New Education Policy 2020 PM Modi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 14 अप्रैल 2021 को बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की 130वीं जयंती पर कहा कि कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का फोकस केवल शिक्षा तक ही सीमित नहीं है। बल्कि शिक्षा में तकनीक का उपयोग भी है। सभी विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति 2020 से संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना होगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जयंती पर भारत रत्न डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि दी है। अम्बेडकर जयंती पर महान डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को नमन करते हुए कहा कि भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया उनका संघर्ष हर पीढ़ी के लिए एक मिसाल बना रहेगा।
पीएम मोदी ने आज सुबह 11 बजे वीडियो कंफ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ (एआईयू) के 95 वें वार्षिक सम्मेलन और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। इस अवसर पर वह डॉ. बी आर अंबेडकर पर श्री किशोर मकवाने द्वारा लिखित पुस्तकों का विमेचन भी किया। इस कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का आयोजन अहमदाबाद स्थित डॉ बी आर अंबेडकर ओपन विश्वविद्यालय ने किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो उसी कालखंड में बाबासाहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती का अवसर हमें उस महान यज्ञ से भी जोड़ता है भविष्य की प्रेरणा से भी जोड़ता है। मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। डॉक्टर आंबेडकर कहते थे- "मेरे तीन उपास्य देवता हैं। ज्ञान, स्वाभिमान और शील"। यानी, Knowledge, Self-respect, और politeness।
पीएम मोदी ने कहा कि जब Knowledge आती है, तब ही Self-respect भी बढ़ती है। Self-respect से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने rights के लिए aware होता है। और Equal rights से ही समाज में समरसता आती है, और देश प्रगति करता है। चुनौतीपूर्ण संघर्षों के बाद भी उनके जीवन में बाबासाहेब ऊँचाइयों तक पहुँचे। यह हमारी शिक्षा प्रणाली की जिम्मेदारी है कि राष्ट्र उसके दिखाए मार्ग पर चले। वांछित परिणाम प्राप्त करने का एकमात्र तरीका सामूहिक प्रयास हैं।
पीएम ने कहा कि डॉ। सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते थे - शिक्षा का अंतिम उत्पाद एक स्वतंत्र रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्रकृति की प्रतिकूलताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ सके। हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है। इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं।
- पहला- वो क्या कर सकते हैं?
- दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं?
- तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं।
बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी आज देश काम कर रहा है। बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है।