Universities to allow students to write exams in local languages: हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा एक नोटिस जारी कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। दरअसल, इस नोटिस के माध्यम से यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने विश्वविद्यालयों के सभी कुलपतियों से छात्रों को स्थानीय भाषाओं में परीक्षा लिखने की अनुमति देने के लिए कहा। नोटिस के माध्यम से यह कहा गया कि भले ही पाठ्यक्रम अंग्रेजी में क्यों न हो छात्रों को अपनी परीक्षा स्थानीय भाषाओं में लिखने की अनुमति दी जाये।
यूजीसी की ओर से 19 अप्रैल 2023 बुधवार को उक्त नोटिस जारी किया गया। इसमें नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत शिक्षण संस्थानों में भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार और नियमित उपयोग की बात कही गई है।
नोटिस के माध्यम से कहा गया, राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा/स्थानीय भाषाओं में शिक्षण और निर्देश के महत्व पर जोर देती है। नई शिक्षा नीति बेहतर संज्ञानात्मक प्राप्ति और विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व के विकास के लिए सभी भाषाओं में संचार को अनुकूलित करने की आवश्यकता पर जोर देती है।
नोटिस में हर राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों को संबोधित किया गया। इसके अतिरिक्त नोटिस में स्थानीय भाषाओं में शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने की बात भी कही गई है। इससे छात्रों, खास तौर पर सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों और समूहों को लाभ प्राप्त हुआ है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इससे उन्हें और लाभ प्राप्त होगा।
नोटिस में आगे कहा गया है कि पाठ्यपुस्तकों में उच्च शिक्षा प्रणाली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। और नई शिक्षा प्रणाली मातृभाषा या स्थानीय भाषाओं में शिक्षा की प्रक्रिया का समर्थन भी करती है। इसलिए, इन प्रयासों को मजबूत करना और ऐसी पहलों को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि समाज के हर वर्ग के छात्रों का विकास आवश्यकता अनुसार हो सके।
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा, मातृभाषा या स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों को लिखने और अन्य भाषाओं से मानक पुस्तकों के अनुवाद सहित शिक्षा में उनके उपयोग को प्रोत्साहित करने जैसी पहल को बढ़ावा देना आवश्यक है। कुमार ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से स्थानीय भाषाओं में मूल लेखन के अनुवाद को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
एम जगदीश कुमार ने कहा, आयोग अनुरोध करता है कि आपके विश्वविद्यालय में छात्रों को परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं में उत्तर लिखने की अनुमति दी जाए।
मालूम हो कि यूजीसी पूरे भारत में वाणिज्य, मानविकी और विज्ञान सहित सभी विषयों में क्षेत्रीय भाषाओं में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एक रोडमैप की योजना बना रहा था। पिछले साल दिसंबर में, कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशकों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और भारतीय भाषा पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना के हिस्से के रूप में उनकी पुस्तकों के अनुवाद पर चर्चा की।
केवल विश्वविद्यालयों में ही नहीं, केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली सरकारी परीक्षाओं के लिए भी स्थानीय भाषाओं में परीक्षा आयोजित करने पर जोर दे रही है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने मंगलवार को कर्मचारी चयन आयोग मल्टीटास्किंग (गैर-तकनीकी) स्टाफ (एसएससी एमटीएस) परीक्षा, 2022 और सीएचएसएलई परीक्षा, 2022 को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित करने के निर्णय को मंजूरी दे दी।
यहां तक कि 2023-2024 के केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय संस्थानों के लिए 300.7 करोड़ का अलग बजट रखा था, 2022-23 से 20 प्रतिशत की वृद्धि, और भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) योजना के लिए फंड को दोगुना कर दिया था।