उत्तर प्रदेश में करोड़ों लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को माना जाता है। इसी बात पर जोर देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मंगलवार को सीएम और पीएम इंटर्नशिप प्रोग्राम की बात की, जिसके माध्यम से उन्हें 7.5 लाख युवाओं को नौकरी प्रदान की जाने की योजना बनाई गई है।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने एमएसएमई के विकास पर मंगलवार को लोक भवन में कहा कि एमएसएमई विभाग को एमएसएमई क्लस्टर को विकसित करने के लिए पूर्वांचल, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे की भूमि को चिन्हित करें। बता दें कि राज्य सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार योगी ने ये बात अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस-2023 के अवसर में लखनऊ लोक भवन में आयोजित हुए ऋण वितरण कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा था।
एमएसएमई के विकास को तेज करने के लिए योगी ने संबंधित अधिकारियों से बात की, जिसके अनुसार उन्होंने लखनऊ, आगरा, वाराणसी यूनिटी मॉल की स्थापना को आगे बढ़ाने के साथ एमएसएमई उद्यमियों को उनकी आवश्यकता के अनुसार सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए कहा।
इतना ही नहीं इन एमएसएमई के विकास के लिए करीब 3.41 लाख उद्यमियों को एक साथ कुल 20,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है।
लखनऊ में आयोजित इस बैंकों के इस ऋण वितरण कार्यक्रम के तहत ऋण वितरण किया गया है। बता दें कि एमएसएमई क्षेत्र कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है। इसलिए इसके विकास की दिशा में यूपी सरकार काम कर रही है। इस कार्यक्रम में योगी ने कहा कि "ऋण वितरण कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 3.41 लाख एमएसएमई उद्यमियों को एक साथ ऋण वितरित किया जा रहा है। कृषि के बाद यह क्षेत्र सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला है। एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों ने इस क्षेत्र में नई जान फूंककर यूपी को एक नई पहचान दी है।"
इसी में आगे बात करते हुए वह कहते हैं कि "एक समय था जब उत्तर प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर मौत के मुंह में था। सरकार से सहयोग की कमी के कारण, इस क्षेत्र के उद्यमी हताश और निराश हो गए थे। हालांकि, पिछले छह वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से, हमारी सरकार लगभग 96 लाख एमएसएमई इकाइयाँ चला रही है, जो करोड़ों लोगों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में काम करती है।"