बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले साधारण कर्मचारियों से लेकर टॉप पोज़ीशन पर बैठे लोग जब बिना किसी वीकली ऑफ के, राउंड द क्लॉक काम करते हैं, और आउटपुट में ज़रा भी कमी रह जाने पर उनकी गर्दन पर तलवार लटक जाती है तब वे एक ही बात कहते हैं, "काश सरकारी नौकरी लग गई होती!"
वहीं द्वितीय या तृतीय श्रेणी के पदों पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारी जब मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले अपने ही रिश्तेदार का गोवा में छुट्टी मनाते हुए व्हॉट्सऐप स्टेटस देखते हैं, तो एक ही बात निकलती है, "कहां चक्कर में पड़ गये हम, इससे तो अच्छा है हम भी किसी बड़ी कंपनी में निकल गये होते..."
सरकारी नौकरी और प्राइवेट जॉब को लेकर ऐसी ही तमाम धारणाएं हैं, जो आम तौर पर लोगों के मन को कभी विचलित करती हैं, तो कभी मनोबल बढ़ा देती हैं। इसलिए करियर इंडिया ने सीधे लोगों से पूछा कि वे क्या सोचते हैं।
करियरइंडिया के इस सर्वे में अब तक 2000 से अधिक लोग भाग ले चुके हैं। यह सर्वे पूरी तरह ऑनलाइन है और इसमें आईपी एड्रेस के आधार पर डुप्लीकेट यूज़र को हटा दिया जाता है। आइये एक नज़र डालते हैं कि आखिर लोग क्या सोचते हैं।
50 हजार की सरकारी नौकरी या एक लाख की प्राइवेट जॉब, आप क्या चाहेंगे?
खबर लिखे जाने तक 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि 50 हजार की सरकारी नौकरी ज्यादा बेहतर है क्योंकि जीवन आराम से कट जाता है, वहीं 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे 1 लाख की प्राइवेट जॉब ही प्रिफर करेंगे, क्योंकि खर्चे बहुत हैं।
आखिर ऐसे क्या कारण हैं, जिनकी वजह से लोग सरकारी नौकरी को ही तरजीह देते हैं?
इस सवाल के जवाब में 72 प्रतिशत लोगों ने कहा जॉब सिक्योरिटी की वजह से वो सरकारी नौकरी ही उनकी पहली च्वाइस है। वहीं 17 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकारी नौकरी में कोई इन्नोवेटिव कार्य तो करना नहीं पड़ता है, इसलिए रोजमर्रा के टार्गेट नहीं होते, इसलिए वही अच्छी। 11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि आम तौर पर केवल ऑफिस आवर में ही काम करना होता है, इसलिए यही अच्छी है।
किस कारण लोग प्राइवेट जॉब को प्रिफर करते हैं?
इस सवाल के जवाब में 26 प्रतिशत ने कहा कि प्राइवेट जॉब में आये दिन इन्नोवेशन करने होते हैं और लाइफ में नया करते रहना चाहिए, और वो केवल प्राइवेट जॉब में ही संभव है। वहीं 44 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो प्राइवेट जॉब केवल तभी पसंद करेंगे जब सैलरी बहुत अधिक हो। वहीं बाकी के बचे 30 प्रतिशत लोगों ने प्राइवेट जॉब में फास्ट ग्रोथ की वजह से प्राइवेट जॉब प्रिफर करते हैं।
भारत में मल्टीनेशनल कंपनियां क्या वाकई में सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों की तुलना में बहुत अधिक वेतन देती हैं?
इस सवाल पर 37 प्रतिशत लोगों ने इस बात पर सहमति जताई और कहा कि एमएनसी में ही हाई पैकेज मिलता है। वहीं 35 प्रतिशत लोगों ने इस बात से इंकार किया और कहा कि सरकारी उपक्रम अब एमएनसी की तुलना में अधिक या लगभग समान वेतन देते हैं। 20 प्रतिशत लोगों ने दोनों ही सेक्टर को ठुकरा कर अपना स्वयं के बिजनेस को तरजीह दी। वहीं बाकी बचे 8 प्रतिशत लोगों ने इस पर कोई कमेंट नहीं किया।
कौन से सेक्टर में जॉब सिक्योरिटी ज्यादा है?
इस सवाल पर 80 प्रतिशत लोगों ने सीधे सरकारी नौकरी पर ही क्लिक किया, जबकि 13 प्रतिशत लोगों ने प्राइवेट सेक्टर पर क्लिक किया। खास बात यह है कि बाकी के बचे 7 प्रतिशत लोग मानते हैं कि न तो सरकारी नौकरी सुरक्षित है और न ही प्राइवेट।