिहास विषय को चुना था।

"अब दिल्ली दूर नहीं"

गोविंद की असाधारण यूपीएससी यात्रा ने ना जाने कितने की नवयुवाओं और यूपीएससी उम्मीदवारों को प्ररित किया है। गोविंद की जीवन और यूपीएससी क्रैक करने एवं आईएएस अधिकारी बनने की यात्रा को सिल्वर स्क्रीन पर भी उतारा गया। बीते वर्ष अर्थात 2 मई, 2023 को रिलीज़ हुई हिंदी फिल्म "अब दिल्ली दूर नहीं" में उनके जीवन की कहानी को प्रदर्शित किया गया। इस फिल्म में इमरान जाहिद मुख्य भूमिका में थे।

गोविंद जयसवाल का जीवन उनके कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और अटूट साहस का प्रतीक है। उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि, प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, कोई न केवल सहन कर सकता है बल्कि विजयी होकर उभर सकता है, सफलता के कैनवास को जीवंत रंगों से चित्रित कर सकता है।

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English summary
UPSC IAS Success Story: You must have heard the elders around you saying that the best lessons of life often come from adverse circumstances. People who have weathered the storms of life do not become successful just like that; They win in vibrant colors. Triumph over adversity is a testament to the indomitable human spirit, demonstrating an individual's courage in the face of challenges. Today we will also know the story of the life and struggle of one such courageous, talented person. This struggle is not just any struggle, this is the story of his UPSC journey. This is the story of him not giving up in the face of adversity and becoming an IAS officer to serve the country. Let us know how was the journey of IAS Govind Jaiswal to UPSC?
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