गर्मी के मौसम में दिल्ली और बेंगलुर की तुलना करें तो एक तरफ आसमान से बरसते आग के गोले, तो दूसरी तरफ ठंडी-ठंडी हवा। एक तरफ हीटवेव का कहर तो दूसरी तरफ एयरकंडीशंड शहर, जो सुबह-शाम अपना तापमान इस तरह नियंत्रित करता है कि यहां एसी की जरूरत नहीं पड़ती।
ज़रा सोचिए आखिर गर्मियों के मौसम में बेंगलुरु दिल्ली जितना गर्म क्यों नहीं होता है? कारण तो आपने तमाम सुने होंगे, लेकिन हम आपको इसके पीछे वैज्ञानिक कारण बतायेंगे। तो चलिए दिल्ली और बेंगलुरु के मौसम के मिजाज की तुलना करके देखते हैं।
आगे बढ़ने से पहले बात करते हैं प्रदूषण की। जो लोग यह सोचते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण की वजह से ज्यादा गर्मी होती है, तो वो गलत हैं और जो लोग यह सोचते हैं कि ट्रैफिक इसका कारण है, तो वो भी गलत हैं, क्योंकि दिल्ली और बेंगलुरं में प्रदूषण का और ट्रैफिक का स्तर लगभग समान ही है। दोनों मेट्रो शहर जो ठहरे। और हां जो लोग केवल मौसम की वजह से बेंगलुरु में जाकर बसना चाहते हैं, तो उनको भी हम बताना चाहेंगे, कि यहां पर पसीना बहुत कम निकलता है, और पसीना नहीं निकलना या कम निकलना बीमारी का कारण बन सकता है।
अब बात तापमान की गर्मियों में जहां दिल्ली का तापमान 25°C से 45°C के बीच रहता है। वहीं बैंगलोर का तापमान आमतौर पर गर्मियों में 14°C से 32°C तक दर्ज किया जाता है। बैंगलोर के मौसम की दिलचस्प बात तो ये हैं कि वहां 30 डिग्री से ऊपर तापमान पहुंचते ही बारिश होनी शुरू हो जाती है जो कि वहां के मौसम को और सुहाना बना देती है।
दिल्ली और बेंगलुरु के बीच की दूरी
जानकारी के लिए बता दें कि भारत की राजधानी दिल्ली और भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए प्रसिद्ध बैंगलोर के बीच लगभग 2155 किलोमीटर की दूरी है। दिल्ली जहां भारत का उत्तर भाग में स्थित है वहीं बैंगलोर भारत के दक्षिण भाग में स्थित है। दोनों शहरों के बीच हवाई दूरी यानि एरियल डिस्टेंस 1740 किलोमीटर है।
गर्मियों में बेंगलुरु दिल्ली से ठंडा क्यों, जानिए वैज्ञानिक कारण
1. उच्च ऊंचाई (High Altitude)
वैज्ञानिकों के अनुसार दिल्ली समुद्र तल से लगभग 239 मीटर ऊपर स्थित है और कर्क रेखा के बेहद करीब है। जबकि बेंगलुरु समुद्र तल से लगभग 920 मीटर ऊपर स्थित है और दिल्ली की तुलना में अधिक ऊंचाई पर है। जिस वजह से उत्तरी गोलार्ध के ग्रीष्म संक्रांति के दौरान सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सतह से लंबवत टकराती हैं और दिल्ली में गर्मी के तापमान को बढ़ाती है। ध्यान दीजियेगा, प्रत्येक 300 मीटर ऊपर चलने पर तापमान में 1 डिग्री की कमी आती है। यही कारण है कि पहाड़ और अधिक ठंडे होते हैं।
2. उत्तरी अक्षांशों में तेज धूप (Sunshines brighter in northern latitudes)
वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्मियों के महीनों में उत्तरी अक्षांशों पर सूर्य की धूप अधिक होती है। जिस वजह से उत्तर में स्थित दिल्ली में इन महीनों में अधिक गर्मी होती है। इसी दौरान पश्चिम से चलने वाली हवा राजस्थान से होते हुए दिल्ली पहुंचती है और लू के थपेड़ों के साथ लोगों का जीना मुहाल कर देती है।
3. प्रबल सूर्य (Strong Sun)
वैज्ञानिक बताते हैं कि तेज़ धूप की वजह से दिल्ली और अन्य उत्तरी राज्यों के आस-पास का वातावरण और हवा अधिक गर्म हो जाती है और कम दबाव का क्षेत्र बनाकर ऊपर उठती है जो पश्चिम से आने वाली हवाओं से भर जाता है, यानी राजस्थान में थार रेगिस्तान। लू के नाम से जानी जाने वाली पश्चिम की यह हवा उत्तरी भारत में चलती है और गर्मियों में वास्तविक गर्म तापमान का कारण होती है। जबकि बैंगलोर में वही हवाएं कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अन्य हिस्सों की ओर सर्कुलेशन यानि परिसंचरण के कारण बदल जाती हैं।
4. चक्रवात स्पिल-ओवर (Cyclone spill-overs)
दिल्ली में अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर की चक्रवाती लहरों का प्रभाव बहुत कम होता है क्योंकि यह समुद्र से बहुत दूर है। जबकि बैंगलोर एक ऐसा शहर है जो कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से बराबर दूरी पर स्थित है, यह दक्षिणी प्रायद्वीप के केंद्र में स्थित है। बेंगलुरु तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के बेहद करीब हैं जो कि चक्रवातों से प्रभावित राज्य हैं और बैंगलोर स्पिल-ओवर शावर देते हैं। जिस वजह से बैंगलोर में इतनी अधिक बारिश होती है।
5. मानसून के दौरान और उससे पहले (During and Before Monsoon)
वैज्ञानिकों का कहना है कि तटीय क्षेत्र से दूर होने के कारण दिल्ली में देर से मानसून आता है जबकि बैंगलोर को मानसून का केंद्र कहा जाता है। दरअसल भारत में मानसून की दो शाखाएं (अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा) हैं। जिन्हें दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्वी मानसून के नाम से भी जाना जाता है। एक तरफ जहां दिल्ली में आमतौर पर मानसून की बंगाल की खाड़ी की शाखा से बारिश होती है। वहीं बेंगलुरु में अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा दोनों से बारिश होती है।
इसके अलावा, वैज्ञानिक भाषा में भारत के उत्तरी भाग (दिल्ली) में मानसून की वापसी एक क्रमिक प्रक्रिया है जबकि दक्षिणी भारत (बेंगलुरु) में यह एक तीव्र प्रक्रिया है।
अगली बार जब आप बेंगलुर से दिल्ली या दिल्ली से बेंगलुरु जाइयेगा तो मौसम में होने वाले परिवर्तन आपको करियरइंडिया की याद जरूर दिलायेंगे। अगर यह लेख पसंद आया हो तो जरूर शेयर कीजियेगा।
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