National Education Policy 2020: शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के तहत सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को कक्षा 1 में बच्चों के प्रवेश के लिए आयु सीमा 6 वर्ष तय करने का निर्देश दिया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत केंद्र सरकार ने बुनियादी शिक्षा या प्राथमिक शिक्षा में नीतिगत स्तर पर कई बदलावों की बात कही थी। शिक्षा मंत्रालय ने प्री-स्कूल शिक्षा (डीपीएसई) में दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम को डिजाइन करने और लागू करने की प्रक्रिया शुरू करने की भी सलाह दी है।
मार्च 2022 में केंद्र सरकार ने एक प्रश्न पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि लगभग 14 राज्य और केंद्र शासित राज्य ऐसे हैं, जहां कक्षा 1 में बच्चों के प्रवेश की उम्र 6 वर्ष से कम है। असम, गुजरात, लद्दाख, पुड्डुचेरी और गुजरात ऐसे राज्यों में शामिल हैं, जहां पांच वर्ष पूर्ण होने पर बच्चे का दाखिला कक्षा 1 में लिया जाता है। वहीं तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, केरल एवं दिल्ली में न्यूनतम पांच वर्ष के बच्चे प्रथम कक्षा में दाखिला ले सकते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तरीय स्कूलों और आंगनबाड़ी की भूमिका स्पष्ट की गई है। इसके तहत पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चों की उम्र 6 वर्ष तय करने का निर्देश दिया गया है। मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उक्त जानकारी प्राप्त हुई। यानी अब कक्षा दसवीं की परीक्षा बच्चे 16 वर्ष की उम्र में देंगे। बता दें कि विभिन्न पहल और निमयों में बदलाव के साथ ही देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा के स्वरूप को बदलने का प्रयास किया जा रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम को राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा डिजाइन किए जाने की उम्मीद है। बता दें कि इसे एससीईआरटी की देखरेख में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के तहत लागू किया जाएगा।
देश के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में बुनियादी स्तर पर बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए तैयार की गई है। बुनियादी स्तर की शिक्षा के तहत 3 वर्ष से लेकर 8 वर्ष तक यानी 5 साल तक सीखने का अवसर होता है। इसमें 3 साल की प्री-स्कूल शिक्षा और 2 साल की प्रारंभिक प्राथमिक शिक्षा या कक्षा 1 एवं कक्षा 2 शामिल है। यह नीति प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 2 तक बच्चों को निर्बाध सीखने और उनके विकास को बढ़ावा देती है। बुनियादी स्तर की शिक्षा के लिए हाल ही में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा या नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क को लॉन्च किया गया।