भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 मई बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल के लुम्बिनी पहुंचे। लुम्बिनी में दोनों देशों के प्रधानमंत्रीयों के बीच द्विपक्षीय बैठक का आयोजन हुआ। पीएम मोदी के कार्यकाल में ये उनका पांचवां नेपाल दौरा है। लेकिन 2019 के चुनाव में एक बार फिर चुने जाने के बाद से यह उनका पहला नेपाल दौरा है। भारत और नेपाल के बीच संबंध हमेंशा से ही अच्छें रहे हैं। ऐसे में समय समय पर भारत के प्रधानमंत्री का नेपाल दौरा भारत-नेपान रिश्तों में और मजबूती बढ़ा रहा है।
नेपाल दौरे के कार्यक्रम- भारतीय विदेश मंत्रालय
भारतीय विदेश मंत्रालय (Mnistry of External Affairs) के अनुसार प्रधानमंत्री नें नेपाल के मायादेवी मंदिर के दर्शन किए। यह मंदिर बुद्ध की माता के नाम पर है। माना जाता है कि बुद्ध की माता ने उन्हें इसी स्थान पर जन्म दिया था। इसके बाद पीएम ने बौद्ध संस्कृति और विरासत के शिलान्यास में भी भाग लिया।
प्रधाममंत्री की यह यात्राएं 'पड़ोसी पहले नीति (Nrighbourhood first policy)' को आगे बढ़ाने में सहायक है और साथ ही साथ भारत और नेपाल के बीच उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान कि परंपरा को भी जारी रखता है। इतना ही नहीं ये दोनों देशों की साझा सभ्यता विरासत को भी दर्शाता है।
पीएम मोदी की यह यात्रा कालापानी विवाद और 2019 में हुए जम्मु-कश्मीर मानचित्र विवाद के बाद से पहली यात्रा है। साथ ही इस यात्रा से बुद्ध के जन्मस्थान पर हुए विवाद पर विराम लगने कि भी उम्मीद की जा रही है। दरअसल इस विवाद की शुरुआत भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंका के एक कमेंट पर हुई, जिसमें उन्होंने बुद्ध को "महानतम भारतीय" कहा, जिसका नेपाल सरकार ने विरोद्ध किया।
द्विपक्षीय बैठकः बातचीत और समझौतें
भारत और नेपाल के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और साथ ही दोनों ने साथ मिलकर 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। आईए जानते है-
1). आइसीसीआर और नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय के बीच हुए इस समझौते के तहत नेपाली विश्वविद्यालय में भारतीय अध्ययन पीठ की स्थापना की जाएगी।
2). काठमांडु विश्वविद्यालय, भारत प्रौद्योगिक संस्थान और मद्रास के बीच भी समझौता हुआ। आईटीटी मद्रास और काठमांडु विश्वविद्यालय के बीच स्नातक संयुक्त डिग्री शुरु करने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए।
3). आइसीसीआर और काठमांडु विश्वविद्यालय के बीच भी भारतीय अध्ययन पीठ स्थापीत करने का बात हुई।
4). हाइड्रोपॉवर प्लांट (695 मेगावाट) का काम चल रहा है जिसके लिए भारत नेपाल को आर्थिक सहायता दे रहा है।
5). लुंबिनी और कुशीनगर को साथ में विकसित करने पर भी दोनों देशों के बीच सहमति है.
6). इसके आलावा दोनों ने बुनियादी ढ़ाचे के विकास और नेटवर्क के विस्तार पर भी चर्चा की।
विदेश मंत्रालय नें जानकारी साझा करते हुए बताया की दोनों देशों में कारोबार, उर्जा, कनेक्टिविटी, आर्थव्यवस्था को लेकर विस्तरीत तौर पर चर्चा हुई है। साथ ही दोनों देशों के रिश्तों में इन समझौतों और परियोजनाओं से और मजबूती आएगी।
भारत नेपाल रिश्तें
जब भारत और नेपाल संबंध की बात आती है तो आपको बता दे की भारत तकरीबन हर क्षेत्र में नेपाल के साथ जुड़ा है। भारत हर क्षेत्र में नेपाल के साथ अच्छें संबंधस कायम करता है।
आर्थिक क्षेत्र
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागिदार होने के साथ-साथ उसके विदेश निवेश का सबसे बड़ा स्त्रोत भी है। इतना ही नहीं भारत नेपाल को अन्य देशों के साथ व्यापार करने के लिए कई तरह की सुविधा और सहायता भी उपल्बध करता है। समुद्री व्यापार के लिए नेपाल कोलकत्ता में स्थित बंदरगाह का इस्तेमाल करता है। अभी कल के दौरे में भी भारत नें हाइड्रोपॉवर प्लांट के लिए नेपाल को आर्थिक सहायता देने की बात की है।
वित्त वर्ष 2019-20 में 'नेपाल को सहायता' बजट के तहत कुल आर्थिक सहायता 1200 करोड़ रुपये की दी गई थी।
रक्षा सहयोग क्षेत्र
भारत और नेपाल के बीच रक्षा क्षेत्र में व्यापक रूप से सहयोग है। भारत उपकरण की आपूर्ति और प्रशिक्षण प्रदान करके नेपाल सेना के आधुनिकीकरण में मदद करता रहा है। साथ ही आपदाओं के दौरान भी सहायता करता आया है। संयुक्त सैन्य अभ्यास, साहसिक गतिविधियां और द्विपक्षीय यात्राएं नेपाल के साथ भारत के रक्षा सहयोग के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं। नेपाल सेना के कई रक्षा कर्मी भारतीय सेना के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में अध्ययन के लिए भाग लेते हैं।
भारत-नेपाल बटालियन-स्तरीय संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण भारत और नेपाल में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
1950 से, भारत और नेपाल दोनों सेनाओं के बीच संबंध अच्छे रहे हैं। आपसी सौहार्दपूर्ण संबंधों की मान्यता में एक-दूसरे के सेना प्रमुखों को जनरल की मानद रैंक से सम्मानित करते रहे हैं।
संचार और विकास क्षेत्र
नेपाल की तीन तरफ की सीमा भारत से लगी हुई है। भारत-नेपाल ने अपने नागरिकों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए कई कलेक्टिविटी कार्यक्रम शुरु किए है ताकि दोनों के बीच के संबंध और मजबूत हो सकें। इससे पहले दोनों के बीच भारत के रक्सोल और काठमांडू को जोड़ने के लिए इलेक्ट्रिक रेल ट्रैक बिछाने के लिए दोनों सरकार में समझौता हुआ था।
भारत सरकार की विकास सहायता जमीनी स्तर पर बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसके तहत नेपाल में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, जल संसाधन, शिक्षा और ग्रामीण और सामुदायिक विकास के क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया गया है। हाल ही में भारत तराई क्षेत्र में 10 सड़कों के उन्नयन, जोगबनी-विराटनगर, जयनगर-बरदीबास में सीमा पार रेल लिंक का विकास; और बीरगंज, विराटनगर, भैरहवा और नेपालगंज में एकीकृत चेक पोस्ट की स्थापना में सहायता कर रहा है।
इस विकास में भारत-नेपाल कृषि में नई साझेदारी भी शामिल है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है क्यंकि दोनों देशों की ज्यादाचर आबादि कृषि गतिविधियों पर निर्भर करती है। 19-23 जून 2018 के भारत दौरे पर नेपाल के कृषि, भूमि प्रबंधन और सहकारिता मंत्री श्री सी.पी खनाल नें भारत के कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ कृशि में नई भागीदारी के लिए मंत्रिस्तरीय बैठक की थी।
समाजिक क्षेत्र
भारत और नेपाल के सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो इन दोनों देशों के बीच खुली सीमा इनके संबंधों की मुख्य विशिष्टता है। इसके साथ दोनों देशों के निवासियों के बीच नौकरी और विवाह के संबंधों के कारण रिश्त में और भी घनिष्ठता बढ़ती है।
सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र
भारत और नेपाल में हिन्दु और बौद्ध धर्म का सांस्कृतिक विकास साझा करते हैं। बुद्ध का जन्मस्थान नेपाल के लुम्बिनी में है। ज्ञान कि खोज में बुद्ध भारत के बोधगया आए थे।
दोनों देशों में हिन्दु और बौद्ध धर्म को माना जाता है। जिसकि वजह से भारत और नेपाल के सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र में संबंध बहुत मजबूत हैं।