Omicron BF7: विद्यार्थियों के भविष्य पर कोविड-19 का साया

कोरोना की वैश्विक महामारी चीन के एक शहर वुहान में दिसम्बर, 2019 से शुरू होकर जनवरी, 2020 तक पूरे विश्व में फैल चुकी थी। 22 मार्च, 2020 से भारत में भी संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी।

Covid 19 New Variant Omicron BF7 - कोरोना वायरल की वैश्विक महामारी चीन के एक शहर वुहान में दिसम्बर, 2019 से शुरू होकर जनवरी, 2020 तक पूरे विश्व में फैल चुकी थी। 22 मार्च, 2020 से भारत में भी संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी। लगभग 25 करोड़ छात्र-छात्राओं को घरों में रहने को विवश होना पड़ा था। शैक्षिक गतिविधियां ठप पड़ गई थीं। ऐसी महामारी सौ वर्ष में एक वार आती है। इसके वाद सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं व्यक्तिगत जीवन में आने वाले वदलावों की आहट समझने की आवश्यकता है।

Omicron BF7: विद्यार्थियों के भविष्य पर कोविड-19 का साया

स्कूल लंबे समय से वंद रहने के वाद बहुत सारे प्राइवेट एवं सरकारी विद्यालयों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज प्रारंभ हो गईं जिससे घर वैठे लाखों वच्चे सुचारू रूप से पढ़ाई कर पाए । यू-ट्यूव, व्हाट्सएप, गूगल क्लासेज, ऑनलाइन पोर्टल, विभिन्न ऑडियो एवं वीडियो के माध्यम से छात्रों को गुणात्मक शिक्षा दी जाने लगी। इस शिक्षा प्रयोग के क्या मायने हो सकते हैं, और भविष्य में यह किस प्रकार के शिक्षा को बढ़ावा दे सकता है, यह समझने की आवश्यकता है। सवेरे उठकर नींद में स्कूल जाना और लगातार क्लासेज करना काफी वोरिंग भरा अनुभव है, जिससे ज्यादातर छात्र खुश नहीं रहते।

लेकिन ऑनलाइन शिक्षा से गुणात्म पढ़ाई संभव हो सके तो भविष्य में रेग्युलर क्लासरूम स्कूल धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे। यह तकनीकी परिवर्तन विदेश से होते हुए भारत 'आए उसके पहले ही इसकी आहट समझ कर हमें प्रयोग शुरू कर देने चाहिए। योजना- स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों, वाद-विवाद, संगीत, ड्रामा, क्विज, सेमिनार एवं कई विषयों में प्रयोगशाला जैसी अनेक गतिविधियां होती हैं । यद्यपि इन सव गतिविधियों के लिए अलग- अलग केंद्र भी होते हैं, और भविष्य में ऐसी गतिविधियों के स्वतंत्र एवं प्रभावी केंद्र स्थापित होंगे जो स्कूल से अलग होंगे।

Omicron BF7: विद्यार्थियों के भविष्य पर कोविड-19 का साया

विशेष रूप से विज्ञान की प्रयोगशाला के स्वतंत्र सरकारी एवं गैर-सरकारी केंद्र वनने चाहिए जिससे छात्रों को न गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित आवश्यकता नहीं पड़ेगी जिससे संसाधनों न्यों के विकास में हो सकेगा। स्कूल विल्डिंग जरूरी नहीं होगा । भविष्य की इन प्रकार की संख्या भी कम हो सकेगी। सुदूर क्षेत्रों में तर से वेहतर स्कूलों / केंद्रों से पढ़ सकेंगे। से इस पर सवका समान अधिकार होगा उनकर रुचि के अनुसार वृहत् प्रयोग करने का अवसर प्राप्त हो सके।

इन सबके वावजूद स्कूल उपरोक्त गतिविधियों के केंद्र के रूप में काम करना जारी रखेंगे। इन गतिविधियों के लिए अलग-अलग क्लास, आयु वर्ग या वालक / वालिकाओं हेतु अलग-अलग टाइम-टेबल जारी होगा जिससे छात्र-छात्राएं उसी समय सारिणी के हिसाव से स्कूल आकर इन गतिविधियों में भाग ले सकेंगे । इन सव से छात्रों का आपस में मिलने से सहज मानवीय गुणों का विकास सुनिश्चित हो पाएगा। जहां तक शिक्षण का प्रश्न है, प्रत्येक स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के टाइम - टेवल निकाल कर पढ़ाई करवा सकते हैं। इन लेक्चर के ऑडियो, वीडियो स्कूल वेवसाइट पर भी हो सकते हैं जिन्हें छात्र जब चाहें देख या सुन सकेंगे।

Omicron BF7: विद्यार्थियों के भविष्य पर कोविड-19 का साया

छात्रों की समस्याओं के लिए अलग से सेशंस लिए जा सकते हैं। ये सेशंस छात्रों की सुविधा एवं सुझाव के अनुसार आयोजित हो सकते हैं। इससे छात्रों को ज्यादा समय मिल पाएगा कि वे अपने रुचि एवं समय के हिसाव से पढ़ाई कर सकें। छात्रों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए विभिन्न विषयों के कॉल सेंटर वनाए जा सकते हैं, जिन पर देश-विदेश से विशेषज्ञ स्वैच्छिक या वैतनिक रूप से जुड़ सकते हैं। जैसे ही कोई छात्र अपनी समस्या उस पोर्टल या ऑनलाइन रिसोर्स प्वॉइंट पर डालता है, उपयुक्त विशेषज्ञों से उसे उचित जवाव मिल जाएगा।

छात्रों को पढ़ाई में अधिक स्वतंत्रता देने की आवश्यकता है क्योंकि इससे उनमें खुद के निर्णय लेने की क्षमता के विकास के साथ-साथ सकारात्मकता एवं प्रयोगात्मक क्षमता का विकास भी होगा। अभी छात्र एक वने वनाए रूटीन पर चलते हैं, जिससे उनकी अपनी कोई स्वतंत्र सोच नहीं विकसित हो पाती है, यदि विकसित होती भी है तो स्कूल का वर्तमान तंत्र उसे हतोत्साहित करने का ही प्रयास करता है।

Omicron BF7: विद्यार्थियों के भविष्य पर कोविड-19 का साया

विज्ञान एवं गणित विषयों में यदि कुछ कक्षाएं लगाने की जरूरत भी पड़ेगी तो विद्यालय में कुछ ही कॉमन क्लासरूम होंगे जहां ऐसी कुछ कक्षाएं लगाई जा सकती हैं। समय सारिणी के अनुसार छात्र जाकर अपनी समस्याओं के समाधान पा सकेंगे। इन सवके अतिरिक्त एक छात्र एक साथ एक या एक से अधिक स्कूल में भी एन्रोल हो सकता है। इसका फायदा यह होगा कि किसी स्कूल में गणित की फैकल्टी अच्छी है, किसी में विज्ञान की या किसी में खेलकूद गतिविधियों में जोर दिया जाता है, तो किसी में सांस्कृतिक गतिविधियों को । वर्तमान व्यवस्था में छात्र अपनी पसंद के उत्कृष्ट क्षेत्रों का फायदा नहीं ले पाते जवकि कई स्कूलों में साथ-साथ एन्रोल करने से उनकी प्रतिभा को विकसित करने में मदद मिलेगी।

कई स्कूलों में साथ एन्रोलमेंट होने से या तो एक स्कूल नोडल होगा जो दूसरे स्कूल की किसी विषय की पढ़ाई या गतिविधि को छात्रों के मूल्यांकन में सम्मिलित करेगा । विभिन्न स्कूल वोर्ड भी सीधे इन गतिविधियों के आधार पर छात्रों को मूल्यांकन/डिग्री सर्टिफिकेट जारी कर सकता है। इस प्रकार कोई छात्र या स्कूल एक साथ कई शिक्षा वोर्ड से जुड़ा रह सकता है एवं मान्यता प्राप्त कर सकता है। शिक्षा का वातावरण अत्यंत उन्मुक्त होना चाहिए विशेषकर भारत जैसे देश में जहां किसी भी क्षेत्र में प्रयोगों को कम ही वढ़ावा दिया जाता है। भविष्य के स्कूल विभिन्न गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित होंगे। इतने क्लासरूम की आवश्यकता नहीं पड़ेगी जिससे संसाधनों का प्रयोग अन्य गतिविधियों के विकास में हो सकेगा। स्कूल विल्डिंग एवं अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी नहीं होगा।

भविष्य की इन प्रकार की व्यवस्था से स्कूलों की संख्या भी कम हो सकेगी । सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले छात्र भी वेहतर से वेहतर स्कूलों / केंद्रों से पढ़ सकेंगे। शिक्षा ऑनलाइन होने से इस पर सवका समान अधिकार होगा। अमीर, गरीव एवं शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का भेद मिट जाएगा। इस प्रकार कक्षा पांच के वाद के वर्तमान स्कूलों के ढांचे के खत्म होने का समय आ गया है । वदलाव की आहट हमें पहचान कर तैयारी प्रारंभ कर देनी चाहिए। आगामी दशक शिक्षा सुधार का दशक होगा जिससे अनेक वैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिवर्तनों की राह निकलेगी।

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English summary
The global pandemic of corona virus started in Wuhan, a city in China in December, 2019 and had spread all over the world till January, 2020. From March 22, 2020, a complete lockdown was also announced in India. About 25 crore students were forced to stay at home. Educational activities had come to a standstill. Such an epidemic comes once in a hundred years. It is necessary to understand the sound of changes coming in social, political, economic and personal life.
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