NCF के तहत सिलेबस में युक्तिकरण के लिए NCERT ने ली विशेषज्ञों और सीबीएससी शिक्षकों की राय

पिछले कुछ समय से एनसीईआरटी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। चाहे बात सिलेबस से कुछ चैप्टर हटाए जाने की हो या फिर एक नए सिलेबस के साथ किताबों के प्रकाशन की हो, एनसीईआरटी लगातार खबरों में है।

बीते दिनों ही कक्षा 12वीं की इतिहास की पुस्तक से मुगल शासन के अध्याय को हटाए जाने को लेकर चर्चा में रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ नई शिक्षा नीति 2020 (NEP) के तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क संचालन समिति द्वारा एनसीएफ को एक अंतिम रूप दिया गया।

NCF के तहत सिलेबस में युक्तिकरण के लिए  NCERT ने ली विशेषज्ञों और सीबीएससी शिक्षकों की राय

प्राप्त जानकारी के अनुसार आने वाली किताब अंग्रेजी, हिंदी ऊर्दू के अलावा कई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रकाशित की जाएगी। इन किताबों के साथ पढ़ाई 2024-25 के शैक्षणिक सत्र से की जाएगी। किताबों का प्रकाशन अगस्त 2023 की शुरुआत में किया जा सकता है।

बता दें कि नय पाठ्यपुस्तक 5+3+3+4 की संरचना के अनुसार बनाया जाएगा। जिसमें 5 वर्ष का फाउंडेशन स्टेज होगा, तीन साल - तीन साल का तैयारी और मिडल स्टेज और 4 साल का सेकेंडरी स्टेज होगा।

सिलेबस को छात्रों के लिए तर्कसंगत बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा बताया गया कि - एनसीईआरटी द्वारा बाहर से करीब 25 विशेषज्ञों और 16 सीबीएसई शिक्षकों से परामर्श लिया गया है। इस परामर्श के तहत मुगलों, महात्मा गांधी और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे, हिंदू चरमपंथियों से संबंधित कुछ हिस्सों को सिलेबस से हटाया गया साथ ही साथ 2002 में हुए गुजरात दंगों को भी स्कूली सिलेबस से हटाया गया।

जैसा की आपको अभी बताया गया कि इस जानकारी से बाद से ही पुस्तकों से कुछ अध्याय या उसके अंशों को हटाए जाने के कारण एनसीईआरटी विवादों में है। सिलेबस से अध्याय हटाए जाने पर विपक्ष ने केंद्र पर निशाना साधते हुए आरोप लगाते हुए कहा "प्रतिशोध के साथ लीपापोती"

इस प्रकार कई अध्यायों को हटाए जाने पर एनसीईआरटी ने इसे एक चूक बताया और साथ ही इस पूर्ववत करने से इनकार भी किया। एनसीईआरटी का कहना है कि सभी प्रकार के निर्णय विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर लिए गए है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया की आने वाला संशोधित सिलेबस और पुस्तकें 2024 के शैक्षणिक सत्र के लिए है।

इन विवादों पर लोकसभा में हुए सवाल-जवाब पर लिखित में जवाब देते हुए शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि "एनसीईआरटी के इन-हाउस विशेषज्ञों के अलावा, एनसीईआरटी ने व्यापक परामर्श के लिए अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण और विस्तार से संबंधित अपनी सभी गतिविधियों में विश्वविद्यालयों/संगठनों के विषय विशेषज्ञों और अभ्यास करने वाले शिक्षकों की विशेषज्ञता मांगी गई।"

आगे चर्चा करते हुए बताया गया कि सबसे अधिक विरोध इतिहास और राजनीति विज्ञान से हटाए गए अध्यायों को लेकर किया गया था। जिसके लिए 2 बाहरी विशेषज्ञों के साथ 5 विशेषज्ञों से परामर्श किया गया थ। इसके अलावा मंत्रालय द्वारा उन विशेषज्ञों के नाम भी बताए गए, जिव से परामर्श किया गया था।

इतिहास की टेक्स्ट बुक में बदलाव के लिए उमेश कदम, जो कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव, डॉ. अर्चना वर्मा हिंद कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर (इतिहास), श्रुति मिश्रा दिल्ली पब्लिक स्कूल (आरके पुरम) की शिक्षिका और इतिहास विभाग के प्रमुख) और दिल्ली स्थित केंद्रीय विद्यालय के दो शिक्षक सुनील कुमार और कृष्णा रंजन से परामर्श किया गया था।

वहीं राजनीति विज्ञान की टेक्स्ट बुक में बदलाव के लिए एनसीईआरटी के 4 विशेषज्ञों से परामर्श दो चरणों में किया गया। जिसमें वनथंगपुई खोबंग जो कि भोपाल में एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर, मनीषा पांडे हिंदू कॉलेज में राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर हैं और स्कूल की शिक्षिका कविता जैन और सुनीता कथूरिया शामिल हैं।

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English summary
The NCF was given a final shape by the National Curriculum Framework Steering Committee under the New Education Policy 2020 (NEP). The new textbook will be made according to the structure of 5+3+3+4. Which will be started from the academic session of 2024-25. For this NCERT consulted 25 external and 16 CBSE teachers. Whose recommendations have been rationalized in the textbook.
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