List of Educational Degrees of Dr. BR Ambedkar: डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन सरल नहीं था। प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के दिनों से ही उन्हें समाज में प्रचलित जातिवाद और भेदभाव का सामना करना पड़ा। प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई के दिनों में उन्हें पूरे दिन प्यासा रहना पड़ता था, ऐसा क्यों? क्योंकि उन्हें स्कूल के किसी बर्तन को छूने और उससे पानी पीने की अनुमति नहीं थी।
स्कूल प्रशासन का मानना था कि अगर वह स्कूल के किसी बर्तन में पानी पीते हैं तो वो बर्तन अशुद्ध हो जायेगा। केवल इतना ही नहीं स्कूल में उन्हें शिक्षा प्राप्ति में भी भेदभाद का सामना करना पड़ा। अम्बेडकर को संस्कृत में काफी रुचि थी और वे संस्कृत पढ़ना चाहते थें, लेकिन शिक्षा के शुरुआती दिनों में संस्कृत की पढ़ाई से उन्हें वंचित रखा गया। कहते हैं इस पर अध्यापकों का यह मानना था कि अछुत और दलितों को संस्कृत जैसी पवित्र भाषा नहीं पढ़ाई जानी चाहिये। समाज में ब्राह्मणवाद के इसी सोच ने बाबा साहेब को संस्कृत पढ़ने के लिए और अधिक प्रेरित किया। बाबा साहेब को एक बार एक शिक्षक ने प्रश्न किया कि पढ़-लिख कर क्या करोगे? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि "मैं पढ़ लिख कर वकील बनूंगा, अछूतों के लिए नया कानून बनाउंगा और छुआछूत को खत्म करूंगा।"
मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में अम्बेडकर का जन्म हुआ। दलित होने के नाते अम्बेडकर को शिक्षा के क्षेत्र में भी छुआ-छूत और जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। इन सबके बावजूद अम्बेडकर ने शिक्षा की डोर को थामे रखा। बाबा साहब अंबेडकर ने पीएचडी, परास्नातक डिग्रियों सहित अपने जीवन में कई अकादमिक डिग्रियां हासिल की थीं। ये वही अम्बेडकर हैं, जिन्हें स्कूल में संस्कृत के शिक्षक ने संस्कृत पढ़ाने से इनकार कर दिया था।
दलित वर्गों के उत्थान में उनके योगदान के लिए भीमराव रामजी अंबेडकर को लोकप्रिय रूप से बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है, जिसका मराठी में अर्थ है 'आदरणीय पिता'। अम्बेडकर आधुनिक भारत के सबसे शिक्षित व्यक्तित्व में से एक हैं। केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई प्रांतों में 14 अप्रैल को उनकी जयंती मनाई जाती है। वह भारत के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने कितनी डिग्रियां हासिल कीं? आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं डॉ भीमराव अम्बेडकर के पास कितनी डिग्रियां थीं (dr babasaheb ambedkar all degree list) और उनकी शैक्षणिक यात्रा कैसी थी?
भारत रत्न डॉ भीम राव अम्बेडकर, न केवल सामाजिक न्याय के समर्थक थे, बल्कि एक शिक्षित विद्वान भी थे। उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों ने राष्ट्र के लिए उनके महान योगदान की नींव रखी। दृढ़ता और समर्पण से भरे अम्बेडकर की शैक्षिक यात्रा ने उनके व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक प्रगति दोनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ भीमराव अंबेडकर की शैक्षणिक योग्यता
स्थानीय सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा और उन्हें अलग कर दिया गया। इतना ही नहीं शिक्षकों ने भी अम्बेडकर पर बहुत कम ध्यान दिया। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि जाति व्यवस्था और भेदभाव इतना प्रबल था कि उन्हें कक्षा के अंदर बैठने की अनुमति तक नहीं थी। 1897 में, अम्बेडकर का परिवार मुंबई चला गया और उनका दाखिला एलफिंस्टन हाई स्कूल में कराया गया।
अपनी मैट्रिक की शिक्षा के बाद उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय के एल्फिन्स्टन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अम्बेडकर ने अपने समय के विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया। उन्होंने 1913 से 1916 तक तीन वर्षों तक कोलंबिया में अध्ययन किया। अम्बेडकर ने अपने समय के विश्व के प्रमुख विश्वविद्यालयों से शिक्षा हासिल की। उन्होंने 1913 से 1916 तक तीन वर्षों तक कोलंबिया विश्वविद्यालय (1913) में एमए की उपाधि प्राप्त की और 1916 में अपनी पीएचडी पूरी की। लेकिन ब्रिटिश भारत में 'प्रांतीय वित्त के विकास' विषय पर जून 1927 तक उन्हें डिग्री प्रदान नहीं की गई। उन्होंने अपनी एमएससी 1921 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में ब्रिटिश भारत में इंपीरियल फाइनेंस के प्रांतीय विकेंद्रीकरण विषय पर और डीएससी की डिग्री, द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी: इट्स ओरिजिन्स एंड इट्स सॉल्यूशन पर पूरी की।
एक प्रोफेसर के रूप में अम्बेडकर की भूमिका
अम्बेडकर ने थोड़े समय के लिए अर्थशास्त्र पढ़ाया। अर्थशास्त्र के अलावा उन्होंने इतिहास,समाजशास्त्र, शिक्षा, दर्शन, कानून और धर्म पर भी विस्तार से लिखा है। उनका अधिकांश जीवन दलित वर्गों की मुक्ति और भारत में जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए संघर्ष करने में बीता।
2021 में, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में जितेंद्र सूना द्वारा किए गए शोध (http://hdl.handle.net/10603/544237) के अनुसार, उनकी उच्च शिक्षा प्राप्ति के बावजूद, अम्बेडकर अपनी शिक्षा और अपने अकादमिक लेखन के लिए प्रसिद्ध नहीं थे। अम्बेडकर भारत में जाति व्यवस्था के खिलाफ अपने आंदोलन के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसे दुनिया की सबसे दमनकारी संस्थाओं में से एक माना जाता है। अंबेडकर को शिक्षा जगत की तुलना में इस देश के दलितों, आदिवासियों और निचली जातियों के बीच याद किया गया और उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाया गया।
जितेंद्र सूना द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, "अम्बेडकर के साथ "अछूत" जैसा व्यवहार किया जाता था। दलित की लोकप्रियता के कारण शिक्षाविद विभिन्न विषयों में अम्बेडकर को शामिल करने के लिए मजबूर हो गये। उन्होंने अपने पूरे जीवन में भारत में दलित वर्गों और तथाकथित निचली जातियों के उत्थान के लिए काम किया। अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती चरण में, उन्होंने उन अछूतों तक पानी पहुंचाने के लिए मंदिर में प्रवेश आंदोलन महाड़ सत्याग्रह शुरू किया। ये आंदोलन उन लोगों के लिए था, जिन्हें पानी का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया गया था। एक लंबी लड़ाई के बाद उन्हें एहसास हुआ कि हिंदू धर्म और हिंदू बदलने वाले नहीं हैं, उस वक्त उन्होंने अन्य प्रकार के अधिकारों और आंदोलन को आगे बढ़ाने का निश्चय किया। उन्होंने अक्टूबर 1935 में 'दलित वर्गों' द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में घोषणा की कि उनका जन्म एक हिंदू के रूप में हुआ था, लेकिन वह एक हिंदू के रूप में नहीं मरेंगे।
बाबा साहब की पत्रिकाएँ, समाचार पत्र
घोषणा से पहले उन्होंने विभिन्न आधारों पर अछूतों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने कई पत्रिकाएँ, समाचार पत्र प्रकाशित किए, जिनके माध्यम से उन्होंने केवल दलितों के अधिकारों के लिए अपनी आवाज उठाई। उन्होंने अपने पहले दो समाचार पत्र मराठी में अर्थात् 1920 में मूक नायक (द वॉयस ऑफ द वॉयसलेस) और 1927 में बहिष्कृत भारत प्रकाशित किए। बाद में उन्होंने दो अन्य समाचार पत्र, 1929 में जनता (द पीपल) और 1955 में प्रबुद्ध भारत प्रकाशित किए। "साइमन कमीशन" से लेकर "पूना पैक्ट" तक अम्बेडकर ने राजनीतिक क्षेत्र में लड़ाई लड़ी।
कांग्रेस के ब्राह्मणवादी प्रभुत्व और उनके नेतृत्व की संदिग्ध प्रकृति को पहचानते हुए, अम्बेडकर ने नई राजनीतिक पार्टियाँ शुरू कीं। उन्होंने 1936 में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी, 1942 में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन और अंत में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना की। बता दें कि अम्बेडकर ने 13 अक्टूबर, 1956 को रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नाम की घोषणा की। वह दलितों की सुरक्षा और कल्याण के लिए एक अर्ध-सैन्य संगठन के संस्थापक भी थे, जिसे समता सैनिक दल (एसएसडी) के नाम से जाना जाता है। एसएसडी का गठन मार्च 1927 में अम्बेडकर द्वारा किया गया था।
डॉ अम्बेडकर का शैक्षिक योग्यता का संपूर्ण विवरण निम्नलिखित है। हालांकि उनके असाधारण शैक्षिक अनुभव को केवल एक लेख के माध्यम से बताना लगभग असंभव है, लेकिन फिर भी यहां अम्बेडकर की शिक्षा का विवरण सूचीबद्ध किया गया है- (dr br ambedkar qualification list)
- 1902 में प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के सतारा से पूरी की।
- 1907 में एलफिंस्टन हाई स्कूल, बॉम्बे फ़ारसी, मैट्रिकुलेशन की।
- 1909 में एलफिंस्टन कॉलेज से बॉम्बे-फ़ारसी और अंग्रेजी इंटर की शिक्षा पूरी की।
- 1913 में एलफिंस्टन कॉलेज, बॉम्बे, बॉम्बे विश्वविद्यालय, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में बीए की डिग्री हासिल की।
- 1915 में एमए समाजशास्त्र, इतिहास दर्शन, मानव विज्ञान और राजनीति के साथ अर्थशास्त्र में पढ़ाई पूरी की।
- 1917 में कोलंबिया विश्वविद्यालय ने पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की।
- 1921 जून, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, लंदन से थीसिस - 'ब्रिटिश भारत में शाही वित्त का प्रांतीय विकेंद्रीकरण' पर एमएससी की डिग्री हासिल की।
- 1920 में ग्रैज इन, लंदन से बैरिस्टर-एट-लॉ किया।
- 1922-23 में जर्मनी में बॉन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की पढ़ाई पूरी की ।
- नवंबर 1923 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, लंदन 'द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी - इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन' को अर्थशास्त्र में डीएससी डिग्री के लिए स्वीकार कर लिया गया।
- उनकी उपलब्धियों, नेतृत्व और भारत के संविधान के लेखन के लिए उन्हें 1952 में एल.एल.डी. मानद उपाधि से न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया
- उनकी उपलब्धियों, नेतृत्व और भारत के संविधान के लेखन के लिए उन्हें 1953 में एल.एल.डी. मानद उपाधि से न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया
- 1953 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद द्वारा उनकी उपलब्धियों, नेतृत्व और भारत का संविधान लिखने के लिए उन्हें डी.लिट मानद उपाधि से सम्मानित किया गया