हर वर्ष 4 जून को, इटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन इसलिए मनाया जाता है ताकि उस दर्द को स्वीकार किया जा सके, जिससे दुनिया भर के बच्चे पीड़ित हैं। इनमें से कई बच्चे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के शिकार होते हैं। यह एक ऐसा दिन भी है जब संयुक्त राष्ट्र बच्चों के अधिकारों की रक्षा के अपने कर्तव्य की पुष्टि करता है। दुनिया भर में, कई बच्चे ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां युद्ध और संघर्ष उनके दैनिक जीवन का हिस्सा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, 536 मिलियन बच्चे संघर्ष या आपदाओं से प्रभावित देशों में रहते हैं। लगभग 50 मिलियन बच्चे अपने घर से विस्थापित हो चुके हैं। जब ये बच्चे विस्थापित होते हैं, तब यह हिंसा और शोषण के प्रति उनकी संवेदनशीलता को बढ़ा देता है। भावनात्मक, शारीरिक, यौन और मानसिक शोषण दुनिया भर में लाखों बच्चों के लिए एक वास्तविकता है जिसे झूठलाया नहीं जा सकता।
एक अनुमान के मुताबिक हर साल 20 करोड़ बच्चे यौन हिंसा का शिकार होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर इसका उल्लेख किया गया है। सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अनुसार एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसका उद्देश्य बच्चों के लिए एक उज्जवल कल को सुरक्षित करना है। इसका लक्ष्य बच्चों के खिलाफ हिंसा, दुर्व्यवहार, शोषण और उपेक्षा को उनके सभी प्रकार के रूपों में रोकना है। युद्ध प्रभावित बच्चों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बच्चों और सशस्त्र संघर्ष के विशेष प्रतिनिधि द्वारा #ACTtoProtect नामक एक विश्वव्यापी अभियान भी शुरू किया गया है।
इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन
• हिंसा के अनेक रूप होते है। बच्चों के साथ हिसा कई प्रकार से हो सकती है जैसे की घरेलु हिंसा, यौन शोषण, भावनात्मक हिंसा, लापरवाही और शोषण आदी।
• बचपन में हुई हिंसा का असर बच्चों पर जीवन पर रहता है। जो बच्चें हिंसा के शिकार रहे होते हैं इसका असर आपको उनके व्यवहार में देखने को मिलता है।
• इन हिंसाओ के कारण बच्चे अपनी पहचान को लेकर भावनात्मक रूप से कमजोर और असुरक्षित महसूस करने लगते है।
• अक्रामकता का शिकार हुए मासूम बच्चों के लिए अंतराष्ट्रीय दिवस मनाने का उद्देश्य इन बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक कष्टों को स्वीकर करना है और इनके साथ हो रही हिंसा को लेकर जागरूकता फैलाना है।
• इस दिवस की शुरुआत 1985 में हुई थी। तभी से इसे हर वर्ष 4 जून को मनाया जाता है। सबसे पहले इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया था। मुख्य तौर पर इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हिंसा से होने वाले नुकसान को कम करके पीड़ितों को न्याय प्रदान करवाना है।
देश जहां के बच्चे सबसे कम सुरक्षित है।
दुनिया के बहुत से ऐसे देश है जहां बच्चों पर हिंसा होती है। जहां बच्चे कम सुरक्षित है। उस सूचि में जो देश शामिल है उनके नाम है-
1. पाकिस्तान
2. मिस्र
3. मोज़म्बिक
4. वियतनाम
5. चीन
6. अर्जेंटीना
7. नाइजीरिया
8. इंडोनेशिया
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार बाल शोषण के आंकड़े
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार चीन में बाल शोषण के कई मामले है। उससे भी जरूरी बात ये है की चीन दुनिया के उन देशों में से एक है जहां के बच्चे हिंसा के ज्यादा शिकार होते है। इसके आंकड़े हैरान करने वाले है-
• पिछले दो दशकों की बात करें तो जानने को मिलता है कि यहां पर दो मिलियन से अधिक बच्चे ऐसे थे जो संघर्ष में मारे गए।
• संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के द्वारा 10 मिलियन बाल शरणार्थीयों की देखभाल कि जाती है।
• लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र के परिवारों के भीतर हो रही हिंसा में हर साल लगभग 80 हजार बच्चे अपनी जान खो देते हैं।
इटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन क्यों मनाया जाता है?
इस दिवस का आयोजन हर वर्ष 4 जून को किया जाता है। इस दिवस के माध्यम से समाज में बच्चों पर हो रही विभिन्न प्रकार की हिंसा को लेकर लोगों को शिक्षित किया जाता है, ताकि बच्चों पर हिंसा को रोका जा सकें। इसके लिए सभी कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान और गैर सरकारी संस्थान कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं जिसके माध्यम से समाज को जागरूक किया जाता है। दुनिया भर में बच्चों के खिलाफ हो रही हिंसा को खत्म करने और रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के समन्वय में नई पहल शुरु की गई और कानून बनाए गए।
नेल्सन मंडेला के नेत्तत्व में बच्चों के लिए वैश्विक शक्ति, परिर्वतन के लिए एक प्रेरक शक्ति बनी थी। इस आंदोलन में दुनिया भर के लोग आगे बढ़कर शामिल हुए थे। इस अभियान का शीर्षक "बच्चों के लिए हाँ" था। लगभग 94 मिलियन से अधिक लोगों नें इस अभियान का समर्थन किया था।
ज्यादातर सामाजिक कार्यक्रता दुर्व्यवहार और हिंसा के शिकार हुए बच्चों के लिए धन इकट्ठा करते है और लोग हो रही हिंसा के बारे में लोगों को बताते हुए जागरूकता बढ़ाते हैं।
धर्मों, लिंगो, जातियों और विभिन्न विचारधाराओं के लोगों के प्रति परिर्वतन को बढ़ाने और शासन कार्यालयों को जवाबदेह ठहराने के हमारे अधिकारों का प्रयोग करने की सिफारिस की जाती है।
इटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन का इतिहास
जब हम इटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन की बात करते है तो उसके लिए हमे ग्राका मचेल की रिपोर्ट के बारे में जानना जरूरी हो जाता है तो आइए पहले उनकी रिपोर्ट के बारे में जाने-
स्वतंत्र मोज़ाम्बिक की पहली शिक्षा और संस्कृति मंत्री, ग्राका मचेल ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने बच्चों पर सशस्त्र संघर्षों के नुकसान की सीमा पर प्रकाश डाला। मैकेल को मुख्य रूप से उनके मानवीय कार्यों के लिए जाना जाता था। विशेष रूप से शरणार्थी बच्चों की मदद के लिए, जिसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) से नानसेन शरणार्थी पुरस्कार मिला था।
मचेल की रिपोर्ट ने 20 फरवरी, 1997 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 51/77 संकल्प को अपनाने का नेतृत्व किया। रिपोर्ट में अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुसार बच्चों को सभी प्रकार के शोषण, हिंसा और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने के बारे में बात की गई थी।
बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए मौजूदा महासभा के प्रयासों पर संकल्प 51/77 बनाया गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सतत विकास की एक सूची बनाई है, जिसका लक्ष्य 2030 तक बच्चों के खिलाफ शून्य हिंसा हासिल करना है। इस वैश्विक रणनीति का उद्देश्य बच्चों को बेहतर भविष्य की ओर ले जाना है। इस रणनीति में उपेक्षा और शोषण के मुद्दों को भी शामिल किया गया है। हाल के वर्षों में, बच्चों के खिलाफ हिंसा तेजी से बढ़ी है, खासकर सशस्त्र संघर्ष क्षेत्रों में। जिसे देख कर लगता है कि सच में अभी तक कुछ नहीं बदला है, और न्यायिक प्रणाली इस संबंध में सबसे अक्षम साबित हुई है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने यह बात स्वीकार कि हिंसा से प्रभावित 250 मिलियन बच्चों के जीवन की रक्षा करने और बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता
इस तरह की सभी घटना की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने आक्रमण के शिकार मासूम बच्चों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना की।
इस दिन की शुरुआत 19 अगस्त 1982 से हुई, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फ़िलिस्तीन के प्रश्न पर एक आपातकालीन सत्र का आयोजन किया। बड़ी संख्या में इजरायल की आक्रामकता का शिकार हुए निर्दोष फिलीस्तीनी और लेबनानी बच्चों के बारे में सोचते हुए, इसने हर साल 4 जून को आक्रमण के शिकार मासूम बच्चों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस को मनाने का फैसला किया।
इसका उद्देश्य दुनिया भर में उन बच्चों के दर्द को स्वीकार करना है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के शिकार हुए हैं या हो रहे हैं। इस स्मरणोत्सव के साथ, संयुक्त राष्ट्र बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। इसका काम बाल अधिकारों पर कन्वेंशन द्वारा निर्देशित है। जो की इतिहास में सबसे तेज और व्यापक रूप से स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है।
इटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन का महत्व
• आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उत्सव बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हिंसा के रूप में हो रहे एक भयानक मुद्दे को स्वीकार करता है जो कि बच्चों के खिलाफ बहुत ज्यादा होता है और उनके भविष्य पर सीधा असर करता है।
• अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के परिणामस्वरूप इसकी वजह से कई बच्चे मारे गए हैं जिनकी कोई गिनती भी नहीं है। और जो लोग बच गए हैं उनमें से कई ने अपने माता-पिता और जीविका के साधन खो दिए हैं। मानव आक्रामकता ने इस तरह के न जाने कितने बच्चों का बचपन चुरा लिया है। दो सौ पचास मिलियन बच्चों के सपनों को नष्ट कर दिया है।
• आज के समय की बात करें तो हर 5 मिनट में हिंसा की वजह से एक नाबालिग बच्चे की मौत होती है। 10 में से 1 बच्चा बालिग होने से पहले यौन शोषण का शिकार होता ही है। लगभग सात सौ बत्तीस लाख बच्चों के पास अपने-अपने देशों में कानूनी सुरक्षा पाने का विकल्प भी नहीं है।
• डिजिटिकरण के इस दौर में बच्चे ऑनलाइन हिंसा का ज्यादा शिकार होते है। हर एक साल में दो सौ छियालीस मिलियन बच्चे स्कूल से संबंधित हिंसा जैसे बदमाशी के शिकार होते हैं। इसलिए समाज में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है और बच्चों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए सख्त उपायों को सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है।
संघर्ष क्षेत्रों में बच्चे
• लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय चैरिटी, सेव द चिल्ड्रन के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 420 मिलियन बच्चे संघर्ष की स्थितियों में रह रहे हैं।
• सेव द चिल्ड्रन द्वारा फरवरी 2020 में शुरू 'बच्चों पर युद्ध बंद करो' रिपोर्ट में कहा गया है कि 142 मिलियन बच्चे उच्च तीव्रता वाले संघर्ष-क्षेत्रों में रह रहे हैं, यानी की 1,000 से अधिक मौतों वाले संघर्ष क्षेत्रों में।
• सशस्त्र संघर्षों में सबसे ज्यादा बच्चे ही प्रभावित होते हैं। उनकी युद्धों में भर्ती की जाता है, उनके स्कूलों पर हमला किए जाते हैं, और अक्सर उनका यौन शोषण, अपहरण और हत्या कर दी जाती है।
• कुपोषण, बीमारी और स्वास्थ्य देखभाल, पानी और स्वच्छता सहित संघर्ष के अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण हर साल हजारों बच्चे मर जाते हैं।
• अफ्रीका में रहने वाले बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जिनमें से 170 मिलियन बच्चे युद्ध क्षेत्रों में रहते हैं।
• बच्चों पर युद्ध बंद करने की रिपोर्ट के हिसाब से बच्चों के लिए संघर्ष से सबसे बुरी तरह प्रभावित 10 देश अफगानिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इराक, माली, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन हैं।
इटरनेशनल डे ऑफ इनोसेंट चिल्ड्रेन विक्टिम्स ऑफ अग्रेशन 2022
• आक्रामकता के शिकार मासूम बच्चों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस को मनाने का लक्ष्य बच्चों के लिए खुशी, स्वतंत्रता और न्याय का वातावरण बनाना है।
• यह दिन सरकार को गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग करने और बच्चों के खिलाफ हिंसा को कम करने वाली नीतियों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
• व्यक्तिगत रूप से, हर व्यक्ति को बच्चों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए पहल करनी चाहिए। साथ ही समाज की सरकारी और प्रशासनिक इकाइयों से हिंसा करने वालों के खिलाफ रचनात्मक, न्यायसंगत और त्वरित कार्रवाई करने की भी मांग करते हैं।