झारखंड हाईकोर्ट से झारखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। झारखंड सरकार की नियोजन नीति-2021 को असंवैधानिक करार देते हुए, झारखंड हाईकोर्ट ने पुराना नोटिफिकेशन रद्द कर नया नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है। झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के बाद झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा तृतीय-चतुर्थ श्रेणी भर्ती परीक्षा में झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने की अनिवार्यता खत्म हो गई। जेएसएससी ने 13,968 पदों पर होने वाली नियुक्ति परीक्षाएं रद्द कर दी है।
अब दूसरे राज्यों से भी 10वीं-12वीं पास करने वाले युवा भी नौकरी के पात्र होंगे। रमेश हांसदा की याचिका पर चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि इस नीति में झारखंड से 10वीं-12वीं पास करने की बाध्यता सिर्फ सामान्य श्रेणी के युवाओं के लिए है, जबकि आरक्षित श्रेणी को इससे बाहर रखा गया है।
कोर्ट ने कहा कि यह संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार के खिलाफ है। यही नहीं, सरकार ने क्षेत्रीय भाषा से हिंदी को हटाकर उर्दू को शामिल कर लिया। जबकि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है। सर्वाधिक लोगों की भाषा हिंदी है। ऐसा करने का कोई आधार भी नहीं बताया। यह नियम एक खास वर्ग के लिए बनाया गया है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है।
हाईकोर्ट के इस फैसले पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि यह नीति बेरोजगारों के हित में थी, कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। युवाओं के अधिकार को कोई छीन नहीं सकता। सीएम ने खतियानी जोहार यात्रा के दौरान देवघर में ये बातें कहीं। 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को नियोजन नीति से जोड़ने के सवाल पर कहा कि सरकार को हाईकोर्ट जाना पड़े या सुप्रीम कोर्ट, जाएगी।
बता दें कि झारखंड में करीब 5.33 लाख पद स्वीकृत हैं, जबकि अभी 1.83 लाख कर्मचारी ही कार्यरत हैं। यानी करीब साढ़े तीन लाख पद खाली पड़े हैं। सबसे ज्यादा 1.40 लाख पद प्राथमिक शिक्षा विभाग, 73 हजार पद माध्यमिक शिक्षा विभाग, 63 हजार पद गृह विभाग और 14 हजार से ज्यादा पद स्वास्थ्य विभाग में खाली हैं।
नियोजन नीतिमें ये था पेंच
तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए होने वाली परीक्षा में सामान्य वर्ग के वैसे ही अभ्यर्थी भाग ले सकते थे, जिन्होंने झारखंड से ही 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की हो।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को इससे छूट थी। यानी राज्य से बाहर से भी 10वीं-12वीं करने वाले अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हो सकते थे।
क्षेत्रीय भाषा की सूची से हिंदी और अंग्रेजी को हटा दिया गया था और उर्दू-उड़िया जैसी दूसरी भाषाओं को शामिल कर लिया गया था।