राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा छठी के लिए एक नई सामाजिक विज्ञान की किताब शुरू की है। यह किताब पहले की तीन किताब इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र को मिलाकर बनाई गई है। इस नई सामाजिक विज्ञान की किताब को कक्षा छठी के शैक्षणिक वर्ष 2024-25 तक के लिए लागू कर दिया गया है।
इस नई सामजिक विज्ञान की किताब में जिसका नाम है- "Exploring Society - India and Beyond" कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो कि निम्न प्रकार हैं-
नई किताब में एक विशेष अध्याय- 5 जोड़ा गया है, जो "इंडिया, दैट इज भारत" है, इस अध्याय में भारत की उत्पत्ति पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसमें महाभारत और विष्णु पुराण जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथों का संदर्भ दिया गया है। इसके साथ ही कई संस्कृत शब्दों को सही उच्चारण सुनिश्चित करने के लिए विशेषक चिह्नों के साथ शामिल किया गया है। यह अध्याय छात्रों को भारत की ऐतिहासिक जड़ों से जोड़ने के लिए एक शैक्षिक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
अध्याय 6, जिसका शीर्षक है 'भारतीय सभ्यता की शुरुआत' यह अध्याय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व प्रमुख बी.बी. लाल के एक उदाहरण से शुरू होता है। जिन्होंने 1970 के दशक के मध्य में बाबरी मस्जिद में खुदाई का नेतृत्व किया था। उन्हें शुरू में हिंदू मंदिर का कोई निशान नहीं मिला, लेकिन बाद में उन्होंने दावा किया कि इस स्थल पर मंदिर के स्तंभ आधार थे।
अध्याय 7, 'भारत की सांस्कृतिक जड़ें', वेदों पर विस्तार से प्रकाश डालता है और इसमें 'कठोउपनिषद' और 'बृहदारण्यक उपनिषद' की कहानियां शामिल हैं। इसमें रामायण से 18वीं सदी की एक पेंटिंग भी शामिल है।
किताब संरचना और विषय
नई किताब को पांच विषयों में विभाजित किया गया है, जो पिछले पाठ्यक्रम का एक व्यापक लेकिन संक्षिप्त संस्करण प्रस्तुत करता है।
पहले, भूगोल की किताब 48 पृष्ठों की थी। जिसमें से देशांतर और अक्षांश मापने जैसी अवधारणाओं को हटा दिया गया है। अब इस नई किताब में भूगोल के कुल 34 पृष्ठ शामिल है। अध्यायों में महासागर और महाद्वीप, तथा भू-आकृतियां और जीवन शामिल हैं।
सांस्कृतिक जड़ों पर जोर
नई किताब में हिंदू ग्रंथों, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के संदर्भों को बरकरार रखा गया है, जो प्राचीन मुगल-पूर्व भारत का अध्ययन करने वाले कक्षा 6 के छात्रों के लिए उपयुक्त है। हालांकि, यह प्राचीन भारतीय साम्राज्यों के विस्तृत अन्वेषणों को काफी कम कर देता है। अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य के अर्थशास्त्र और गुप्त वंश पर अध्याय, जिसमें कालिदास के साहित्य जैसे कार्य शामिल हैं, को छोड़ दिया गया है।
शासन और अर्थशास्त्र
- शासन और लोकतंत्र: चौथा विषय स्थानीय शासन संरचनाओं पर केंद्रित है।
- अर्थशास्त्र: पांचवां विषय आर्थिक अवधारणाओं को संबोधित करता है।
गौरतलब है कि एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने परिचयात्मक अध्याय में लिखा है कि हमने 'बड़े विचारों' पर ध्यान केंद्रित करके पाठ को न्यूनतम रखने की कोशिश की है। इससे हमने कई विषयों , इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान या अर्थशास्त्र को एक ही विषय में संयोजित किया है।