नीट यूजी परीक्षा का आयोजन अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए किया जाता है। इस परीक्षा का आयोजन साल में एक बार किया जाता है। जिसमें कक्षा 12वीं के छात्र शामिल होते हैं, जो मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखते हैं। नीट यूजी परीक्षा के साल में 2 बार आयोजित किए जाने की बात शुक्रवार को लोकसभा में उठाया गई। जहां लोकसभा के एक सदस्य ने नीट यूजी की परीक्षा जेईई परीक्षा की तरह साल में 2 बार आयोजित होने के प्रस्ताव के बारे में सरकार से पूछा।
शुक्रवार को लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने नीट यूजी की परीक्षा को साल में दो बार आयोजित किए जाने वाले सवाल पर स्पष्टीकरण देते हुए उत्तर दिया कि नीट यूजी परीक्षा के दो बार आयोजित होने को लेकर प्रस्ताव नहीं है।
नीट यूजी परीक्षा के आयोजन पर लोकसभा में उठे प्रश्न
लोकसभा सदस्य रमेश चंद बिंद ने लोकसभा में नीट यूजी की परीक्षा को लेकर एक सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि "क्या सरकार का जेईई (मेन्स) की तर्ज पर नीट यूजी परीक्षा आयोजित करने का प्रस्ताव है, ताकि नीट के उम्मीदवारों को तनाव और अवसाद से बचाने के लिए केवल एक ही प्रयास में कठिन प्रतियोगिता को क्रैक करने में मदद मिल सके या एक कीमती वर्ष गंवा दिया जाए।"
पूछे गए इस लिखित प्रश्न के उत्तर में भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में स्पष्ट करते हुए बताया कि नीट यूजी परीक्षा के वर्ष में दो बार होने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्हें अपने उत्तर में कहा कि "राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने सूचित किया है कि एक वर्ष में दो अवसर प्रदान करने के लिए NEET UG परीक्षा आयोजित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।"
अपनी बात में पवार ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम 2019 का हवाला भी दिया और कहा कि "राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) अधिनियम, 2019 की धारा 14 देश में सभी चिकित्सा संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को एक सामान्य / समान प्रवेश परीक्षा के रूप में आयोजित करने का आदेश देती है।"
इसी में आगे बात करते हुए पवार ने कहा कि "नीट मेरीटोक्रेसी को बढ़ावा देने और मेधावी छात्रों को देश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश पाने का अवसर प्रदान करने वाला एक ऐतिहासिक सुधार है। इसके परिणामस्वरूप मेडिकल प्रवेश में कदाचार पर अंकुश लगा है, अधिक पारदर्शिता आई है और संभावित छात्रों पर कई प्रवेश परीक्षाओं में बैठने का बोझ कम हुआ है।"