Republic Day 2024: भारत में हर साल 26 जनवरी को संविधान लागू होने की खुशी में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं भारतीय संविधान का निर्माण कब और कैसे हुआ? हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसमें की शुरुआत में कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी। लेकिन समय-समय पर हुए संशोधनों के बाद आज भारत के संविधान में कुल 25 भाग, 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां है। बस ऐसे ही और तथ्यों के साथ हम प्रस्तुत कर रहे हैं संविधान के निर्माण की टाइमलाइन, जिसमें आप जान सकेंगे कि कब क्या हुआ...
भारतीय संविधान की टाइमलाइन
इस टाइम लाइन में आप उन महत्वपूर्ण तारीखों को देख सकते हैं, जब भारत के लोकतंत्र की नीव पड़ रही थी। ये महज तारीख नहीं, बल्कि इतिहास हैं और हर साल जनरल स्टडीज़ के पेपर में इमें से एक सवाल जरूर पूछा जाता है। तो कलम उठाइये और नोट कर लीजिये-
संविधान निर्माण में डॉ. अम्बेडकर के अलावा किस-किस ने निभाई अहम भूमिका?
भारत में संविधान का जनक डॉ भीवराव आंबेडकर को कहा जाता है। क्योंकि इन्होंने 7 सदस्यों की कमेटी होने के बावजूद अकेले ही संविधान का मसौदा तैयार किया था। संविधान सभा की प्रारूप समिति में जिन सात लोगों कन्हैयालाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर, गोपाळ स्वामी अय्यंगार, एन. माधव राव और टीटी कृष्णामचारी को रखा गया उनमें से एक सदस्य बीमार हो गए, दो दिल्ली के बाहर थे, एक विदेश में थे, एक ने बीच में इस्तीफा दे दिया था और वहीं एक सदस्य ने समिति जॉइन ही नहीं की थी।
भारत का संविधान किसने लिखा?
भारतीय संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा था। उन्होंने मूल संविधान को प्रवाहपूर्ण इटैलिक शैली में लिखा। जबकि मूल संविधान के हिंदी संस्करण का सुलेखन वसंत कृष्ण वैद्य ने किया था। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान केवल एक शर्त पर लिखा था कि उनका और उनके दादा का नाम संविधान में जोड़ा जाएगा।
भारतीय संविधान का निर्माण कब और कैसे हुआ?
भारत का संविधान का निर्माण 26 नवम्बर 1949 को हुआ था। जिसमें की 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा था। संविधान सभा के निर्माण का प्रस्ताव सर्वप्रथम वर्ष 1934 में एम.एन. रॉय द्वारा रखा गया था, जबकि संविधान सभा के गठन के लिए चुनाव वर्ष 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के तहत हुए थे।
संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी। जिसमें 292 प्रतिनिधि ब्रिटिश प्रान्तों के, 4 चीफ कमिश्नर और 93 प्रतिनिधि देशी रियासतों के थे। कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिय चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को 208 वोट, मुस्लिम लीग को 73 वोट और 15 वोट अन्य दलों को और स्वतंत्र उम्मीदवार को मिले थे।
संविधान सभा की प्रथम बैठक का आयोजन 9 दिसंबर 1946 को दिल्ली स्थित काउंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुआ था और इसकी अध्यक्षता सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य सच्चीदानंद सिन्हा ने की थी। वह सभा के अस्थाई अध्यक्ष चुने गए थे। संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे।
संविधान सभा में प्रांतों या देसी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का प्रतिनिधित्व दिया गया था, साधारणतः 10 लाख की आबादी पर एक स्थान का आबंटन किया गया था। हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधियों ने संविधान सभा में भाग नहीं लिया था।
भारत के संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया था और इस सभा में 13 समितियां थी जो संविधान सभा के विभिन्न कार्यों से निपटने के लिए गठित की गईं थी। इन समितियों में 8 समितियां प्रमुख थीं, नीचे उन समितियों के नाम और उनके अध्यक्ष के नाम दिए गयें हैं-
संविधान मसौदा समिति (Drafting Committee)
अध्यक्ष मसौदा समिति- बी.आर. अंबेडकर
संघ शक्ति समिति- जवाहरलाल नेहरू
केंद्रीय संविधान समिति- जवाहरलाल नेहरू
प्रांतीय संविधान समिति- वल्लभभाई पटेल
मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातीय तथा बहिष्कृत क्षेत्रों पर सलाहकार समिति- वल्लभभाई पटेल
प्रक्रिया समिति के नियम- राजेंद्र प्रसाद
राज्य समिति (राज्यों के साथ बातचीत के लिये समिति)- जवाहरलाल नेहरू
संचालन समिति- राजेंद्र प्रसाद
संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बी. एन राव थे। राव ने दुनिया के बहुत सारे संविधानों का अध्ययन किया और यूके, आयरलैंड, कनाडा, अमेरिका जाकर वहां के विधि विद्वानों से इसके विषय में विस्तृत चर्चा की। फिर अक्टूबर 1947 में उन्होंने संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार किया और इस ड्राफ्ट को भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी को सौंपा गया। इस ड्राफ्ट पर विचार करने के बाद कमेटी ने एक नया ड्राफ्ट तैयार किया और उसे पर संविधान सभा के सुझाव मांगे। दिए गए सुझावों के आधार पर ड्राफ्ट में कई बदलाव किये गए और बदले हुए ड्राफ्ट के सभी प्रावधानों पर एक वर्ष तक चर्चा हुई। जिसके बाद संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था। और फिर 26 जनवरी 1950 को संविधान देश में पूरी तरह से लागू किया गया।