संसद में रामसर स्थलों की वर्तमान संख्या और स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, नवंबर 2021 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा डेटा प्रदान किया गया था। उस समय भारत में कुल 46 रामसर साइटें थीं जो कि अब 2024 में 80 साइटों तक बढ़ गई हैं।
2 फरवरी, 2022 को, गुजरात में खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर प्रदेश में बखिरा वन्यजीव अभयारण्य के नाम से दो नवीनतम रामसर स्थलों को सूची में जोड़ा गया। इसके अलावा, कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा पल्लिकरनई मार्शलैंड को 'रामसर साइट' घोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
रामसर साइट क्या है?
रामसर स्थल वह आर्द्रभूमि या नम भूमि हैं, जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत "अंतर्राष्ट्रीय महत्व" दिया जाता है। विश्व भर में आर्द्र भूमि और जलवायु परिवर्तन के महत्व को समझते हुए यूनेस्को द्वारा 2 फरवरी 1971 में विश्व की आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे जो कि सन् 1975 में लागू हुआ था।
आर्द्रभूमि का मतलब क्या होता है?
आर्द्रभूमि (वेटलैंड) ऐसा भूभाग होता है जहां के पारितंत्र का बड़ा हिस्सा स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल से संतृप्त (सचुरेटेड) हो या उसमें डूबा रहे। ऐसे क्षेत्रों में जलीय पौधों का बाहुल्य रहता है और यही आर्द्रभूमियों को परिभाषित करता है।
रामसर शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
रामसर एक नगर का नाम है जो कैस्पियन सागर के तट पर और ईरान देश में स्थित है।
भारत ने रामसर कन्वेंशन को कब अपनाया?
1 फरवरी, 1982 में भारत ने रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर कर इसको अपनाया।
रामसर साइटों के वैश्विक परिदृश्य
रामसर सम्मेलन का उद्देश्य आर्द्रभूमियों को संरक्षित करना और उनके प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना था। दुनिया भर में लगभग 2,400 रामसर साइटें हैं और कोबोर्ग प्रायद्वीप, ऑस्ट्रेलिया को पहली रामसर साइट के रूप में जाना जाता है, जिसे 1974 में पहचाना गया था। रामसर साइटों की सबसे अधिक संख्या वाला देश यूनाइटेड किंगडम है जिसमें 175 साइटें हैं और उसके बाद मेक्सिको में 142 रामसर साइटें हैं।
विश्व स्तर पर, आर्द्रभूमि दुनिया के भौगोलिक क्षेत्र का 6.4% कवर करती है। कन्वेंशन संरक्षण के तहत बोलीविया का क्षेत्रफल 148,000 वर्ग किमी के साथ सबसे बड़ा है। कनाडा, चाड, कांगो और रूसी संघ ने भी प्रत्येक को 100,000 वर्ग किमी से अधिक नामित किया है।
भारतीय में कितनी रामसर साइट है?
भारत में रामसर स्थलों का दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिसमें 18 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 10,936 वर्ग किमी में फैली कुल 80 रामसाइट है।
तमिलनाडु में रामसर स्थलों की सबसे बड़ी संख्या 18 है, उत्तर प्रदेश में 11, जम्मू और कश्मीर में 7, पंजाब में 6, गुजरात और उड़ीशा में 5, कर्नाटक और मध्यप्रदेश में 4, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और केरल में 3-3, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और लद्दाख में 2-2 और आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, त्रिपुरा, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और मिजोरम में 1 है।
भारत में कुल कितने वेटलैंड है?
भारत में 19 प्रकार की आर्द्रभूमि यानि की वेटलैंड है।
भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल कौन सा है?
सुंदरवन भारत में सबसे बड़े रामसर स्थल के रूप में जाना जाता है जो कि 10,000 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल कौन सा है?
हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका वेटलैंड भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल है जो कि 20 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।
भारत की सबसे पहली रामसर साइट कौन सी है?
चिल्का झील, उड़ीसा और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान भारत की पहली आर्द्रभूमि हैं जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत 1 अक्टूबर, 1981 को भारत में पहली रामसर साइट के रूप में मान्यता दी गई थी।
विश्व आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) दिवस कब मनाया जाता है?
प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व वेटलैंड्स दिवस मनाया जाता है।
भारत में रामसर स्थलों की सूची
रामसर स्थल का नाम- राज्य
- कोलेरु झील- आंध्र प्रदेश
- दीपोर बील- असम
- कंवर झील या काबल ताल- बिहार
- नंदा झील- गोवा
- खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य- गुजरात
- थोल झील वन्यजीव अभयारण्य- गुजरात
- वाधवाना वेटलैंड- गुजरात
- नलसरोवर पक्षी अभयारण्य- गुजरात
- खिजड़िया पक्षी अभयारण्य- गुजरात
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान- हरियाणा
- भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य- हरियाणा
- चंद्र ताल- हिमाचल प्रदेश
- पोंग बांध झील- हिमाचल प्रदेश
- रेणुका झील- हिमाचल प्रदेश
- होकरा वेटलैंड- जम्मू और कश्मीर
- सुरिंसर-मानसर झील- जम्मू और कश्मीर
- वुलर झील- जम्मू और कश्मीर
- होकरसर वेटलैंड- जम्मू और कश्मीर
- ह्यगाम वेटलैंड संरक्षण रिजर्व- जम्मू और कश्मीर
- शालबुघ वेटलैंड संरक्षण रिजर्व- जम्मू और कश्मीर
- सुरिंसर-मानसर झील- जम्मू और कश्मीर
- अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व- कर्नाटक
- अघनाशिनी मुहाना- कर्नाटक
- मगदी केरे संरक्षण रिजर्व- कर्नाटक
- रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य- कर्नाटक
- अष्टमुडी वेटलैंड- केरल
- सस्थमकोट्टा झील- केरल
- वेम्बनाड कोल वेटलैंड- केरल
- त्सोमोरिरी झील- लद्दाख
- त्सो कार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स- लद्दाख
- सख्य सागर- मध्य प्रदेश
- भोज वेटलैंड्स- मध्य प्रदेश
- सिरपुर झील- मध्य प्रदेश
- यशवंत सागर- मध्य प्रदेश
- नंदुर मदमहेश्वर- महाराष्ट्र
- लोनार झील- महाराष्ट्र
- ठाणे क्रीक- महाराष्ट्र
- लोकतक झील- मणिपुर
- पाला वेटलैंड्स- मिजोरम
- भितरकनिका मैंग्रोव- ओडिशा
- चिल्का झील- ओडिशा
- अंसुपा झील- ओडिशा
- हीराकुंड जलाशय- ओडिशा
- सतकोसिया कण्ठ- ओडिशा
- ब्यास कंजर्वेशन रिजर्व- पंजाब
- हरिके वेटलैंड्स- पंजाब
- कांजली वेटलैंड- पंजाब
- केशोपुर-मियानी सामुदायिक रिजर्व- पंजाब
- नंगल वन्यजीव अभयारण्य- पंजाब
- रोपड़ वेटलैंड- पंजाब
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान- राजस्थान
- सांभर झील- राजस्थान
- कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- लॉन्गवुड शोला रिजर्व वन- तमिलनाडु
- कारिकीली पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- पल्लीकरनई मार्श रिजर्व वन- तमिलनाडु
- पिचावरम मैंग्रोव- तमिलनाडु
- प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- चित्रांगुडी पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व- तमिलनाडु
- कांजीरनकुलम पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- कूंथनकुलम पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- पल्लीकरनई मार्श रिजर्व वन- तमिलनाडु
- सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स- तमिलनाडु
- उदयमार्थण्डपुरम पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- वदावुर पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- वेदांथंगल पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- वेल्लोड पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स- तमिलनाडु
- वेल्लोड पक्षी अभयारण्य- तमिलनाडु
- रुद्रसागर झील- त्रिपुरा
- बखिरा वन्य जीव अभ्यारण्य- उत्तर प्रदेश
- हैदरपुर वेटलैंड- उत्तर प्रदेश
- नवाबगंज पक्षी अभयारण्य- उत्तर प्रदेश
- पार्वती आगरा पक्षी अभयारण्य- उत्तर प्रदेश
- समन पक्षी अभयारण्य- उत्तर प्रदेश
- समसपुर पक्षी अभयारण्य- उत्तर प्रदेश
- सांडी पक्षी अभयारण्य- उत्तर प्रदेश
- सरसई नावर झील- उत्तर प्रदेश
- ऊपरी गंगा नदी- उत्तर प्रदेश
- सूर सरोवर- उत्तर प्रदेश
- पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य- उत्तर प्रदेश
- आसन बैराज- उत्तराखंड
- पूर्वी कोलकाता वेटलैंड्स- पश्चिम बंगाल
- सुंदरबन वेटलैंड- पश्चिम बंगाल