Foreign Universities to Set up Campuses in India: भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को आम बजट 2023-24 की पेशकश की गई थी। जिसमें वर्ल्ड क्लास शिक्षा के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए बजट पेश किया गया था। उच्च स्तरीय शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए और भारतीय छात्रों को वर्ल्ड क्लास शिक्षा प्रदान करने के लिए ये कदम उठाया गया है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए देखा जाता है कि कई भारतीय छात्र विदेश के विश्वविद्यालयों की तरफ अपना रुख करते हैं लेकिन यदि ये अवसर उन्हें भारत में ही प्राप्त हो तो क्या ही बात होगी।
भारतीय सरकार उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपसों की स्थापना को लेकर बहुत अधिक जोर दे रही है, इससे ना केवल दो देशों के बीच के संबंध मजबूत होंगे बल्कि इन संस्थानों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।
जब विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपसों की स्थापना भारत में की जाएगी तो विदेश जाकर पढ़ने और रहने का छात्रों का खर्चा कम हो जाएगा इससे शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और भारतीय अर्थव्यवस्था भी बूस्ट होगी। विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ कोलेबोरेशन को लेकर भारत सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है। हाल ही में आई जानकारी के अनुसार अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कई टॉप विश्वविद्यालय है, जिन्होंने भारत में कैंपस स्थापित करने को लेकर अपनी रुचि व्यक्त की है।
जनवरी में हुआ था विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस को खोलने का ड्राफ्ट जारी
उच्च शिक्षा नियामक ने जनवरी 2023 में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस को भारत में खोलने की अनुमति देने वाले ड्राफ्ट को जारी किया था। जारी इस ड्राफ्ट में भारत में खोले जाने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की प्रवेश प्रक्रिया और ट्यूशन फीस को तय करने के स्वायत्तता इन विश्वविद्यालयों को पास होनी चाहिए, ऐसी मांग की गई थी। जिसमें आवश्यक बदलाव किये गये थे।
कब तक हो सकती है भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना
एक शीर्ष सरकारी अधिकारी द्वारा न्यूज 18 को दी गई जानकारी के अनुसार विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने वाले नियमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के बाद 15 जुलाई तक जारी किया जाएगा। इस जानकारी को यूजीसी इंडिया ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया है।
बता दें कि यूजीसी द्वारा ड्राफ्ट रेगुलेशन तैयार किया जा रहा है, जिसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक, भारत के प्रमुख मंत्रालय जैसे गृह मंत्रालय, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और विभिन्न एजेंसियों के साथ परामर्श किया जा रहा है। ये परामर्श अपने अंतिम चरण पर है।
यूजीसी अध्यक्ष ने विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना को लेकर क्या कहा
यूजीसी द्वारा तैयार किये जा रहे ड्राफ्ट रेगुलेशन पर यूजीसी अध्यक्ष ममीडाल जगदीश कुमार ने कहा कि "फिलहाल हम सरकार के साथ विचार-विमर्श के अंतिम चरण में है, जिसमें दिए गए सुझावों पर स्पष्टीकरण की मांग और अंततः कानून बनने से पहले नियमों की समीक्षा करना शामिल है। इस संबंध में हम पहले ही विदेशी दूतावास और विश्वविद्यालयों से इनपुट ले चुके हैं।"
यूजीसी अध्यक्ष ने आगे इस विषय में बात करते हुए कहा कि "अमेरिका से, नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी, बोस्टन, वेस्टर्न गवर्नर्स यूनिवर्सिटी, यूटा, इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, और टेक्सास यूनिवर्सिटी, सैन एंटोनियो और पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडलों ने यूजीसी में हमसे मुलाकात की और विश्वविद्यालयों के साथ अकादमिक सहयोग में गहरी रुचि व्यक्त की। जबकि उनमें से कुछ भारत में अपने कैंपस को स्थापित करने में रुचि ले सकते हैं"।
यूजी अध्यक्ष द्वारा आधिकारिक ट्विटर से विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना के संदर्भ में एक ट्वीट किया गया है। ट्वीट में लिखा गया है - विदेशी विश्वविद्यालयों को 15 जुलाई तक भारत में कैंपस स्थापित करने की अनुमति देने वाले यूजीसी के ड्राफ्ट नियमों को 'अंतिम रूप' दे दिया गया है।
विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना के जनवरी में जारी हुए ड्राफ्ट के अनुसार
1. भारत में विदेशी विश्वविद्यालय के कैंपस की स्थापना 10 साल के लिए की जाएगी।
2. कैंपस में पढ़ाई ऑफलाइन मोड में की जाएगी।
3. ऑनलाइन कोर्स की शिक्षा कैंपस में उपलब्ध नहीं करवाई जाएगी।
4. विश्वविद्यालयों को मंजूरी मिलने के 2 साल के भीतर कैंपस की स्थापना करनी होगी।
5. भारतीय छात्रों के साथ विदेशी छात्र भी यहां पढ़ सकते हैं।
6. ग्लोबल लेवल पर टॉप 500 की रैंकिंग में शामिल यूनिवर्सिटी भी भारत आ सकती है।