Know Your Legal Rights/कानूनी ज्ञान: क्या आपको कभी नौकरी से निकाला गया है? चाहे इस सवाल का जवाब हां हो या ना हो, फिर भी आपको इस लेख को अवश्य पढ़ना चाहिये। यहां हम आपको आपके उन कानूनी अधिकारों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आप नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद यूज कर सकते हैं।
बता दें कि करियर इंडिया हिन्दी द्वारा कानूनी ज्ञान पर एक सीरिज शुरू की गई है। इस सीरिज के तहत हम आम नागरिकों के कुछ सामान्य विषयों पर उनके कानूनी अधिकारों के बारे में विस्तार से बतायेंगे। कानूनी ज्ञान सीरिज की इस कड़ी में आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि अगर आपको नौकरी से निकाल दिया जाए, तो क्या करोगे आप? क्या है आपके पास कानूनी अधिकार?
आए दिन आप न्यूज में पढ़ते व सुनते होंगे कि आज इस कंपनी ने इतने लोगों को नौकरी से निकाला और आज इस कंपनी ने। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपको भी किसी दिन ऐसे ही नौकरी से निकाल दिया जाए आपको क्या करना चाहिए?
अभी हाल ही में, मेरे भाई ने शाम को ऑफिस से घर आने के बाद बताया कि आज सुबह ही मेरी कंपनी से एक लड़के को निकाल दिया गया। उस लड़के को अभी दो हफ्ते पहले ही हायर किया गया था और आज निकाल दिया गया। खैर, ये तो एक कड़वी सचाई है कि प्राइवेट नौकरी में जॉब सिक्योरिटी जैसे कोई रूल या ऑप्शन नहीं होता। कोई भी कंपनी अपने किसी भी एंप्लॉय को कभी भी निकाल देती है।
लेकिन इन सबके बावजूद, आपको यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत में लागू श्रम कानूनों के आधार पर आपके पास कुछ ऐसे कानूनी अधिकार हैं, जिन्हें आप नौकरी से निकाले जाने के बाद उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि नियोक्ता-कर्मचारी संबंध को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कानून औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (Industrial Disputes Act, 1947)
इस अधिनियम के तहत, किसी कर्मचारी को कदाचार, खराब प्रदर्शन, छंटनी या प्रतिष्ठान को बंद करने सहित विभिन्न कारणों से नियोक्ता द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है। हालांकि, अधिनियम कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कुछ सुरक्षा उपाय प्रदान करता है।
1. छंटनी (Retrenchment): यदि किसी कर्मचारी को अतिरेक या छंटनी के कारण बर्खास्त कर दिया गया है, तो नियोक्ता को औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25F और 25N के प्रावधानों का पालन करना आवश्यक है। ये प्रावधान नोटिस देने, मुआवज़ा देने और वैकल्पिक रोज़गार या पुनः रोज़गार के अवसर प्रदान करने की आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करते हैं।
2. कदाचार (Misconduct): यदि बर्खास्तगी कदाचार के आरोपों पर आधारित है, तो नियोक्ता को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा और कर्मचारी को अपना बचाव प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करना होगा। नियोक्ता को कर्मचारी की सेवाओं को समाप्त करने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार निष्पक्ष घरेलू जांच भी करनी चाहिए।
3. अनुचित बर्खास्तगी (Unfair Dismissal): ऐसे मामलों में जहां समाप्ति मनमाना, अन्यायपूर्ण या अनुचित है, कर्मचारी समाप्ति को चुनौती देने के लिए उपयुक्त श्रम अधिकारियों या श्रम न्यायालय से संपर्क कर सकता है। यदि बर्खास्तगी अनुचित पाई जाती है, तो कर्मचारी बहाली या मुआवजे का हकदार हो सकता है।
नौकरी से निकाले जाने के बाद आप एक रोजगार वकील से परामर्श कर सकते हैं। जो आपके अधिकार क्षेत्र में लागू विशिष्ट श्रम कानूनों और प्रक्रियाओं के बारे में आपका मार्गदर्शन कर सकता है। वे यह निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं कि आपकी समाप्ति वैध थी या नहीं और यदि आवश्यक हो तो बहाली या मुआवजा जैसे उचित उपाय खोजने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
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इसी प्रकार अपने रोजमर्रा कानूनी अधिकारों के बारे में जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए।