Top 5 UPSC Success Story: संघ लोक सेवा आयोग ने हाल ही यूपीएससी सिवल सेवा 2021 का फाइनल रिजल्ट जारी किया। यूपीएससी रिजल्ट में भारत के लगभग सभी राज्यों में से कई आईएएस अधिकारियों का चयन किया गया। देश की सबसे कठिन परीक्षा माने जाने वाली यूपीएससी की तैयारी का तरीका और चुनौतियां वक्त के साथ बहुत बदल गया है। तब सुविधाएं कम थीं और सलेक्शन भी। अब सुविधाएं ज्यादा हैं और सलेक्शन भी। 22 साल पहले छत्तीसगढ़ में यूपीएससी की तैयारी का कोई माहौल नहीं था। कोचिंग तो दूर तब यहां यूपीएससी की तैयारी के लिए किताबें तक नहीं मिलती थीं। उम्मीदवारों को दिल्ली जाकर किताबें लेनी पड़ती थीं या डाक से मंगवाते थे। कोई गाइड करने वाला नहीं था। अच्छी लाइब्रेरी भी नहीं थी। जो छोटी सी लाइब्रेरी थी वो इतनी दूर थी कि 10 से 12 किलोमीटर साइकिल चलाकर वहां जाना पड़ता था।
अब स्थिति एकदम बदल गई है। अब यहां यूपीएससी की तैयारी का अच्छा माहौल है। सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए शहर के बीचों-बीच नालंदा जैसी विश्वस्तरीय लाइब्रेरी है। स्टडी मटेरियल इतना ज्यादा है कि उम्मीदवारों को सलेक्ट करके पढ़ना पड़ता है। यही नहीं, इंटरनेट में भी क्वालिटी कंटेंट की भरमार है। इस एग्जाम में सफलता हासिल कर चुके हजारों उम्मीदवारों के वीडियो इंटरव्यू हैं, जिससे युवाओं को जरूरी गाइडेंस भी निशुल्क मिल रहा है। युवाओं को इतना कॉन्फिडेंस आ चुका है कि अब वो दिल्ली जाकर पढ़ने के बजाय शहर में ही रहकर तैयारी कर रहे हैं और परीक्षा में कामयाब भी हो रहे हैं। राज्य में टॉप पोजिशन हासिल करने वाली श्रद्धा शुक्ला, अक्षय पिल्लै, दिव्यांजलि जायसवाल और प्रतीक अग्रवाल जैसे उम्मीदवारों ने रायपुर में रहकर ही परीक्षा की तैयारी की है। आइए जानते हैं इनकी सफलता की कहानी।
आईएएस अक्षय पिल्लै
51वीं रैंक हासिल करने वाले अक्षय पिल्लै ने बताया, मैंने एनआईटी रायपुर से बीटेक करने के बाद साल 2017 से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। यूपीएससी की तैयारी करनी थी इसलिए कैंपस प्लेसमेंट में भी शामिल नहीं हुआ। यह मेरा चौथा प्रयास था। तीन बार जब परीक्षा में नाकाम रहा तब पैरेंट्स ने मोटिवेट किया। हर बार अपने आप को इंप्रूव करता गया। तीसरे प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंचा। सिर्फ दो नंबर से चूका। रोज 8 से 10 घंटे पढ़ता। स्टडी मटेरियल को लेकर कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। नोट्स खुद बनाता था। यूट्यूब पर उपलब्ध फ्री क्लासेस के वीडियो देखे। करंट अफेयर्स के स्टडी मटेरियल भी ऑनलाइन ज्यादा पढ़ता था। हर संडे ऑलाइन मॉक टेस्ट देता था। लगातार प्रैक्टिस के कारण कामयाबी मिली।
रायपुर के पहले IAS... अखबार की मदद से नोट्स बनाते थे
आईएएस विवेक ढांड
रायपुर के पहले आईएएस विवेक ढांड ने बताया, यूपीएससी में मेरा चयन 1980 में हुआ। तब रायपुर में न तो कोई कोचिंग सेंटर था, न अच्छी लाइब्रेरी। मैंने अपने पैरेंट्स और गुरुओं की मदद से तैयारी की। एक अंग्रेजी अखबार, एक सरकारी और एक मैग्जीन की मदद से करंट अफेयर, पॉलिटिक्स, इंटरनेशनल इश्यू के नोट्स बनाए। इनकी कटिंग रखता था। मेरा मानना है कि आज भी यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग की आवश्यकता नहीं है। आप 8-10 घंटे रोजाना पढ़कर टॉप रैंक हासिल कर सकते हैं। एक सवाल के जवाब में बोले- आज सारा मटेरियल ऑनलाइन उपलब्ध है। ढेर सारी किताबें हैं, मगर कॉम्पिटीशन तब भी था आज भी है।
आईएएस डॉ आलोक शुक्ला
1986 बैच के आईएएस डॉ आलोक शुक्ला ने बताया, 1984-85 में मैंने तैयारी शुरू की थी। रायपुर में पढ़ाई के लिए किताबें नहीं मिल पाती थीं। तब मैं एमएस सर्जन की पढ़ाई भी कर रहा था। तब यूपीएससी में मेडिकल के पेपर अलाउ नहीं थे। मैंने बायाेलाॅजी के साथ हिस्ट्री का भी एग्जाम दिया। डीकेएस हॉस्पिटल में मेरी नाइट ड्यूटी होती थी। तैयारी के लिए रात में बुक लेकर जाता था। रविवि और विवेकानंद आश्रम की लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ता। जनरल नाॅलेज की तैयारी टीवी पर आने वाली न्यूज से करता था। मेरे पिता कृषि विवि में प्रोफेसर थे। छेड़ीखेड़ी में ही विवि की कॉलोनी में हम रहते थे। पढ़ाई के लिए रोज 12 किमी रविवि जाता और 12 किमी वापस अाता था। मैं खुशनसीब था कि पिता जी ने मुझे सायकल दिलवा दी थी। उस जमाने में हमारे जैसे युवाओं को भी साइकिल भी मुश्किल से नसीब होती थी। डॉ अली मुझे गाइड करते थे। विवेक ढांढ मेरे सीनियर रहे हैं। उन्हें आदर्श भी मानता हूं।
आईएएस ओपी चौधरी
2005 बैच के पूर्व आईएएस ओपी चौधरी ने बताया, मैंने जब तैयारी शुरू की तो तब छत्तीसगढ़ नया राज्य बना था। यहां यूपीएससी का कोई सफल कैंडिडेट नहीं मिलता था। फायनल सलेक्शन तो दूर प्री, मेंस क्लीयर करने वाले नहीं मिलते थे। मैं तब रायपुर सदर बाजार और भिलाई की किताब दुकान जाता तो यूपीएससी की तैयारी के लिए किताबें नहीं मिलती थीं। मैं जब 18 साल का था तब दिल्ली, मसूरी एकेडमी देखने गया। दिल्ली की किताब दुकान में मैंने जो किताबें मांगी वो मिनटों में मेरे सामने थीं। किताब दुकानदार अनिल कुमार ने मुझसे पूछा कि तुम क्या करोगे इन किताबों का? मैंने कहा, आईएएस की तैयारी करूंगा। वो इंप्रेस हुए और अपना नंबर देते हुए बोले- कोई भी बुक की जरूरत हो कॉल कर देना। मैं डाक से भेज दूंगा। अब राज्य में तैयारी का अच्छा माहाैल है। गांव की दुकानाें में भी किताबें हैं। जिस गांव में रह रहा हूं वहां 10वीं पास करने वाले छोटे छोटे बच्चे भी यह पूछने आतेे हैं कि तैयारी कैसे करें, क्या करें। पैरेंट्स में भी जागरूकता आई है।
आईएएस प्रतीक अग्रवाल
156वीं रैंक हासिल करने वाले प्रतीक अग्रवाल ने बताया, तैयारी के लिए ज्यादातर स्टडी मटेरियल ऑनलाइन मिल गया। शुरुआत में कोचिंग के लिए दिल्ली गया था लेकिन वापस आ गया। सभी बुक पीडीएफ के तौर पर मोबाइल में ही पढ़ता था। कोचिंग से भी नोट्स डिजिटल फॉर्मेट में ही मिले। ऑनलाइन टेस्ट भी दिए। कॉलेज के समय सोशल मीडिया से जुड़ा था लेकिन इसे भी धीरे धीरे बंद कर दिया। सोशल मीडिया यूज करना एकदम से बंद नहीं किया। थोड़ा-थोड़ा कम करते गया और फिर बंद कर दिया। पढ़ाई के दौरान सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि ऑनलाइन ढेर सारा कंटेंट है, उनमें से सही और अच्छा कंटेंट क्या है, ये पहचानने में समय लगा। मैं इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हूं। यूपीएससी के लिए ह्यूमैनिटी की तैयारी करना थोड़ा चैलेंजिंग था। कोविड सबसे बड़ी चुनौती थी। मम्मी और पापा एम्स में एडमिट हो गए थे। मुझे भी कोरोना हो गया था। इससे मेंटली परेशान था।
आईएएस दिव्यांजलि जायसवाल
मोहबा बाजार में रहने वाली दिव्यांजलि जायसवाल को ऑल इंडिया 216 रैंक मिली है। उन्हाेंने बताया, 2018 में एनआईटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद मैंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी। यह तीसरा प्रयास था। इससे पहले दो बार इंटरव्यू तक पहुंची थी। शुरुआत में मैंने दिल्ली में कोचिंग की। कोविड से पहले रायपुर आ गई थी। यूपीएससी की पढ़ाई के लिए बहुत सारे मटेरियल थे इसलिए सलेक्टिव सब्जेक्ट और टॉपिक पर फोकस होकर पढ़ाई की। एनसीईआरटी की बुक और न्यूज पेपर पढ़ती थी। मैंने पूरी पढ़ाई ऑनलाइन ही की। ऑनलाइन टेस्ट भी दिए। घर में ही पढ़ाई करती थी। ऑनलाइन देखकर कॉपी में नोट्स बनाती थी। रोज 8 घंटे और एग्जाम के दिनों में 14 घंटे तक पढ़ाई की। सोशल मीडिया और वॉट्सएप तक से दूर थी। इसके कारण बहुत सारे दोस्तों और रिश्तेदारों से भी दूर हो गई। 3 साल में मैंने कोई फिल्म नहीं देखी है। एक-दो शादी ही अटैंड की हाेगी। सेल्फ माेटिवेशन और पैरेंट्स के सपोर्ट से आगे बढ़ी। पिता डॉ अशोक साइंस कॉलेज से रिटायर्ड प्राेफेसर हैं।