दस साल से अधिक लंबे इंतजार के बाद, 75वें आज़ादी के अमृत महोत्सव पर कर्नाटक को अपना पहला रामसर स्थल मिला गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मांड्या में रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य जो कि 517.70 हेक्टेयर में फैला हुआ है उसे अगस्त 2022 में रामसर स्थल के रूप में घोषित किया है। इससे कर्नाटक के वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग न केवल रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य का बेहतर रिजर्व करेंगे बल्कि अपने पर्यावरण-पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय लेवल तक पहुंचा सकेंगे।
बता दें कि अक्सर भारत की प्रतियोगी परिक्षाओं जैसे यूपीएससी, बैंक, एसएससी में आद्रभूमि, रामसर स्थलों से संबंधित प्रश्न पूछे जातें हैं। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको रंगनाथिट्टू बर्ड सैंक्चुरी से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराते हैं।
रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य (रंगनाथिट्टू बर्ड सैंक्चुरी) कर्नाटक के मांड्या जिले में स्थित है। यह बर्ड सैंक्चुरी कावेरी नदी के तट पर लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बता दें कि रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य कर्नाटक का सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है। जिसे 1940 में पक्षी विज्ञानी सलीम अली के निरतंर प्रयासों के कारण वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। इस बर्ड सैंक्चुरी का नाम हिंदू भगवान श्री रंगनाथ स्वामी के नाम पर रखा गया है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य कर्नाटक के ऐताहासिक शहर श्रीरंगपटना के पास कावेरी में कई मिनी-आइलेट्स का एक संयोजन है।
रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
- 1645 और 1648 के बीच तत्कालीन मैसूर शासक कांतिरवा नरसरजा वाडियार द्वारा कावेरी के पार एक अवरोध के निर्माण के दौरान रंगनाथिट्टू के टापुओं का निर्माण किया गया था।
- रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य कई देशी और प्रवासी पक्षियों का घर है, और इसे नदी के ऊदबिलाव, दलदली मगरमच्छ और मछलियों की कई प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित स्थान माना जाता है।
- रंगनथिट्टू में पौधों की 188 प्रजातियां, पक्षियों की 225 प्रजातियां, मछलियों की 69 प्रजातियां, मेंढकों की 13 प्रजातियां, औषधीय पौधों की 98 प्रजातियां और तितलियों की 30 प्रजातियां निवास करती हैं।
- हाल ही में, रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट के रूप में घोषित किया गया था जो कि रामसर साइट के रूप में नामित होने वाली कर्नाटक की पहली आर्द्रभूमि बन गई।
- यह साइट एशियाई ओपनबिल, स्पॉट-बिल पेलिकन और ब्लैक-हेडेड आइबिस पक्षियों की दुनिया की कुल आबादी के 1 प्रतिशत से अधिक का निवास स्थल है।
- रंगनाथिट्टू पक्षी अभयारण्य को कर्नाटक के 'पक्षी काशी' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि अफ्रीका और साइबेरिया से बहुत सारे प्रवासी पक्षी यहीं से जाते हैं।
भारत में कुल कितने रामसर स्थल है?
वर्तमान में भारत में कुल 75 रामसर स्थल हैं। जिसमें कि हाल ही में, भारत ने 10 और आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल में परिवर्तित कर दिया है। जिसमें की कोंथनकुलम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु), सतकोसिया गॉर्ज (ओडिशा), नंदा झील (गोवा), मन्नार समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व की खाड़ी (तमिलनाडु), रंगनाथितु बीएस (कर्नाटक), वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स ( तमिलनाडु), वेलोड पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु), सिरपुर आर्द्रभूमि (मध्य प्रदेश) वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु), उदयमर्थनपुरम पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु) शामिल है।
रामसर कन्वेंशन क्या हैं?
1971 में रामसर कन्वेंशन को एक अंतर सरकारी संधि के रूप में अपनाया गया जो आर्द्रभूमि और उनके संसाधनों के संरक्षण व बुद्धिमान उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करती है।
वेटलैंड को रामसर स्थलों के रूप में नामित करने के लिए रामसर कन्वेंशन द्वारा निर्धारित मानदंड क्या हैं?
रामसर सम्मेलन द्वारा निर्धारित निम्न मानदंड हैं जिन्हें रामसर टैग प्राप्त करने के लिए पूरा करने की आवश्यकता है।
- यह कमजोर, लुप्तप्राय, या गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों या संकटग्रस्त पारिस्थितिक समुदायों को बचाने का काम करता है।
- यह किसी विशेष जैव-भौगोलिक क्षेत्र की जैविक विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण पौधों और/या पशु प्रजातियों की आबादी को स्पोर्ट करता है।
- यह पौधों और/या जानवरों की प्रजातियों को उनके जीवन चक्र में एक महत्वपूर्ण चरण में समर्थन देता है, या प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान उन्हें शरण प्रदान करता है।
- यह नियमित रूप से 20,000 या अधिक जलपक्षियों का स्पोर्ट करता है।
- यह नियमित रूप से एक प्रजाति या वाटरबर्ड की उप-प्रजाति की आबादी में 1% व्यक्तियों का स्पोर्ट करता है।
- यह स्वदेशी मछली उप-प्रजातियों, प्रजातियों या परिवारों, जीवन-इतिहास चरणों, प्रजातियों की बातचीत और/या आबादी के एक महत्वपूर्ण अनुपात का समर्थन करता है जो आर्द्रभूमि लाभ और/या मूल्यों के प्रतिनिधि हैं और इस प्रकार वैश्विक जैविक विविधता में योगदान करते हैं।
- यह मछलियों, स्पॉनिंग ग्राउंड, नर्सरी और/या प्रवास पथ के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिस पर या तो आर्द्रभूमि के भीतर या अन्य जगहों पर मछली का स्टॉक निर्भर करता है।
- यह नियमित रूप से एक प्रजाति या आर्द्रभूमि-निर्भर गैर-एवियन पशु प्रजातियों की उप-प्रजातियों की आबादी में 1 प्रतिशत व्यक्तियों को ही जाने की अनुमति देता है।