NEP 2022 देश में पहली बार तीन साल तक के बच्चों के माता-पिता के लिए भी पाठ्यक्रम तैयार हो रहा है। इसके जरिए माता-पिता को सिखाया जाएगा कि प्री-स्कूल भेजने के पहले घर पर बच्चों की परवरिश कैसे करें, ताकि बच्चे का मस्तिष्क तेजी से विकसित हो सके। फोकस इस बात पर रहेगा कि बच्चों के सामने सिर्फ मातृभाषा में बात की जाए, क्योंकि प्रारंभिक उम्र में बच्चे सुनकर ही सबसे अधिक सीखते हैं। इसमें भी मातृभाषा में सबसे तेज गति से सीखते हैं।
सीखने के क्रम से मस्तिष्क का विकास ज्यादा तेजी से होता है। यही विकास आगे चलकर कौशल सीखने और क्षमताएं बढ़ाने में मदद करता है। माता-पिता को बताया जाएगा कि घर में कार्टून चलाएं तो वह मातृभाषा में हो। खेल, खिलौने भी ऐसे हों, जिनमें स्थानीय नाम लिए जाएं। मां बच्चों को अलग-अलग तरह की बातें सुनाएं, क्योंकि वे ध्वनियों से ही जुड़ाव महसूस करते हुए समझना शुरू करते हैं।
दुनियाभर में कई शोधों से साबित हो चुका है कि मस्तिष्क का 90% विकास शुरुआती वर्षों में हो जाता है। 3 साल की उम्र तक मस्तिष्क में न्यूरॉन (तंत्रिका कोशिकाएं) और सिनेप्सेस (तंत्रिकाओं के कनेक्शन) 10 लाख प्रति सेकंड की रफ्तार से विकसित होते हैं।
सिनेप्सेस की संख्या करीब दस खरब (1000 ट्रिलियन) तक होती है। बाद में किशोर के मस्तिष्क में सिनेप्सेस की संख्या घटकर आधी रह जाती है। सिनेप्सेस की छंटाई के बाद बच्चे के मस्तिष्क के विकास में अनुभव और परिवेश की अहम भूमिका होती है।
इसी से न्यूरल सर्किट बनता है और भावी विकास की नींव पड़ती है। शोधों से यह भी सिद्ध हो चुका है कि सिनेप्सेस और न्यूरॉन का जितना स्टिमुलेशन होता है, वह उतना अधिक विकसित होता है। यानी शुरुआती 3 साल में सकारात्मक अनुभवों के फलस्वरूप मस्तिष्क का सबसे बेहतर (ऑप्टिमम) विकास होता है, जिससे उसमें कौशल व क्षमताओं की बुनियाद बनती है। इस तरह एक अच्छी बुनियाद की मदद से जटिल और क्रमिक उच्चतर कौशल को हासिल करना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।