भारत और यूनाइटेड अरब अमीरात में आयोजित मेंटल मैथ्स कंपटीशन में बिहार के छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय स्तर की रैंक की बात करें तो टॉप थ्री रैंकिंग में बिहार के पांच छात्र शामिल हैं। दरअसल, ये बच्चे बिहार के छोटे-छोटे शहरों से हैं और वो छात्र हैं जिन्हें पढ़ाई के लिए बड़े शहरों के बच्चों के समान बहुत अधिक सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इन बच्चों ने अपने गणितीय कौशल का जौहर दिखाते हुए बिहार का नाम रौशन किया है।
ये चारों छात्र अलग-अलग स्कूलों से हैं और ग्रामीण इलाकों से आते हैं। इनमें चार लड़के और एक लड़की है। यह सभी अलग-अलग डीएवी पब्लिक स्कूल के हैं। ये वो बच्चें हैं जो राष्ट्रीय स्तर की उस प्रतियोगिता में अव्वल आये हैं जिनमें बड़े-बड़े शहरों के सुविधा संपन्न और महंगे स्कूलों में पढ़ते हैं। हजारों बच्चों के बीच बिहार की प्रतिभाओं ने साबित किया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो सीमित संसाधनों में भी बेहतर किया जा सकता है।
आइये एक-एक कर पांचों छात्रों के बारे में जानते हैं-
1. गोविन्द भारद्वाज - डीएवी एचएफसी स्कूल में पढ़ते हैं। बेगूसराय के गोविंद कक्षा 6 के छात्र हैं और इस प्रतियोगिता के नेशनल टॉपर हैं।
2. रितिका राज - रितिका डीएवी शेखपुरा में कक्षा पांच की छात्रा है। रितिका नेशनल लेवल पर थर्ड टॉपर है और पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश और कृषक परिवार से ताल्लुक रखती है।
3. गौरव कुमार - डीएवी समस्तीपुर का गौरव कक्षा तीन का छात्र है। गौरव ने नेशनल लेवल पर सेकंड रैंक हालिस की है।
4. शिवम सौरभ - डीएवी समस्तीपुर के शिवम ने नेशनल लेवल पर सेकेंड रैंक हालिस की है। शिवम कक्षा 4 का छात्र है।
5. रिद्धियान विश्वास - बी आर डीएवी कॉलेज बेगूसराय का रिद्धियान क्लास 3 का छात्र है, जिसने तीसरी रैंक हालिस की है।
इग्नाइटेड माइंड लैब, मुम्बई द्वारा आयोजित इस परीक्षा में सीनियर केजी से क्लास 7 तक के छात्र शामिल होते हैं। सभी के लिए अलग-अलग परीक्षाओं का आयोजन कक्षा के अनुसार होता है। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले इन छात्रों को मेडल, सर्टिफिकेट और कैश प्राईज देकर सम्मानित किया गया है।
मेंटल मैथ्स कंपटीशन की स्टेट कार्डिनेटर पूर्णिमा ने बताया कि बिहार के इन प्रतिभाशाली छात्रों को ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन की ओर से "चक दे बिहार अवार्ड" से पुरस्कृत किया जायेगा। ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन के फाउंडर चेयरमैन एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर ने बताया कि बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं। इसलिये इनको उत्साहित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
आपको बता दें कि ह्यूमन राइट्स अम्ब्रेला फाउंडेशन की स्थापना पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की प्रेरणा से हुई थी, जिसके टैलेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विभिन्न राज्यों के प्रतिभाशाली बच्चों को पुरस्कृत करने के लिये विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। यह प्रोग्राम बिहार में चक दे बिहार नाम से जाना जाता है। इससे पहले चक दे झारखंड और चक दे उत्तर प्रदेश जैसे छात्र हित के कार्यक्रम संचालित किए गये हैं।