Reservation In Promotion सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बीआर गवई की पीठ ने कहा कि प्रतिनिधित्व की कमी को निर्धारित करने के लिए कोर्ट कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकता। किसी भी सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले उच्च पदों पर उचित प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है। यह काम राज्य करेंगे और उचित अवधि में मूल्यांकन किया जाएगा। इसकी अवधि का निर्णय केंद्र सरकार तय करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की शर्तों को कम करने से इनकार करते हुए कहा है कि हम एम नागराज मामले में 2006 और जरनैल सिंह मामले में 2018 में दिए गए संविधान पीठ के फैसलों के बाद कोई नया पैमाना नहीं बना सकते। कोई भी राज्य पदोन्नति में आरक्षण देने से पहले संख्यात्मक डेटा एकत्र करने के लिए बाध्य है।
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता ने कहा कि मामला पेचीदा है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें शामिल हैं। केंद्र ने 16 साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के एम. नागराज मामले में दिए गए फैसले को अभी तक लागू नहीं किया है। इस मामले में कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण के 85वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम की संवैधानिकता को बरकरार रखा था। इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकार फिर से सुनवाई की अपील करे। ऐसी स्थिति में पीड़ित पक्ष को भी कोर्ट पहुंचना पड़ेगा।
सरकार के पास मौजूदा समय में सही और अधिकृत डेटा नहीं है। इसी वजह से पदोन्नति में आरक्षण के मामलों में कानूनी विवाद हो रहे हैं। मंडल आयोग की रिपोर्ट भी बहुत पुरानी जनगणना के आधार पर लागू की गई थी। राज्य और केंद्र सरकार चाहें तो नौकरियों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व का डेटा तुरंत एकत्र कर सकती हैं। लेकिन, उसके बाद जातिगत जनगणना और क्रीमीलेयर के मुद्दे पर नए विवाद शुरू हो जाएंगे। भविष्य के इन्हीं विवादों से बचने के लिए ही केंद्र और राज्य सरकारें कोर्ट गई थीं।
संविधान के आर्टिकल 141 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र और राज्य सरकारों पर बाध्यकारी है। सरकारें इस मामले में नई अर्जी या फिर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती हैं। अधिकांश राज्य इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पक्षकार थे। उन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाध्यकारी है। इसलिए केंद्र सरकार फैसले पर अमल के लिए राज्यों को लिख सकती है।