संयुक्त राष्ट्र एक अंतराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति की स्थापना करना है। इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतराष्ट्रीय न्यायालय के कानून द्वारा की गई थी। 1945 में संयुक्त राष्ट्र के 51 संस्थापक सदस्य थे और यह वे देश थे जिन्हें 1945 में सैन फ्रांसिसको सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यदि वर्तमान समय की बात करें तो इसमें 193 सदस्य देश हैं। इसके कार्य और उद्देश्य इसके संस्थापक में निहित है। विश्व में हो रहे निरंतर बदलाव में अपनी गति को बनाए रखने के संयुक्त राष्ट्र नें अपने आपको समय के साथ विकसित किया है। लेकिन इसमें एक बात हमेशा समान रही है, वो ये है कि दुनिया में एक ऐसी जगह है जहां सब मिलकर एक साथ निम्न समस्याओं पर चर्चा कर सकतें हैं। उसके लिए साथ मिलकर समाधान ढूंढ सकते हैं जिससे पूरी मानवता का फायदा और विकास हो सकें। कई पूरानी उपलब्धियों के साथ संयुक्त राष्ट्र अब नई उपलब्धियों को पाने की ओर बढ़ रहा है और इसके साथ संयुक्त राष्ट्र का इतिहास अभी भी लिखा जा रहा।
एंटोनियो गुटेरेस (संयुक्त राष्ट्र महासचिव) कहते हैं कि अंत में, हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को विरासत में मिली इस दुनिया को यूएन चार्टर में मूल्योंः न्याय, शांति, सम्मान, मानव अधिकार, सहिष्णुता और एकजुटता से परिभाषित किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र मुख्य निकाय
संयुक्त राष्ट्र के मुखय निकाय की बात करें तो- इसमें महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, ट्रस्टीशिप परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय शामिल हैं। इन सब की स्थापना 1945 में UN के साथ ही हुई थी.
महासभा
महासभा संयुक्त राष्ट्र का मुख्य नीति-निर्माण अंग है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा कवर किए गए मुद्दों को उठा कर सभी सदस्य राज्यों के साथ मिलकर चर्चा करने का एक मंच प्रदान करता है। इसमें सभी 193 सदस्यों के पास एक समान वोट होता है। जरूरत के समय संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) संयुक्त राष्ट्र के लिए निर्णय भी लेती है जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय शामिल है जैसे- सुरक्षा परिषद कि सिफारिश पर महासचिव की नियुक्ति, संयुक्त राष्ट्र बजट को मंजूरी, संयुक्त राष्ट्र के अस्थायी सदस्यों को चुनाव, विधानसभा की बैठक प्रत्येक वर्ष सितंबर से दिसंबर तक के नियमित सत्र में तय करना। विशिष्ट मुद्दों पर चर्चा करना ताकि संकल्पो को अपनाया जा सके।
कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए 2020 से महासभा ऑनलाइन माध्यमों से की जा रही है और निर्णय लेने के लिए ई-वोटिंग को का प्रयोग किया जा रहा है। इन सब तरीकों का उपयोग वह व्यापार निरंतरता की गारंटी और बीमारी के प्रसार को कम करने के लिए कर रही है। महामारी एकमात्र आसी समस्या नहीं है जिसका सामना दुनिया कर रही है। जातिवाद, असहिष्णुता, असमानता, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, भूख, सशस्त्र संघर्ष और अन्य बीमारियां वैश्विक स्तर पर समाज के लिए बडी चुनौतियां हैं। ये सभी चुनौतियां वैश्विक कार्रवाई की मांग करती हैं, और संयुक्त राष्ट्र महासभा सभी को एक साथ लाने और भविष्य के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
सुरक्षा परिषद
सुरक्षा परिषद शांति और सुरक्षा को बनाए रखने पर जोर देते हैं। सुरक्षा परीषद की प्राथमिक जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और शांति बनाए रखना है। इसमें 15 सदस्य होते हैं जिसमें सें पांच स्थाई सदस्य- चीन, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंग्डम, यूनाइयटेड स्टेट्स शामील है और 10 अस्थाई सदस्य ब्राज़िल, गैबॉन, घाना, भारत, आयरलैंड, केन्या, मेक्सिको, नॉर्वे, संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इसमें प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत, सभी सदस्य सुरक्षा परिषद के निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। सुरक्षा परिषद हर विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने पर बल देता है। कुछ मामलों में, सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिए प्रतिबंध लगाने या बल के उपयोग को अधिकृत करने का सहारा ले सकती है।
आर्थिक और सामाजिक परिषद
संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली के केंद्र में, हम अत्याधुनिक विश्लेषण करते हैं और वैश्विक मानदंडों पर आपनी सहमती देते हैं और प्रगति की वकालत करते हैं। हम सामूहिक तौर पर समाधान निकाते है ताकि सतत विकास को आगे बढ़ा सकें।
ट्रस्टीशिप काउंसिल
ट्रस्टीशिप काउंसिल ने 1 नवंबर 1994 में अंतिम शेष ट्रस्ट क्षेत्र में अपने कार्य को निलंबित कर दिया था। इसी के चलते 25 मई 1994 को एक संकल्प पत्र के द्वारा परिषद नें वार्षिक बैठक के दायित्व को छोड़ने की प्रक्रिया के अपने नियमें में संशोधन किया।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की सीट 'द हेग' में है। यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है।
सचिवालय
सचिवालय का कार्य संयुक्त राष्ट्र के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करना है जो महासभा और अन्य मुख्य निकायों द्वारा अनिवार्य होते हैं। महासचिव सचिवालय का प्रमुख होता है। जिसके अंतगर्त दुनियाभर के सभी ड्यूटी स्टेशन पर काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र के हजारों अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारी सदस्य होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र प्रणाली
UN संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक हिस्सा है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के अलावा, कई कार्यक्रम, फंड और विशेष एजेंसियां शामिल हैं। जिनमें से प्रत्येक का अपना एक अगल कार्य क्षेत्र, नेतृत्व और बजट है। UN इन अलग संयुक्त राष्ट्र प्रणाली संस्थाओं के साथ अपने काम का समन्वय करता है। जो सभी मिलकर संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करती हैं।
भारत और संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के तौर पर भारत संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पुरजोर समर्थन करता है साथ ही भारत नें संयुक्त राष्ट्र के विशेष कार्यक्रमों और एजेंसी के चार्टर और मूल्यांकन के लक्ष्यों को लागू करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संयुक्त राष्ट्र के साथ भारत का गहरा जुड़ाव बहुपक्षवाद और संवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर आधारित है, जो कि समान लक्ष्यों को प्राप्त करने और आम चुनौतियों के समाधन करने की एक कुंजी है। भारत का हमेशा से ही विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के मानदंड ,जिसे उसने बढ़ावा दिया है, आज के समय की वैश्विक चुनौतियों के समाधान और उन्हें निपटाने के लिए सबसे प्रभावशाली साधन है। जिसमें मुख्य रूप से सतत विकास, गरीबी उन्मूलन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, शांति निर्माण और शांति स्थापना, आतंकवाद, निरस्त्रीकरण, मानवाधिकार, प्रवास, स्वास्थ्य और महामारी शामिल हैं।
खैर UN की भूमिका सिर्फ यही तक नहीं है। वह नए उभरते क्षेत्रों जैसे साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और फ्रंटिय प्रौद्दोगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत सभी प्रकार की वैश्विक चुनौतियों का व्यापक और न्यायसंगत समाधान प्राप्त करने के लिए बहुपक्षवाद की भावना से सभी राष्ट्र समूहों के साथ काम करने के अपने प्रयासों में जुटा हुआ है। एक मजबूत समर्थक के रूप में, भारत संयुक्त राष्ट्र और इसकी संस्थाओं के व्यापक सुधार का समर्थन करता है, ताकि उन्हें 21वीं सदी की वास्तविकताओं के प्रति चिंतनशील बनाया जा सकें और उसमें मजबूत सामूहिक कार्रवाई की सुविधा उपलब्ध हो।