NEET, JEE की तरह CLAT का आयोजन क्षेत्रीय भाषाओं में क्यों नहीं? दिल्ली HC ने NLU से पूछा

मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश देने के लिए नीट और जेईई जैसी भारत की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन हिंदी भाषा में किया जाता है। लेकिन इसके अलावा कई ऐसे कोर्स में जिनकी प्रवेश परीक्षाएं आज भी अंग्रेजी भाषा में आयोजित की जाती है। जिसके कारण कई छात्र चाह कर भी इन परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाते हैं या तो इन्हें पास नहीं कर पाते हैं।

NEET, JEE की तरह CLAT का आयोजन क्षेत्रीय भाषाओं में क्यों नहीं? दिल्ली HC ने NLU से पूछा

इसका अर्थ ये नहीं है कि उनका ज्ञान कम है बल्कि वह केवल भाषा के कारण अपने पसंद के करियर की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। कितने ऐसे छात्र है जो लॉ करने की इच्छा रखते हैं लेकिन वह उसकी प्रवेश परीक्षा में केवल भाषा के चलते अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं, इसकी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से सवाल किया।

क्लैट परीक्षा हिंदी भाषा में आयोजित होने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दर्ज

बीते दिनों सुधांशु पाठक ने दिल्ली हाई कोर्ट में क्लैट यूजी में होने वाले भेदभाव का तर्क देते हुए याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि क्लैट यूजी भेदभाव करती है और उन छात्रों को समान खेल का मैदान प्रदान करने में विफल है, जिनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि क्षेत्रीय भाषाओं में निहित है।

इस याचिका प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट ने मामले कंसोर्टियम द्वारा जल्द जवाब की आवश्यकता की मांग की। इसपर उन्होंने कहा कि यदि मामले पर जल्द जवाब नहीं दिया गया तो ये निष्फल हो जाएगा, क्योंकि इस साल के अंत तक में परीक्षाओं को शेड्यूल किया जाएगा। और ऐसी स्थिति में संघ कह सकता है कि उसके पास इतना समय नहीं है कि वह अंग्रेजी भाषा में बने पेपर को अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर सकें।

इसके साथ याचिका में नई शिक्षा नीति 2020 और बच्चों को मुफ्त अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 का हवाला दिया गया, जो कहती है कि स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का एक माध्यम मातृभाषा होना आवश्यक है।

जजों की पीठ ने मामले पर क्या कहा

इस मामले पर याचिकाकर्ता के तर्क से सहमत मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने "यदि चिकित्सा शिक्षा हिंदी में पढ़ाई जा सकती है, अगर एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा हिंदी में हो सकती है, तो जेईई हिंदी में आयोजित की जा सकती है .... आप किस बारे में बात कर रहे हैं।"

इसी में आगे बात करते हुए न्याय पीठ ने कहा कि इन परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों का अनुवाद करने के लिए विशेषज्ञ होते हैं फिर "हम इन पत्रों (सीएलएटी) का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद क्यों नहीं करवा सकते?" उन्होंने एआईबीई की परीक्षा को भी इसमें शामिल करते हुए कहा, क्योंकि आल इंडिया बार एग्जामिनेशन की परीक्षा का आयोजन भी हिंदी में किया जाता है।

एनएलयू के वकील ने बताया कि निकाय में सहमति थी कि परीक्षा अन्य भाषाओं में भी आयोजित की जानी चाहिए लेकिन इस पर एक मात्र चिंता ये है कि हमारे पास कानूनी ज्ञान के साथ आवश्यक भाषाई विशेषज्ञ होने चाहिए।

पीठ याचिकर्ता के प्रतिनिधित्व करने वाले वकील की दलीलों से सहत होते हुए, उनके द्वारा जाहीर चिंता को वास्तविक बताते हुए एनएलयूएस के कंसोर्टियम को इसका जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया गया है। अब आने वाले 4 सप्ताह बाद एनएलयू दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों पर क्या जवाब पेश करेगा। क्या आने वाले नए शैक्षणिक वर्ष में क्लैट की परीक्षा भी हिंदी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की जाएगी।

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English summary
Recently, Sudhanshu Pathak filed a petition in Delhi High Court arguing the discrimination in CLAT UG. He said that CLAT UG discriminates and fails to provide a level playing field to students whose educational background is rooted in regional languages. On this Delhi High Court sought answer from NLU.
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