भारत-पाकिस्तान का विभाजन भारत के लिए सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक था। लगभग 200 साल के आजादी के संघर्ष में भारत के सभी लोगों ने एक साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। जिसमें की लोगों ने न तो धर्म देखा था और न ही जाति बल्कि सभी लोगों का एक ही उद्देश्य था और वो था देश की आजादी।
तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुल 5 बिंदुओं में ये समझाने की कोशिश करते हैं की आखिरकार भारत-पाक बंटावारे की असली वजह क्या थी? और ऐसा क्या हुआ था हिंदू-मुस्लिम के बीच जिस वजह से धर्म के आधार पर देश का बंटवारा किया गया था।
बता दें कि भारत-पाक बंटवारे के समय लगभग 15 मिलियन लोग शरणार्थी बन गए थे। जिन्हें अपना घर-सामान और देश छोड़कर एक नए देश में जाना पड़ा था। हालांकि, मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के साथ एक समझौता किया था। जिसमें कि मुसलमानों की आबादी भारत में केवल 25% थी और वे ब्रिटीश भारत में सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक थे। जिस वजह से जिन्ना को डर था कि अंग्रेजों के जाने के बाद, मुसलमानों को उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।
5 बिंदुओं में समझिए भारत-पाक बंटवारे की असली वजह
1. सांप्रदायिक दंगे
खिलाफत आंदोलन और असहयोग आंदोलन खत्म होने के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे तेजी से बढ़ने लगे थे। जिसके लिए सबसे बड़ा उदाहरण है- 'मोपला विद्रोह' जिसने हिंदू और मुस्लिम सांप्रदायिकता में 1927 में एक भयानक रूप धारण कर लिया था। इस विद्रोह में मुस्लिम लीग सरकारें भी उपद्रवीयों का सहयोग कर रही थी। जिसके कारण अंतरिम सरकारें भी उन दंगों को रोक नहीं पा रही थी।
2. मुस्लिम लीग की स्थापना
30 दिसंबर 1906 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग का गठन किया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य मुस्लमानों के हित की रक्षा करना था। बता दें कि मुस्लिम नेताओं ने शिमला प्रतिनिधी मंडल के दौरान एक केंद्रीय मुस्लिम लीग की स्थापना करने का निर्णय लिया था। जिसके बाद मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की प्राप्ती के लिए सांप्रदायिक दंगो का सहारा लेने शुरु कर दिया। इन दंगो को रोकने और बेगुनाहओं की हत्या रोकने के लिए बंटावारे के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं था।
3. भारत से अलग एक नए देश बनाए जाने की मांग
मुस्लिम लीग के सभापति सर मुहम्मद इकबाल ने सन् 1930 में अपने भाषण में कहा कि मुस्लिम हितों की रक्षा करने के लिए एक नए राष्ट्र की स्थापना करना जरूरी है। इकबाल ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों को अपने हितों के लिए लड़ने की बता कही और साथ मिलकर पाकिस्तान देश बनाए जाने की मांग की।
4. माउंटबेटेन का प्रभाव
माउंटबेटेन ने सांप्रदायिक दंगों की स्थिती का अनुभव करते हुए यह विचार किया की इन दंगों को रोकने के लिए भारत के बंटवारे के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है, जिसके बाद अंग्रेजों ने भारत छोड़ने की तारिख बदलकर 15 अगस्त 1947 घोषित कर दी।
5. कांग्रेस की दुर्बल नीतियां
कांग्रेस की दुर्बल नीतियां भी भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का एक मुख्य कारण रही थी। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग की मांगो को स्वीकार करना जो कि बिल्कुल उचित नहीं था। साथ ही कांग्रेस ने कई अवसरों पर अपने सिद्धांत त्यागते हुए मुस्लिम लीग की बातों पर अमल किया जो कि अनुचित था।