Raman Research Institute Inks MoU With Indian Navy: तकनीक और प्रौद्योगिकी का विस्तार आज देश के लगभग हर क्षेत्र में हो रहा है। इसी के मद्देनजर अब देश में सुरक्षित सामुद्रिक संचार को विकसित करने के लिए क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जायेगा। मालूम हो कि भारतीय नौसेना और रमन अनुसंधान संस्थान ने संयुक्त रूप से इस प्रयास के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
आरआरआई, एक स्वायत्तशासी संस्थान है, जिसके विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय नौसेना के अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान वेपंस एंड इलेक्ट्रोनिक्स सिस्टम्स इंजीनियरिंग इस्टैब्लिशमेंट (डब्ल्यूईएसईई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। ज्ञात हो कि आगामी पांच वर्ष की अवधि के लिए इस एमओयू पर आरआरआई के निदेशक प्रोफेसर तरुण सौरदीप तथा भारतीय नौसेना के चीफ ऑफ मैटेरियल वाइस एडमिरल संदीप नैथानी ने हस्ताक्षर किये हैं।
उक्त जानकारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्राप्त हुई है। इसके अनुसार, इस समझौते के तहत आरआरआई का क्वांटम इंफॉर्मेशन एंड कंप्यूटिंग (क्यूयूआईसी) लैब क्वांटम की प्रमुख वितरण तकनीकों को विकसित करने की दिशा में अनुसंधान प्रयासों का नेतृत्व करेगा, जिससे कि भारतीय नौसेना मुक्त अंतरिक्ष संचार अर्जित करने की दिशा में देश के प्रयासों में इसका लाभ हासिल कर सके।
समझौता ज्ञापन पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर
प्रोफेसर सौरदीप ने कहा, मैं इस बात से बेहद उत्साहित हूं कि भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम ने हाल के वर्षों में कई नए अवसरों की खोंज की है। इससे अकादमिक अनुसंधान संस्थानों में प्रतिभाशाली और विश्व स्तरीय अनुसंधानकर्ताओं को राष्ट्रीय महत्व के रणनीतिक क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षमताओं के विकास में योगदान दिया जा सकेगा। फंडामेंटल और एप्लॉयड साईंस के बीच की कथित सीमा की पोरोसिटी आने वाले दशकों में शुभ संकेत देगी। उन्होंने बताया कि आरआरआई अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में डब्ल्यूईएसईई के साथ साझेदारी करके गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
क्यूयूआईसी लैब के ग्रुप प्रमुख प्रोफेसर उर्बशी सिन्हा ने कहा, स्वदेशी रूप से विकसित विज्ञान और प्रौद्योगिकी ज्ञान का उपयोग कर राष्ट्र की सेवा करने का यह एक महान अवसर हमें प्राप्त हुआ है। हम यह समझौता करके बेहद उत्साहित हैं और हमें पूरा विश्वास है कि सुरक्षित क्वांटम संचार के कार्यक्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता के साथ, हम भारतीय नौसेना के लिए संभावित सामुद्रिक संचार मामलों में सेवा की दिशा में अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने में और सहायता करने में पूर्ण रूप से सक्षम हो सकेंगे।
मालूम हो कि यह प्रयोगशाला देश के अनुसंधान में सुरक्षित क्वांटम संचार के क्षेत्र में अग्रणी रही है। इसकी कुछ प्रमुख उपलब्धियों में 'क्यूकेडीसिम' नामक एक संपूर्ण सिमुलेशन टूलकिट का विकास, संचार प्लेटफॉर्म में सुरक्षा सुनिश्चित करना, दो भवनों के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित करना और अभी हाल में एक स्टेशनरी सोर्स और एक मोबाइल रिसीवर के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित करना शामिल है। क्यूयूआईसी लैब भारत की पहली प्रयोगशाला भी है, जो सिंगल और इंटैंगल्ड फोटोन का उपयसोग करके, विशेष रूप से बैंकिंग, रक्षा और साइबर सुरक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सुरक्षित संचार की स्थापना करने की दिशा में अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है और उसका कार्यान्वयन करती है।
क्या है क्वांटम प्रौद्योगिकी?
क्वांटम प्रौद्योगिकी, फिजिक्स और इंजीनियिंग का एक उभरता हुआ क्षेत्र हैं। इसमें ऐसी तकनीकें शामिल हैं जो क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर निर्भर करती है। यह विशेष रूप से क्वांटम एंटांग्लमेंट, क्वांटम सुपरपोजिशन और क्वांटम टनलिंग पर निर्भर करती है। क्वांटम कंप्यूटिंग, सेंसर, क्रिप्टोग्राफी, सिमुलेशन, मेजरमेंट और इमेजिंग उभरती हुई क्वांटम प्रौद्योगिकियों के कुछ उदाहरण हैं। क्वांटम प्रौद्योगिकी का विकास भी अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे स्थापित क्षेत्रों पर भारी प्रभाव डालता है। क्वांटम प्रौद्योगिकी के मुख्य रूप से चार डोमेन हैं- इनमें क्वांटम संचार, क्वांटम सिमुलेशन, क्वांटम कंप्यूटेशन, क्वांटम सेंसिंग और मेट्रोलॉजी शामिल है। क्वांटम संचार के अंतर्गत क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों का उपयोग करने वाले सुरक्षित संचार प्रणालियों का विकास किया जाता है।