APAAR: One Nation One Student ID Card: केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली में एपीएआर; वन नेशन वन स्टूडेंट आईडी कार्ड पर राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। कार्यक्रम में प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे एपीएआर आईडी देश के छात्रों के लिए महत्वाकांक्षी और वैश्विक दस्तावेज बनने जा रहा है।
डिजिटल इंडिया का हो रहा विस्तार
हाल के वर्षों में देश में विकसित कई महत्वपूर्ण डीपीआई के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि कैसे 16 देशों में 53 ऐसे डीपीआई विकसित किए गए हैं, जिनमें से 19 भारत में हैं। उन्होंने 'डिजिटल इंडिया' की परिकल्पना के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र प्रधान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि अब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने पूरी गति पकड़ ली है और अन्य कार्यक्रमों के साथ ही 25 करोड़ एपीएआर आईडी पहले ही बनाई जा चुकी हैं। उन्होंने संचालन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अपार आईडी, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और डिजिलॉकर की इंटरकनेक्टिविटी के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने अपने संबोधन में अन्य महत्वपूर्ण डिजिटल संपत्तियों जैसे स्वयं, दीक्षा आदि का भी उल्लेख किया।
ताकि ना हो शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किए बिना प्रवासन और एकीकरण के प्रावधानों को शामिल करने में एनईपी 2020 की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि योग्यता को आकांक्षी बनाना महत्वपूर्ण है, जो ज्ञान के साथ-साथ कौशल से आती है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए संजय कुमार ने हिंदी में शब्द के अर्थ के अनुरूप एपीएएआर आईडी की व्यापक पहुंच पर प्रकाश डाला। उन्होंने एनईपी 2020 के दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया और इसकी कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशों का उल्लेख किया जैसे कि कक्षा 12वीं तक 100% जीईआर सुनिश्चित करना और उद्योग की जरूरतों के अनुरूप कम से कम एक कौशल में दक्षता होना। उन्होंने यह भी कहा कि APAAR Id देश में 260 मिलियन छात्रों के विशाल समूह को ट्रैक करने में मदद करता है। उन्होंने बताया कि 25 करोड़ बच्चों के लिए एक स्थायी शिक्षा संख्या और उसके आधार पर उन्हें एपीएएआर आईडी जारी की गई है। स्कूली शिक्षा को जीवन की सुगमता का हिस्सा बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए उन्होंने बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा को आसान बनाने पर जोर दिया। उन्होंने एपीएएआर के साथ इसके जुड़ाव पर प्रकाश डालते हुए समग्र प्रगति कार्ड, विद्या समीक्षा केंद्र आदि का भी उल्लेख किया।
समर्थ मंच को अपनाने का आग्रह
वहीं कार्यक्रम में के संजय मूर्ति ने अपने भाषण में एपीएएआर आईडी और एक अन्य महत्वपूर्ण डीपीआई समर्थ का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इनकी पहुंच और एपीएएआर के साथ निर्बाध कनेक्शन के अनेक फायदे जुड़े हुए हैं। उन्होंने हर संस्थान से समर्थ मंच को अपनाने का भी आग्रह किया। उन्होंने स्वयं प्लेटफॉर्म के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि जल्द ही लॉन्च होने वाले इसके नए संस्करण में प्रासंगिक पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए अग्रणी उद्योगों की सामग्री होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि मान्यता और सत्यापन के लिए एक डिजिटल रिकॉर्ड की आवश्यकता होगी।
कार्यक्रम के दौरान जॉब प्रोफाइल के साथ एपीएएआर या अपार आईडी और क्रेडिट सिस्टम के एकीकरण को संबोधित करने और शिक्षा में डिजीलॉकर की विकसित भूमिका की खोज पर दो पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता रजिस्ट्री (एपीएएआर) 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और राष्ट्रीय क्रेडिट और योग्यता फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) के अनुरूप शुरू की गई एक परिवर्तनकारी पहल है। इसका उद्देश्य प्रत्येक छात्र को एक अद्वितीय और स्थायी 12-अंकीय आईडी प्रदान करके, उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को एक ही स्थान पर समेकित करके पूरे भारत में छात्रों के लिए एक एकीकृत और सुलभ शैक्षणिक अनुभव प्रदान करना है। अधिक जानकारी के लिए, https://abc.gov.in/ पर जा सकते हैं।
इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव संजय के मूर्ति; स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव, संजय कुमार; कौशल विकास एवं उद्यमिता के सचिव अतुल कुमार तिवारी; एमईआईटीवाई के सचिव एस कृष्णन; राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष डॉ निर्मलजीत सिंह कलसी; राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम एनबीए एनएएसी के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे के साथ ही इस कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न संस्थानों के कुलपति, निदेशक, रजिस्ट्रार, परीक्षा नियंत्रक, शिक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और उद्योग भागीदार उपस्थित थे। शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जयसवाल ने स्वागत भाषण दिया।