New Years and Harvest Festivals Celebrated In India: भारत की विविधता में एकता है। ये केवल कहने को एक कथन मात्र नहीं है, बल्कि भारत की सभ्यता और संस्कृति की पहचान है। यह देश की अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता ही है, जिसके कारण भारत में कई नववर्ष के त्योहार मनाये जाते हैं। भारत में विभिन्न धर्म और समुदाय के लोग बसते हैं, जो हिन्दू सूर्य और चंद्र कैलेंडर पर आधारित नये साल का त्योहार मनाते हैं। कई प्रमुख नए साल के उत्सव हिंदू चंद्र कैलेंडर पर आधारित है, जिनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा के कुछ हिस्से में उगादी, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और कश्मीर में नवरेह जैसे त्योहार शामिल हैं।
वहीं सूर्य कैलेंडर के प्रमुख नए साल के रूप में केरल में विशु, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और दिल्ली के कुछ हिस्से में बैशाखी, असम में बोहाग बीहू, ओड़िशा में पाणा संक्रांति और पश्चिम बंगाल में पोइला बैशाख जैसे त्योहार शामिल हैं। ये त्योहार नए साल की शुरुआत का प्रतीक हैं और कृषि चक्र और क्षेत्रीय परंपराओं से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त, भारत में इस्लामिक नववर्ष भी मनाया जाता है, जिसे मुहर्रम के नाम से जाना जाता है। इस्लामिक नववर्ष मुहर्रम, चंद्र हिजरी कैलेंडर पर आधारित है।
हालांकि नए साल का एक और महत्वपूर्ण उत्सव ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है। यह पश्चिमी संस्कृति और परंपराओं से प्रभावित है। इन नए साल के त्योहारों में से प्रत्येक का अपना इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और अनुष्ठान आयोजन की परंपरा हैं। भारत में विभिन्न धर्मों और समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाले नववर्ष, भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य की विविध छवि को दर्शाते हैं।
भारत को समृद्ध सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधता का देश भी कहा जाता है, इसलिये यहां साल भर में सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई नए साल के त्योहार मनाये जाते हैं। इस लेख में भारत में विभिन्न धर्मों, समुदायों और विभिन्न राज्यों में मनाये जाने वाले नववर्ष की सूची दी गई है।
How many New Years celebrated In India List
अप्रैल - वैसाखी - पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और दिल्ली के कुछ हिस्से
अप्रैल - मेष संक्रांति (हिन्दू सौर नववर्ष) - उत्तराखंड (गढ़वाल और कुमाऊं), नेपाली (सिक्किम, दार्जिलिंग)
अप्रैल - पुथंडु - तमिलनाडु
अप्रैल - विशु (पारंपरिक) - केरल
अगस्त - 1 चिंगम (कोल्लम युग कैलेंडर) - केरल
अप्रैल - बिसु परबा - तुलु नाडु
अप्रैल - बुइसू - त्रिपुरा
अप्रैल - बिविसागु बोडोलैंड - असम
अप्रैल - बोहाग बिहू - असम
अप्रैल - पाणा संक्रांति - ओडिशा
अप्रैल - पहला बैशाख - पश्चिम बंगाल और व्यापक बंगाल क्षेत्र
अप्रैल - जुर सीतल - मिथिला
अप्रैल - सांगकेन - अरुणाचल प्रदेश (खामती, सिंगफो, खाम्यांग, तांगसा), असम (ताई फाके, ताई ऐटन, तुरुंग)
अप्रैल - बिझू - चकमा
अगस्त -पटेटी - पारसी
मार्च - नौरोज़ - ईरानी/अन्य पारसी
मार्च/अप्रैल - चैत्र नवरात्रि (हिन्दू चंद्र नव वर्ष) - बिहार (भोजपुर, मगध), उत्तर प्रदेश (अवध, ब्रज, बागेलखंड, भोजपुर-पूर्वांचल, बुन्देलखण्ड, कन्नौज, रोहिलखण्ड), मध्य प्रदेश (बगेलखण्ड, बुन्देलखण्ड, मालवा, महाकौशल, गिर्द), छत्तीसगढ़, झारखण्ड , और दिल्ली के कुछ हिस्से
मार्च/अप्रैल - उगादी - आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा के कुछ हिस्से
मार्च/अप्रैल - गुड़ी पड़वा - महाराष्ट्र, गोवा (कोंकण)
मार्च/अप्रैल - नवरेह - कश्मीर
जून/जुलाई - आषाढ़ी बिज - कच्छ
अक्टूबर/नवंबर - नूतन वर्ष - गुजरात
मार्च/अप्रैल - चेटी चंद - सिंध, सिंधी हिंदू
मार्च/अप्रैल - साजिबू चेइराओबा - मणिपुर
दिसंबर - लोसूंग/नामसूंग - सिक्किम (भूटिया, लेप्चा)
फरवरी - लोसार - लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश (मोनपा)
फरवरी/मार्च - ग्यालपो लोसार - सिक्किम (शेरपा)
दिसंबर/जनवरी - तमु लोसर - सिक्किम (गुरुंग)
जनवरी/फरवरी - सोनम लोसार - सिक्किम (तमांग)
भारत में मनाये जाने वाले कुछ प्रमुख नववर्ष|New Years Celebrated In India
1. उगादी: उगादी प्रमुख रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा के कुछ हिस्से में मनाया जाता है। यह चंद्र-सौर कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। यह वसंत ऋतु में अर्थात अप्रैल के मध्य में पड़ता है। इस दौरान उगादी मनाने वाले समुदाय के लोग कृषि अनुष्ठानों और भरपूर फसल के लिए प्रार्थना करते हैं और नववर्ष का उत्सव मनाते हैं। उगादी त्योहार में पारंपरिक मिठाइयाँ और 'पचड़ी' (मीठा शरबत) बनाई जाती है। उगादी नई शुरुआत का त्योहार है, इसलिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ तरह तरह के पारंपरिक पकवान बनाते और खाते हैं।
2. गुड़ी पड़वा: महाराष्ट्र में नववर्ष के रूप में गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। यह चंद्र-सौर कैलेंडर के आधार पर नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। घरों को विजय और सौभाग्य के प्रतीक रंग-बिरंगे झंडों (गुडियों) से सजाया जाता है। यह चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है और आमतौर पर हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल में पड़ता है। गुड़ी पड़वा का पारंपरिक महत्व है। क्योंकि यह नई शुरुआत का प्रतीक है इसलिए इसे नये साल के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का एक मुख्य आकर्षण भव्य जुलूस है जिसे 'शोभा यात्रा' के नाम से जाना जाता है। इस शोभा यात्रा के दौरान लोग पारंपरिक कपड़े या पोशाक पहनते हैं और संगीत एवं नृत्य प्रदर्शन कर गुड़ी अपने घर ले जाते हैं।
3. बैसाखी : बैसाखी का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब में एक फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बैसाखी के साथ बिक्रम संवत कैलेंडर पर सौर नव वर्ष की शुरुआत होती है। इस नए साल के उत्सव में भांगड़ा जैसे लोक नृत्य, स्वादिष्ट भोजन और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। बैसाखी सिख खालसा के गठन का दिन भी है। बैसाखी का त्योहार भारत, अमेरिका, कनाडा समेत विश्व के कई देशों में जहां सिख समुदाय के लोग रहते हैं, मनाया जाता है। पांच नदियों की भूमि कहे जाने वाले पंजाब में बैसाखी का विशेष महत्व है। वैशाख महीने के पहले दिन को पंजाब का सिख समुदाय के लोग धूमधाम से ये त्योहार मनाते हैं।
4. पुथंडु: पुथंडु को तमिल नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है। यह तमिल कैलेंडर पर वर्ष का पहला दिन है और पारंपरिक रूप से दुनिया भर में तमिल लोगों द्वारा एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। तमिल में पारंपरिक नया साल अप्रैल के मध्य में 13 या 14 अप्रैल या तमिल महीने चिथिराई के पहले दिन से शुरू होता है। इस त्योहार के दौरान लोग एक-दूसरे को "पुथंडु वज़थुकल" की शुभकामनाएं देते हैं जिसका अर्थ है नए साल की शुभकामनाएं। इस उत्सव का विशेष भोजन मंगई पचड़ी है। ये व्यंजन कच्चे आम, नीम के फूल और गुड़ से बनाई जाती है।
5. बोहाग बिहू: बोहाग बिहू, असम राज्य में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय फसल उत्सव और नए वर्ष का त्योहार है। यह त्योहार बीज बोने के समय की शुरुआत का प्रतीक है। असमिया नव वर्ष बोहाग बिहू को रोंगाली (रोंग का अर्थ खुशी) भी कहा जाता है क्योंकि यह सभी के लिए खुशी का समय है। इस दौरान ढेर सारी मिठाइयों के साथ नई फसल का उत्सव मनाते हैं। बोहाग बिहू कई अलग-अलग परंपराओं के साथ लगातार तीन दिनों तक मनाया जाता है। बिहू नृत्य लोगों के लिए उत्सव का एक रूप है।
6. पोइला बोइशाख: पोइला बोइशाख बंगाली समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला बंगाली नव वर्ष है। पोइला बोइशाख का उत्सव बेहद खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह आम तौर पर बंगाली कैलेंडर की शुरुआत अर्थात 14 या 15 अप्रैल को पड़ता है। यह अवसर नई शुरुआत, सांस्कृतिक विरासत और एकता की भावना का प्रतीक है। पोइला बोइशाख के दिन समुदाय के लोग पंता भात, इलिश भापा जैसे पारंपरिक व्यंजनों और रसगपल्ली और सोंदेश जैसी मिठाइयों खाते एवं दोस्तों और परिजनों को खिलाते हैं। त्योहार के दौरान जुलूस यात्रा, लोक संगीत और नृत्य प्रदर्शन और मेले लगाये जाते हैं।