Why Do Train Derailments Happen: एक और रेल हादसा। सोमवार की सुबह एक भीषण रेल हादसे के साथ हुई। पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी से सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के साथ एक मालगाड़ी के बीच हुई जोरदार टक्कर से एक बार फिर से दहशत का माहौल फैल गया है।
इस भीषण हादसे ने कई लोगों की जान ले ली। इस रेल हादसे में यात्री वाहक ट्रेन की करीब 3 से अधिक बोगियां पटरी से उतर गई। इस दुर्घटना में सैंकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए। हालांकि इस लेख को लिखे जाने तक कोई स्पष्ट आंकड़ें नहीं मिल पाये हैं। मीडिया सूत्रों के अनुसार, ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम होने के कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस रेलवे दुर्घटना घटी।
पिछले वर्ष 3 जून को भारत के पश्चिमी राज्य ओडिशा के बालासोर में यात्री वाहक कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर में करीब दो सौ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। भारत में रेल हादसों से जनता सहम जाती है। वो इसलिए क्योंकि देश में परिवहन साधनों में आज भी अन्य सेवाओं की तुलना में रेलवे में सफर करना अधिक सुलभ माना जाता है। हालांकि बढ़ती रेल दुर्घटनाओं ने रेलवे में सफर करने पर कई प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं और यह प्रश्न चिह्न पूरी तरह से रेलवे में सुरक्षित सफर करने को लेकर हैं।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बालासोर रेल दुर्घटना के कारणों को लेकर एक अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस हादसे के प्रमुख कारणों का पता चल गया है और इस पर जल्द ही कार्रवाई की जायेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बालासोर रेल हादसे के पीछे सिग्नलिंग की समस्या को कारण बताया जा रहा है, अर्थात सिग्नल की समस्या के कारण यह दुर्घटना हुई।
रेल के पटरी से उतर जाने की घटनाओं के बारे में सुनकर क्या आपने कभी ऐसी रेल दुर्घटनाओं के पीछे के कारणों को जानना चाहा है, कि आखिर ये हादसें क्यों होते हैं या किन परिस्थितियों की वजह से होते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको रेल हादसों से जुड़े कुछ तथ्य बता रहे हैं, लेकिन इससे पहले जाने बालासोर रेल दुर्घटना के बारे में।
बालासोर ट्रेन दुर्घटना
बीते 2 जून 2023 को बालासोर ट्रेन दुर्घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो यात्री वाहक ट्रेन की 15 बोगियां पटरी से उतर गई। दरअसल, ट्रेन संख्या 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस ओडिशा के बालासोर जिले में एक मालगाड़ी से टकरा गई। हादसा भारतीय समयानुसार करीब 7 बजकर 20 मिनट पर बहाना बाजार स्टेशन के पास हुआ, जब ट्रेन कोलकाता के पास शालीमार रेलवे स्टेशन से चेन्नई सेंट्रल की ओर जा रही थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस जोरदार टक्कर के बाद ट्रेन के करीब 15 डिब्बे पटरी से उतर गये। लगभग 900 से अधिक घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया और लगभग 230 लोगों से अधिक के मारे जाने की खबर प्राप्त हुई। हावड़ा की ओर जा रही ट्रेन संख्या 12864 यशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बों से टकरा गई, जिसके कारण ट्रेन के कुछ डिब्बे पटरी से उतार गये। बता दें कि इस हादसे में कुल तीन ट्रेनें शामिल थीं।
बिहार रेल दुर्घटना देश की सबसे भयानक दुर्घटना
भारत की सबसे घातक और भयानक रेल दुर्घटना बिहार में घटी। साल 1981 में हुए इस दुर्घटना से रेल में सफर करने वाले हर यात्री के मन में डर पैदा कर दिया था। बिहार रेल हादसे में करीब 750 से भी अधिक लोग मारे गए। इस घटना को दुनिया का दूसरा सबसे बड़े रेल दुर्घटना कहा जाता है। वर्ष 1981, 6 जून को बिहार में भारी बारिश के बीच मानसी से सहरसा की ओर जा रही पैसेंजर ट्रेन जैसे ही बागमती नदी के पुल पर चढ़ी, ड्राइवर ने इमर्जेंसी ब्रेक लगा दिया। इससे ट्रेन की कुल 9 बोगियों में से 7 बोगियां नदी में जा गिरीं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कहते हैं कि इस हादसे के दौरान समय पर सहायता ना मिलने के कारण सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस विभत्स रेल हादसे ने करीब 800 से 1000 लोगों की जान ले ली। इस भीषण हादसे के कारण अब भी अस्पष्ट हैं।
भारत की प्रमुख रेल दुर्घटनाएं कौन सी हैं?
भारत में हर साल रेल दुर्घटनाएं होती हैं। इनमें से कुछ भीषण दुर्घनाएं आज भी लोगों के जहन में घर कर गई है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे। बिहार के सहरसा में वर्ष 1981 में हुए रेल दुर्घटना को भारत का सबसे भयावह दुर्घटना माना जाता है, क्योंकि इसमें 800 से 1000 लोगों की जान चली गई। इसके बाद फिरोजाबाद रेल दुर्घटना ने करीब 358 लोगों की जान ले ली। वहीं गैसल ट्रेन दुर्घटना में करीब 285 मारे गए, खन्ना रेल हादसे में 212 लोगों के मारे जाने की खबर है।
वर्ष 2002 राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटना में तकरीबन 200 मारे गए थे। वर्ष 1964 में रामेश्वरम चक्रवात के कारण पम्बन ब्रिज पर हुई रेल दुर्घटना में लगभग 150 से अधिक लोगों की जान चली गई। आपको बता दें कि साल 2010 में सारडिहा के जंगलों में माओवादियों ने रेल की पटरियां खोल दी थी, जिसके बाद ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन की लगभग 9 बोगियां ट्रैक से उतर गईं। इस घटना में करीब 148 लोगों की मौत हुई थी।
भारत में किस वर्ष में सबसे ज्यादा रेल दुर्घटनाएं हुईं?
भारतीय रेल के 170 वर्षों के इतिहास में कई रेल दुर्घटनाएं हुईं। हालांकि यदि बात आजादी के बाद के दशकों की करें तो सबसे अधिक रेल हादसें 2010 के दशक में दर्ज किये गये हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2010 के दशक यानि 2010 से लेकर 2020 तक भारत में कुल रेल दुर्घटनाओं की संख्या लगभग 78 दर्ज की गई। वहीं 1970 के दशक में कुल 57 रेल दुर्घटनाएं हुईं। आइए दशकों के अनुसार देखें रेलवे दुर्घटनाओं की संख्या की सूची -
- 1950 के दशक - 18 दुर्घटनाएं
- 1960 के दशक में - 16 दुर्घटनाएं
- 1970 के दशक में - 57 दुर्घटनाएं
- 1980 के दशक में - 17 दुर्घटनाएं
- 1990 के दशक में - 35 दुर्घटनाएं
- 2000 के दशक में - 25 दुर्घटनाएं
- 2010 के दशक में - 78 दुरघटनाएं
- 2020 के दशक में - 13 दुर्घटनाएं (अब तक)
भारत में ट्रेन पटरी से उतरने की घटनाएं क्यों होती है?
हालांकि यदि साल दर साल की बात करें तो भारत में रेलवे दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है लेकिन भारत में ट्रेन के पटरी से उतरने की घटनाएं आम हो गई है। इस पर कई प्रश्न खड़े होते हैं कि आखिर इसके पीछे कारण क्या है। वर्ष 2019-20 के लिए तैयार की गई एक सरकारी रेलवे सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 70 प्रतिशत रेल दुर्घटनाओं में अक्सर रेल के डिब्बे पटरी से उतर जाने की घटनाएं सामने आती हैं। इसके बाद ट्रेन हादसों में ट्रेन में आग लगने और दो ट्रेन के आपस में टकराने की घटनाएं सामने आई हैं, जो कुल दुर्घटनाओं के क्रमशः 14 प्रतिशत और 8 प्रतिशत हैं।
समीक्षाधीन वर्ष के दौरान तैयार किये गये रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 33 यात्री ट्रेनों और सात मालगाड़ियों को शामिल करते हुए करीब 40 ट्रेनों के पटरी से उतरने की गणना की गई। इनमें से 17 ट्रेनों की पटरी से उतरने में ट्रैक के फ्रैक्चर होने और पटरियों का धंसने की घटना का विवरण दिया गया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, रेल के पटरी से उतरने की करीब नौ घटनाओं में ट्रेन के इंजन, कोच, वैगन में खराबी के कारण भी अन्य कारणों में शामिल हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण धातु से बनी रेल की पटरियां गर्मी के महीनों में फैलती हैं और सर्दियों में सिकुड़ती हैं। उन्हें नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही ढीले पड़े ट्रैक घटकों को कसने, स्लीपर बदलने, उनकी मरम्मत करने और खराब वस्तुओं को समय समय पर बदलने की आवश्यकता होती है। इस तरह ट्रैक का निरीक्षण पैदल, ट्रॉलियों, इंजनों और पिछले वाहनों द्वारा किया जाता है।
सबसे ज्यादा रेल दुर्घटना किस राज्य में हुईं?
वर्ष 2022 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में 2021 में रेल दुर्घटनाओं में 38.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट की गई 17,993 दुर्घटनाओं में से 19.4 प्रतिशत महाराष्ट्र में हुई, इसके बाद पश्चिम बंगाल रेल दुर्घटनाओं में दूसरे स्थान पर रहा। एनसीआरबी के आंकड़ों में कहा गया है, "2021 के दौरान 17,993 रेल दुर्घटनाओं में 1,852 लोग घायल हुए और 16,431 लोगों की मौत हुई।" इस रिपोर्ट के मुताबिक, 11,036 लोगों की मौत या तो ट्रेन से गिरने या रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से टकराने से हुई थी।
रेलवे में दुर्घटनाएं कितने प्रकार की होती हैं?
भारत में रेलवे को परिवहन के लिए सबसे लोकप्रिय साधनों में से एक माना जाता है। वह इसलिए भी क्योंकि आज भी रेलवे में सफर करना अन्य उपलब्द्ध परिवहन साधनों से कम खर्चीला है। केवल परिवहन के लिए ही नहीं बल्कि देश में कार्गो वहन के लिए भी रेलवे का उपयोग अन्य साधनों की तुलना में सबसे अधिक किया जाता है।
हालांकि, यदि ट्रेन में यांत्रिक विफलता होती है, तो इसका परिणाम एक भयावह दुर्घटना में बदल सकती है जिससे गंभीर चोटें और जीवन की हानि भी हो सकती है। यहां हम भारत में रेलवे में दुर्घटनाएं के प्रकारों की चर्चा कर रहे हैं। आइए जानते हैं भारत में रेलवे दुर्घटनाओं के प्रकार क्या क्या हैं।
रेल दुर्घटनाओं के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
- पटरी से ट्रेन के डिब्बों का उतरना
- दूसरी ओर से आती अन्य ट्रेनों से टकराना
- रेलवे के मलबे से टकराना
- ट्रेन में विस्फोट या मशीन से संबंधित त्रुटियां
- रेलवे की सिग्नल का सुचारू रूप से कार्य न करना
हाल ही में रेलवे सुरक्षा पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया कि भातर में अधिकतर रेलवे दुर्घटनाएं मानव गलतियों और लापरवाही के कारण घटती है। रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही अंततः बड़ी रेल दुर्घटनाओं का कारण बनती है और ऐसी घटनाओं में सैंकड़ों मासूमों की जान जाती है। इतना ही नहीं इन घटनाओं से रेलवे की संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचता है। रेलवे कर्मचारियों द्वारा सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने के कई मामले भी सामने आए हैं। बालासोर रेलवे दुर्घटना इसका ताजा उदाहरण है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भयानक हादसे के पीछे रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम डिफल्ट को कारण बताया जा रहा है।