CBSE TV Channel: हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारियों द्वारा केंद्रिय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के टीवी चैनल को लेकर जानकारी साझा की गई है। जानकारी के अनुसार सीबीएसई जुलाई तक अपने खुद का टीवी चैनल के साथ तैयार हो सकती है।
जानकारी के अनुसार सीबीएससी टीवी को लेकर शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने 1 जून को सीबीएसई के प्रमुखों से इसके बारे में चर्चा की है। जिसके अनुसार सीबीएसई का टीवी चैनल जुलाई तक लॉन्च किया जा सकता है। ऐसा करने से छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने में काफी हद तक सहायता मिल सकती है।
200 नए टीवी चैनल लॉन्च की घोषणा
इतना ही नहीं आपको बता दें कि नए टीवी चैनल लॉन्च करने को लेकर बजट में भी चर्चा की जा चुकी है। वर्ष 2022 में पेश किए बजट में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने घोषणा की थी कि देश में छात्रों को मिश्रित शिक्षा की सुविधा प्रदान की जाएगी। जिसके लिए 1 करोड़ की लागत से 200 नए टीवी चैनल लॉन्च किए जाएंगे।
सीबीएसई के नए चैनल पर क्या कहा शिक्षा मंत्रालय ने
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की अतिरिक्त सचिव लामचोंघोई स्वीटी चांगसन ने सीबीएसई के नए चैनल पर बात करते हुए बताया कि टीवी चैनल तक लोगो की पहुंच ज्यादा है और आसान भी है। ये सच है भले ही जमाना इंटरनेट का हो लेकिन टीवी हर घक की बुनियादी जरूरतों का हिस्सा है। इसके माध्यम से लोगों तक पहुंचना आसान हो जाता है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इंटनेट के साथ टीवी, रेडियो और अन्य माध्यमों की सहायता से मिश्रित शिक्षा पर अधित ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें आगे बात करते हुए उन्होंने जानकारी दी गई इन 200 चैनलों में एक एक चैनल सीबीएसई को मिल जाएगा और उम्मीद है कि आगले दो महीनों में यानी जुलाई तक इसे लॉन्च कर दिया जाएगा।
डमी स्कूलों पर क्या कहा संजय कुमार ने
काफी समय से देखा जा रहा है कि छात्र डमी स्कूलो के लिए स्कूल छोड़ रहे हैं और कोचिंग का अधिक सहारा ले रहे हैं। ऐसा महसूस किया जा रहा है कि बच्चें डमी स्कूल में इसलिए जा रहे हैं क्योंकि वहा उन्हें अटेंडंस मिल रही है। इस पर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के संजय कुमार ने कहा कहते हैं कि 'हमे बच्चों को स्कूल वापस लाना होगा'। वह पूछते हैं कि बच्चें स्कूल क्यों नहीं आ रहे हैं? आनंदपूर्ण शिक्षा का क्या हुआ है? डमी स्कूलों में बच्चों की बढ़ती दिलच्सपी और आपूर्ति और मांग की स्थिति से निपटने के जाने की बात कहते हैं, ताकि बच्चे वापस स्कूल लाया जा सके। उनका मानना है कि बड़े संस्थानों में आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं ने कोचिंग संस्कृति को बहुत बढ़ावा दिया है।