पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हॉकी टीम ने एक बार फिर से इतिहास रचते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है। इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल टीम को बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया है। भारतीय हॉकी टीम ने कड़ी मेहनत, संघर्ष और जुझारूपन का परिचय देते हुए कांस्य पदक हासिल किया।
इस जीत में कई खिलाड़ियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा, लेकिन विशेष रूप से गोलकीपर पीआर श्रीजेश की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। श्रीजेश ने मैच के निर्णायक पलों में अपनी टीम के लिए अद्भुत बचाव किए, जो कि जीत के लिए निर्णायक साबित हुए।
श्रीजेश का योगदान
पीआर श्रीजेश भारतीय हॉकी का एक ऐसा नाम है, जिसे आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है। उन्होंने अपने पूरे करियर में कई बार टीम को संकट से उबारा है, और पेरिस ओलंपिक 2024 भी इसका अपवाद नहीं रहा। पूरे टूर्नामेंट में श्रीजेश ने अपने खेल कौशल, धैर्य और अद्भुत प्रतिक्रिया से विपक्षी टीमों के कई गोल करने के प्रयासों को विफल किया। उनके इस प्रदर्शन ने भारत को पदक तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
गोलकीपर के रूप में श्रीजेश का सफर
श्रीजेश का हॉकी करियर 2006 में शुरू हुआ था, जब उन्होंने भारतीय सीनियर टीम के लिए डेब्यू किया। अपनी असाधारण प्रतिक्रिया क्षमता और गोल के सामने धैर्य के लिए वह जल्दी ही टीम में अपनी जगह पक्की करने में सफल रहे। उनकी नेतृत्व क्षमता और खेल पर उनकी गहरी पकड़ ने उन्हें 2011 में टीम का कप्तान भी बनाया।
श्रीजेश की सबसे बड़ी खासियत उनकी मानसिक मजबूती है। वह हमेशा एक शांत और संयमित खिलाड़ी रहे हैं, जो दबाव में भी अपने खेल पर पूरा नियंत्रण रखते हैं। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण मौकों पर टीम को जीत दिलाई है, जिनमें 2016 रियो ओलंपिक में उनकी भूमिका विशेष उल्लेखनीय है, जहां उन्होंने टीम को क्वार्टरफाइनल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
पेरिस ओलंपिक 2024 में प्रदर्शन
पेरिस ओलंपिक 2024 में श्रीजेश ने अपने करियर का संभवतः सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया। टूर्नामेंट के दौरान उन्होंने कई कठिन मुकाबलों में बेहतरीन बचाव किए और विपक्षी टीमों के गोल के प्रयासों को विफल किया। विशेष रूप से सेमीफाइनल और ब्रॉन्ज मेडल मैच में उनके द्वारा किए गए बचावों ने टीम को मजबूत स्थिति में रखा। सेमीफाइनल में हार के बाद भी उन्होंने अपने मनोबल को गिरने नहीं दिया और ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में एक बार फिर अपने अनुभव और कौशल का परिचय दिया।
संन्यास की घोषणा
पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद पीआर श्रीजेश ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर से संन्यास लेने की घोषणा की। यह निर्णय उनके लाखों प्रशंसकों के लिए एक भावुक पल था। संन्यास की घोषणा करते समय श्रीजेश ने कहा कि यह उनके लिए एक कठिन लेकिन आवश्यक निर्णय था। उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह सही समय है कि मैं अपने खेल जीवन से विदा लूं और युवाओं को मौका दूं। मैंने जो कुछ भी हासिल किया, वह टीम, कोच और अपने परिवार के समर्थन के बिना संभव नहीं था।"
श्रीजेश ने अपने प्रशंसकों, टीम के साथी खिलाड़ियों और कोचों का धन्यवाद किया, जिन्होंने उनके करियर के दौरान उनका समर्थन किया। उन्होंने कहा, "मेरे करियर में आए हर उतार-चढ़ाव ने मुझे एक बेहतर खिलाड़ी और इंसान बनाया है। मैं हमेशा भारतीय हॉकी का हिस्सा रहूंगा, चाहे मैं मैदान में हूं या नहीं।"
संन्यास के बाद श्रीजेश ने अपने भविष्य की योजनाओं का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि वह अब युवा हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने और भारतीय हॉकी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए काम करेंगे। उनका लक्ष्य है कि भारत को एक बार फिर से हॉकी के शिखर पर पहुंचाना और आने वाली पीढ़ी को अपने अनुभव से लाभान्वित करना।