Explainer: कांग्रेस के जन्म के साथ क्या था सेफ्टी वाल्व का संबंध

Safety Valve Theory and Indian National Congress: कई बुद्धिजीवियों का मानना है कि 1885 में कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजों के इशारों पर की गई। कुछ कहते हैं यह लॉर्ड डफरिन के दिमाग की उपज थी, कुछ का कहना है कि यह आसन्न क्रांति को टालने की एक योजना मात्र थी। कुछ अन्य वर्ग के बुद्धिजीवियों का यह भी मानना है कि ए.ओ. ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना सुरक्षा वाल्व के रूप में की थी। आइए इस लेख के माध्यम से इन सभी अवधारणा को जरा विस्तार से समझते हैं।

Explainer: कांग्रेस के जन्म के साथ क्या था सेफ्टी वाल्व का संबंध

यह लेख उन सभी छात्रों और उम्मीदवारों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है, जो आने वाले समय में यूपीएससी, पीएससी समेत अन्य राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा में उपस्थित होने वाले हैं। भारतीय राजनीति के इतिहास से जुड़े कांग्रेस की स्थापना के अध्याय को यहां सहज एवं सरल शब्दों में लेकिन विस्तार से बताया जा रहा है। सर्वश्रेष्ठ तैयारी के लिए आप यहां से सहायता ले सकते हैं। इतना ही नहीं यहां वर्ष 2014 में प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गए प्रश्न का भी उल्लेख किया जा रहा है,सबसे पहले डालते हैं उस पर एक नजर-

2014 - "1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म को 'सेफ्टी वॉल्व अभिधारणा' पर्याप्त तौर पर स्पष्ट नहीं करती है।" समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

सन् 1885, 28 दिसम्बर को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना अवकाश प्राप्त आई.सी.एस. अधिकारी स्कॉटलैंड निवासी ऐलन ओक्टोवियन ह्यूम (ए.ओ. ह्यूम)ने की थी। आखिर उन्होंने कांग्रेस की स्थापना क्यों की और इसके लिए यही समय क्यों चुना? इस प्रश्न के साथ एक मिथक अरसे से जुड़ा है, और वह है 'सेफ्टी वॉल्व अभिधारणा'। कुछ लोगों का मानना है कि कांग्रेस की स्थापना अंग्रेज़ों के इशारे पर हुई। लाला लाजपत राय यह मानते थे कि कांग्रेस लॉर्ड डफ़रिन के दिमाग की उपज थी। रजनी पाम दत्त का कहना है कि इसके लिए ब्रिटिश शासन ने गुपचुप योजना तैयार की थी, ताकि उस समय आसन्न हिंसक क्रांति को टाला जा सके। इन वर्ग का यह भी कहना है ए.ओ. ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना 'सुरक्षा वाल्व' के रूप में की थी। लेकिन बिपन चंद्र सुरक्षा वाल्व को महज कपोल-कल्पना मानते हैं और कहते हैं कि यह उस राजनीतिक चेतना की पराकाष्ठा थी, जो 1860 के दशक में भारतीयों में पनपने लगी थी। उस समय के राष्ट्रवादी नेताओं ने ए.ओ. ह्यूम का हाथ इसलिए पकड़ा था कि शुरू-शुरू में सरकार उनकी कोशिशों को कुचल न दें।

सेफ्टी वॉल्व थ्योरी

"यंग इंडिया" में लिखे लेख में लाला लाजपत ने सुरक्षा वॉल्व की परिकल्पना करते हुए कांग्रेस संगठन को लॉर्ड डफरिन के दिमाग की उपज बताया। उन्होंने संगठन की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य भारतवासियों को राजनीतिक स्वतंत्रता दिलाने की जगह पर ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की रक्षा और उस आसन्न खतरों से बचना बताया। उनका कहना था कि कांग्रेस ब्रिटिश वायसराय के प्रोत्साहन पर ब्रिटिश हितों की रक्षा के लिए बनी एक संस्था है जो भारतीयों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। यही नहीं उदारवादी सी. एफ. एंड्रूज और गिरजा मुखर्जी ने भी 1938 में प्रकाशित 'भारत में कांग्रेस का उदय और विकास में सुरक्षता बाल्ब' की बात पूरी तरह स्वीकार की थी।

'सुरक्षा वाल्व' की परिकल्पना का इस्तेमाल

1939 ई. में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' के संचालक एम.एस. गोलवलकर ने भी 'सुरक्षा वाल्व' की इस परिकल्पना का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपने परचे 'वी' (हम) में कहा था कि हिन्दू राष्ट्रीय चेतना को उन लोगो ने तबाह कर दिया, जो राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं।' गोलवलकर के अनुसार ह्यूम, कॉटर्न और वेडरबर्न द्वारा 1885 में तय की गई नीतियाँ ही ज़िम्मेदार थीं- इन लोगों ने उस समय उबल रहे राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ सुरक्षा वाल्व के तौर पर कांग्रेस की स्थापना की थी।

कब हुआ सुरक्षा वाल्व सिद्धांत का जन्म

सुरक्षा वाल्व सिद्धांत का जन्म, 1913 में प्रकाशित ए.ओ. ह्यूम की जीवनी लिखने वाले विलियम वेडरबर्न के द्वारा हुआ। उसके अनुसार ह्यूम को एक ऐसे संगठन की ज़रूरत महसूस हुई जो ब्रिटिशों के ही कार्य से उत्पन्न महान और विकसित होती हुई शक्ति की रोकथाम कर सके और एक 'सुरक्षा वाल्व' का काम करे तथा एक और गदर को रोका जा सके। वेडरबर्न के अनुसार एक अति विशेष सूत्र (एक धार्मिक नेता) से मिली जानकारी के आधार पर ह्यूम को लगा कि ब्रिटिश शासन पर एक गंभीर विपत्ति आने वाली है, तो उन्होंने असंतोष के सुरक्षित निकास के लिए एक सुरक्षा वाल्व बनाने का फैसला किया। उस समय के वायसराय लॉर्ड डफ़रिन से मई 1885 में शिमला में मिलकर उन्होंने सामाजिक और राजनैतिक प्रश्नों पर चर्चा करने के लिए एक अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन की अपनी योजना बताई।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन

विचारकों का एक वर्ग है जो यह मानता है कि ह्यूम को लॉर्ड रिपन और डफरिन का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त था। ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना इसलिए नहीं की कि वे भारतीयों को कोई विशेष लाभ दिलाना चाहते थे। बल्कि अंग्रेजी सरकार के हितों की सुरक्षा के लिए ही उन्होंने ऐसा किया। इसके द्वारा अँग्रेज़ साम्राज्यवादी राष्ट्रीय आन्दोलन के विकास में हस्तक्षेप करना चाहते थे। वे इस संस्था को एक सुरक्षा कपाट (Safety Valve) के रूप में उपयोग कर भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को अमेरिका और इटली द्वारा अपनाए गए सशस्त्र संघर्ष के मार्ग पर जाने से रोकना चाहते थे। ह्यूम ने आशा व्यक्त की थी, "राष्ट्रीय कांग्रेस शिक्षित भारतीयों के असंतोष के लिए एक शांतिपूर्ण और संवैधानिक निर्गम-मार्ग की व्यवस्था करेगी। इस प्रकार, वह जन-विद्रोह नहीं भड़कने देगी।"

कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिशें नाकाम

इस सिद्धांत पर आरंभिक इतिहासकारों ने विश्वास किया और साम्राज्यवादी इतिहासकारों ने कांग्रेस को बदनाम करने के लिए इसे हवा दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की 'सेफ्टी वाल्व' अवधारणा बिलकुल अपर्याप्त और भ्रामक है और उसके जन्म को पर्याप्त तौर पर स्पष्ट नहीं करती है। जब हम इतिहास की गहराईयों में झाँकते हैं, तो पता चलता है कि इस सेफ्टी वाल्व अवधारणा में उतना दम नहीं है, जितना कि आमतौर पर इसके बारे में माना जाता है। ह्यूम के जीवनीकार वेडरबर्न ने जिस धर्मगुरु की सूचना को अपने सिद्धांत का आधार माना है, उसका कहीं आधिकारिक उल्लेख नहीं मिलता। सुमित सरकार का कहना है कि, "1898 में डब्ल्यू. सी. बनर्जी के एक वक्तव्य ने इस अनावश्यक विवाद को जन्म दिया कि ह्यूम डफरिन की सीधी सलाह पर यह काम कर रहे थे। ... इसके परिणामस्वरूप यह धारणा बनी, जो बाद में कांग्रेस के उग्रपरिवर्तनवादी आलोचकों को प्रिय लगाने लगी, कि ब्रिटिश सरकार ने जान-बूझ कर स्वयं एक भूतपूर्व प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से कांग्रेस की स्थापना करवाई थी ताकि यह संस्था जन-असंतोष के लिए सुरक्षा वाल्व का काम कर सके।"

माना यह जाता है कि ए.ओ. ह्यूम ने अंग्रेज़ सरकार के इशारे पर ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की थी। उस समय के मौजूदा वाइसराय लॉर्ड डफ़रिन के निर्देश, मार्गदर्शन और सलाह पर ही हयूम ने इस संगठन को जन्म दिया था, ताकि 1857 की क्रान्ति की विफलता के बाद भारतीय जनता में पनपते असंतोष को हिंसा के ज्वालामुखी के रूप में बहलाने और फूटने से रोका जा सके, और असतोष की वाष्प को सौम्य, सुरक्षित, शान्तिपूर्ण और संवैधानिक विकास या 'सैफ्टी वाल्व' उपलब्ध कराया जा सके।

सेफ्टी वाल्व सिद्धांत की जड़ें

सुमित सरकार ने लिखा है, "डफरिन के निजी कागज़-पत्रों के सार्वजनिक होने से स्पष्ट हो जाता है कि शासक वर्ग में किसी ने भी निकट भविष्य में स्थित खतरे के संबंध में ह्यूम की कसान्द्रा जैसी भविष्यवाणी को गंभीरता से नहीं लिया था।" इससे यह बात भी असत्य साबित हो जाती है की डफरिन ने ह्यूम या कांग्रेस को प्रायोजित किया था। इसके विपरीत कांग्रेस की स्थापना के कुछ समय बाद से डफरिन ने कांग्रेस की आलोचना करना शुरू कर दिया था। उसकी आलोचना ही सेफ्टी वाल्व सिद्धांत को जड़ से मिटा देता है। संभवतया वेडरबर्न ने ह्यूम के जीवन चरित्र को एक अँगरेज़ देश भक्त के रूप में बढ़ा चढ़ा कर दिखाने का प्रयत्न किया था।

Explainer: कांग्रेस के जन्म के साथ क्या था सेफ्टी वाल्व का संबंध

व्यापार के आधार पर चलाए गए स्वतंत्रता संघर्ष

1885 के पहले कई संस्थान अस्तित्व में आ चुके थे। इन संस्थानों को अखिल भारतीय स्तर पर लाने के प्रयास भी होने लगे थे। राजनीतिक दृष्टि से प्रबुद्ध भारतीय इस तथ्य के प्रति सजग थे कि एक व्यापक आधार पर चलाए जाने वाले स्वतंत्रता संघर्ष के लिए और जनता को शिक्षित करने के लिए एक अखिल भारतीय संगठन की ज़रुरत है। इन राष्ट्रीय नेताओं ने ह्यूम का सहयोग इसलिए किया, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके शुरू-शुरू के राजनीतिक प्रयत्न सरकारी विद्वेष के शिकार हों। बिपिन चन्द्र कहते हैं, "यदि ह्यूम ने कांग्रेस का उपयोग एक सुरक्षा नलिका (सेफ्टी वाल्व) के रूप में किया तो कांग्रेस के प्रारंभिक नेताओं ने भी उम्मीद की थी कि वे ह्यूम का इस्तेमाल विद्युत प्रतिरोधक (लाइटनिंग कंडक्टर) के रूप में करेंगे।"

1857 का विद्रोह

गोपाल कृष्ण गोखले ने लिखा है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कोई भारतीय कर ही नहीं सकता था। यदि ऐसा अखिल भारतीय आन्दोलन प्रारंभ करने के लिए कोई भारतीय आगे आता तो अधिकारी उसे अस्तित्व में आने ही नहीं देते। यदि कांग्रेस के संस्थापक एक महान अँगरेज़ और अवकाश प्राप्त विशिष्ट अधिकारी नहीं होते तो, चूंकि उन दिनों राजनीतिक आन्दोलन को संदेह से देखा जाता था, शासन ने कोई न कोई बहाना ढूंढकर उस आन्दोलन को दबा दिया होता। दूसरी बात, 1857 के विद्रोह का नेतृत्व विस्थापित भारतीय राजाओं, अवध के नवाबों, तालुकदारों और जमींदारों ने किया था। इस विद्रोह का स्वरूप भी अखिल भारतीय नहीं था एवं नेतृत्वकर्ता के रूप में सामान्य जन की भागीदारी सीमित रूप में थी। कांग्रेस की स्थापना के समय तक स्थिति में बदलाव आ चुका था। इसलिए 1857 की तरह के विद्रोह की उस समय कोई आशंका नहीं थी।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में ह्यूम की भूमिका

1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना न तो अप्रत्याशित घटना थी, और न ही ऐतिहासिक दुर्घटना। सुरक्षा वाल्व परिकल्पना द्वारा प्राय: विचारकों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में ह्यूम की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया है। भारतीयों में कई दशकों से पनप रही राजनीतिक चेतना और जागरूकता की यह पराकाष्ठा थी। एक राष्ट्रीय संगठन बनाए जाने की बात काफी समय से चल रही थी। ह्यूम ने केवल एक तैयारशुदा स्थिति का लाभ उठाया। भारतीय राजनीति में सक्रिय बुद्धिजीवी राष्ट्रीय हितों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संघर्ष करने के लिए छटपटा रहे थे। उनको सफलता मिली और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।

नोट: हमें आशा है कि परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को इतिहास के विषय पर लिखे इस लेख से काफी सहायता मिलेगी। करियरइंडिया के विशेषज्ञ द्वारा आधुनिक इतिहास के विषय पर लिखे गए अन्य लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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English summary
Safety Valve Theory and Indian National Congress: Many intellectuals believe that the Congress was established in 1885 at the behest of the British. Some say it was the brainchild of Lord Dufferin, some say it was just a plan to avert the impending revolution. Some other class of intellectuals also believe that A.O. Hume established the Congress as a safety valve. Let us understand all these concepts in detail through this article.
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