राज्यसभा में दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में जलभराव के कारण यूपीएससी अभ्यर्थियों की दुखद मृत्यु पर राज्यसभा के नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा हुई। चर्चा की अनुमति देते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धाखड़ ने टिप्पणी की, "मुझे लगता है कि देश के युवा जनसांख्यिकीय लाभांश को पोषित करना अति आवश्यक है। मैंने पाया है कि कोचिंग अब व्यापार बन गया है।"
धनखड़ ने कोचिंग सेंटरों द्वारा अखबार के विज्ञापनों पर किए जाने वाले भारी खर्च पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कोचिंग सेंटर छात्रों से ली जाने वाली भारी फीस से अपने विज्ञापन पर सबसे अधिक खर्च करते हैं। उन्होंने कहा, "कोचिंग उच्च रिटर्न के साथ एक समृद्ध उद्योग बन गया है....हर बार जब हम अखबार पढ़ते हैं तो पहले एक या दो पन्नों में कोचिंग विज्ञापन जरूर होते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "विज्ञापन पर खर्च किया गया एक-एक पैसा छात्रों की फीस से आ रहा है, हर नई इमारत छात्रों से आ रही है।"
कोचिंग कल्चर या 'गैस चैंबर्स'
कोचिंग कल्चर के कारण देश में बने साइलो की तुलना 'गैस चैंबर्स' से करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे देश में जहां अवसर बढ़ रहे हैं, ऐसे साइलो बड़ी समस्या बन रहे हैं। ये किसी गैस चैंबर से कम नहीं हैं " उन्होंने सदस्यों से युवाओं को देश में रोजगार और कौशल विकास के विभिन्न अवसरों के बारे में सलाह देने का आग्रह किया।
धनखड़ ने कहा, "मुझे अपनी पीड़ा साझा करने दीजिए, मुझे अपना दर्द साझा करने दीजिए। जब ये सभापति सदन में माननीय सदस्यों से सम्मेलन के लिए अनुरोध करते हैं, तो इस तरह का झिड़कना न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि संसदीय शिष्टाचार को कमजोर करने वाला है। तथ्य यह है कि सदन के नेता वस्तुतः सदन में सभापति का बहिष्कार करना चाहते हैं, यह निश्चित रूप से एक स्वस्थ प्रथा नहीं है।" इससे पहले सुधांशु त्रिवेदी और स्वाति मालीवाल सहित राज्यसभा सदस्यों ने कोचिंग सेंटर में यूपीएससी के छात्रों के मौत के मामले पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया।
सभापति ने नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा की अनुमति दी क्योंकि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मामले को अत्यावश्यक बताते हुए नियम 267 के तहत चर्चा के लिए तैयार थे। लेकिन विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी दलों ने नियम 267 के तहत चर्चा करने पर असहमति जताई और सभापति ने स्पष्ट रूप से कहा कि नियम 267 के तहत किसी भी विषय पर तभी चर्चा की जायेगी जब प्रमुख दल सहमत होंगे और सदन में आम सहमति होगी।