G7 kya hai, Group of 7 Countries and Their Members List: G7 समिट या G7 शिखर सम्मेलन शुरू हो चुका है। इस वर्ष इटली G7 शिखर सम्मेलन की मेजवानी कर रहा है। विश्व के सात मजबूत अर्थव्यवस्थाओं से बना G7 का आयोजन इस वर्ष इटली में 13 जून से लेकर 15 जून तक किया जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल के शुरू होते ही G7 के लिए पहली विदेश यात्रा कर रहे हैं।
बता दें कि इस वर्ष इटली के पुलिया में जी-7 शिखर सम्मेलन के 50वें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष सदस्य देशों में से इटली जी-7 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। हालांकि भारत जी-7 समिट का सदस्य नहीं हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था की ताकत के कारण प्रत्येक वर्ष G7 शिखर सम्मेलन के विशेष सत्रों में भारत को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
गौरतलब हो कि G7 वैश्विक आर्थिक शासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही साथ यह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय मुद्दों को संबोधित करता है और प्रमुख आर्थिक नीतियों को आकार देता है। शिखर सम्मेलन का एजेंडा इन परिस्थितियों और अन्य वैश्विक चुनौतियों को दर्शाता है। 2023 की तरह भारत सहित कुछ गैर-जी7 देशों को भी इसमें आमंत्रित किया गया है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि G7 क्या है, G7 के सदस्य देश कौन-कौन हैं, G7 में किन देशों को आमंत्रित किया गया है और G7 का उद्देश्य क्या है?
G7 क्या है?
G7 या ग्रुप ऑफ सेवन। G7 दुनिया की सात सबसे बड़ी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से बना एक प्रभावशाली मंच है। मुख्य रूप से G7 सात देशों का एक समुह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटल, जापान, यूके, अमेरिका (यूएसए) और यूरोपियन यूनियन शामिल है। जी-7 शिखर सम्मेलन बहुलवाद, उदार लोकतंत्र और प्रतिनिधि सरकार के साझा मूल्यों के इर्द-गिर्द संगठित है। जी7 के सदस्य प्रमुख आईएमएफ उन्नत अर्थव्यवस्थाएं हैं।
गौरतलब हो कि G7 शिखर सम्मेलन की पहली बैठक 70 के दशक में वर्ष 1973 में हुई। इस बैठक में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों ने हिस्सा लिया। जी-7 तब से प्रमुख वैश्विक मुद्दों, विशेष रूप से व्यापार, सुरक्षा, अर्थशास्त्र और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में समाधानों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष स्थल बन गया है। G7 शिखर सम्मेलन की पहली बैठक में केवल चार राष्ट्र प्रमुख, जिनमें अमेरिका, पश्चिमी जर्मनी, फ्रांस एवं यूनाइटेड किंगडम के प्रमुख शामिल हुए। इसके बाद साल-दर साल सदस्यों के जुड़ने के साथ इनसे G7 समिट का रूप लिया।
प्रत्येक सदस्य के सरकार या राज्य के प्रमुख के साथ-साथ यूरोपीय संघ के आयोग के अध्यक्ष और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एक साथ, जी-7 शिखर सम्मेलन में सालाना सम्मिलित होते हैं। G7 की स्थापना मुख्य रूप से समकालीन आर्थिक समस्याओं के जवाब में साझा व्यापक आर्थिक पहलों को सुविधाजनक बनाने के लिए की गई थी। पहली सभा ऊर्जा संकट और आगामी वैश्विक मंदी पर केंद्रित थी। वर्ष 1975 से समूह द्वारा सालाना G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।
G7 के सदस्य| G7 Summit 2024 Member Countries
G7 में निम्नलिखित देश शामिल हैं:
- कनाडा
- फ्रांस
- जर्मनी
- इटली
- जापान
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
यूरोपीय संघ (EU): सदस्य न होते हुए भी, यूरोपीय संघ सभी G7 बैठकों में भागीदार है। संघ द्वारा प्रत्येक चर्चाओं में अपना पक्ष रखा जाता है। हालांकि यूरोपीय संघ जी7 में मतदान की भूमिका नहीं है।
G7 शिखर सम्मेलन में कौन-कौन से देश आमंत्रित हैं?
भारत के अलावा इस वर्ष जी7 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के अलावा कई अन्य नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। इनमें तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली शामिल हैं। उल्लेखनीय अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और आईएमएफ और विश्व बैंक के अधिकारी भी शामिल हैं। इसके अलावा केन्या, अल्जीरिया और अफ्रीकी संघ जैसे अफ्रीकी देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
G7 Summit 2024 G7 का उद्देश्य क्या है?
G7 शिखर सम्मेलन दुनिया की सबसे बड़ी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करके वैश्विक आर्थिक शासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले कुछ वर्षों में G7 शिखर सम्मेलन ने व्यापक वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपने एजेंडे का विस्तार किया है। वर्तमान सदस्यों में इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि रूस 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद अपनी सदस्यता निलंबित होने तक समूह का हिस्सा था।
ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद G7 वैश्विक आर्थिक नीतियों को आकार देने और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यावरण और विकास के मुद्दों को संबोधित करने में प्रभावशाली बना हुआ है। इसके निर्णय और चर्चाएँ वैश्विक शासन को प्रभावित करती रहती हैं, जो इसके सदस्य देशों के सामूहिक प्रभाव को दर्शाती हैं।
जी-7 शिखर सम्मेलन का एजेंडा क्या है?
इटली की जी7 शिखर सम्मेलन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इस वर्ष शिखर सम्मेलन में छह प्रमुख कार्य सत्रों के माध्यम से कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जायेगी:
- अफ्रीका, जलवायु परिवर्तन और विकास
- मध्य पूर्व
- यूक्रेन
- प्रवास
- भारत-प्रशांत और आर्थिक सुरक्षा
- अफ्रीका, भूमध्य सागर, आर्टिफिशियल और ऊर्जा पर आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ आउटरीच सत्र।
G7 Summit की भूमिका और कार्य क्या हैं?
G7 अपने सदस्यों को आर्थिक नीतियों पर चर्चा और समन्वय करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। सदस्य राष्ट्र वैश्विक संकटों को रोकने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए मानक और विनियमन निर्धारित करने में सहयोग करते हैं।
G7 शिखर सम्मेलन नीतिगत प्रतिक्रियाओं का समन्वय करके और आवश्यक जानकारी साझा करके आतंकवाद, क्षेत्रीय संघर्ष और साइबर खतरों सहित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करता है। यह सामूहिक रूप से उन देशों के खिलाफ प्रतिबंधों या आर्थिक उपायों पर निर्णय ले सकता है जो अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाते हैं या अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करते हैं।
G7 शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन से निपटने और पेरिस समझौते जैसी पहलों और समझौतों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के प्रयासों का नेतृत्व करता है। यह हरित प्रौद्योगिकियों के विकास और संधारणीय बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देता है। G7 राष्ट्रों द्वारा निम्न-आय वाले देशों में विकास पहलों का समर्थन किया जाता है। इसमें गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को प्रमुखता से निपटने के उपाय किये जाते हैं। इसके साथ ही संसाधनों और विशेषज्ञता को जुटाकर महामारी जैसी वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करता है।
जी-7 समिट के सदस्य वैश्वीकरण से संबंधित मुद्दों को भी संबोधित करते हुए मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापार नीतियों पर चर्चा करते हैं और उन्हें एक साथ लाते हैं। सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।