आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को छत्तीसगढ़ कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इसे सरकार विधानसभा के विशेष सत्र में पेश करेगी। इस विधेयक में आदिवासी-32, ओबीसी-27, एससी-13 और ईडब्लूएस को चार प्रतिशत आरक्षण प्रस्तावित है। सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने यह जानकारी दी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह बताने में असमर्थता जताई कि संशोधन विधेयक में किस वर्ग को कितने आरक्षण का प्रावधान किया गया है। हालांकि भास्कर की पड़ताल में पता चला कि विधेयक में आरक्षण के लिए आबादी को आधार बनाया गया है, इसलिए आदिवासियों के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। यही नहीं, सभी वर्गों को मिलाकर प्रदेश में आरक्षण कुल मिलाकर 76 प्रतिशत तक जा सकता है।
कैबिनेट की बैठक के बाद सीएम भूपेश ने बताया कि सरकार ने आने वाले 1 और 2 दिसंबर को विधानसभा के विशेष सत्र में पेश होने वाले आरक्षण विधेयक के मसौदे पर मंथन किया। अनुसूचित जनजाति के अलावा अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और ईडब्ल्यूएस के आरक्षण पर भी बात हुई है। उच्च न्यायालय ने जिला कैडर का आरक्षण खारिज कर दिया था। पहले उसे एक आदेश के तहत दिया जाता था, इसलिए जिला कैडर के आरक्षण को भी एक्ट में लाया जाएगा। कैबिनेट ने मुख्यमंत्री का स्वेच्छानुदान सालाना 40 करोड़ रुपए बढ़ाकर 110 करोड़ रुपए कर दिया है। अभी सीएम का स्वेच्छानुदान 70 करोड़ रुपए है।
छत्तीसगढ़ में कुल आरक्षण हो जाएगा 76 प्रतिशत
संशोधन विधेयक में आदिवासियों को 32% आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इसी तरह, अनुसूचित जाति के लिए 13% आरक्षण का प्रावधान है। ओबीसी का आरक्षण बढ़ाकर 27% प्रस्तावित है। सामान्य वर्ग के गरीबों (ईडब्लूएस) को 4% आरक्षण दिया जा सकता है। इस तरह, विधानसभा में पेश किए जाने वाले संशोधन विधेयक में कुल आरक्षण करीब 76 प्रतिशत होने की संभावना है।
हाईकोर्ट से 50% से ज्यादा खारिज
तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 2012 में आदिवासी आरक्षण 20 से बढ़ाकर 32% कर दिया। अनुसूचित जाति का आरक्षण 16% से घटाकर 12% किया। इसे हाई कोर्ट में याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसी साल 19 सितंबर को अपने फैसले में राज्य के आरक्षण अधिनियमों के 2012 के संशोधन को रद्द कर दिया। उससे पहले तक एसटी-32, एससी-12 और ओबीसी-14 यानी कुल आरक्षण 58% था।
विधेयक को लौटा भी सकती हैं राज्यपाल
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव तथा संविधानविद देवेंद्र वर्मा ने बताया कि संशोधन विधेयक को विधानसभा से पारित करवाने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन राज्यपाल से मंजूरी के बिना इसे कानून का स्वरूप नहीं मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल इस विधेयक को पुनर्विचार के लिए सरकार के माध्यम से विधानसभा को वापस लौटा सकती हैं। यही नहीं, वे इसे राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भी भेज सकती हैं।
कैबिनेट में ये फैसले भी
डीएमएफ का पैसा प्रभावित क्षेत्रों में खर्च करने का बंधन खत्म।
मुख्यमंत्री का स्वेच्छानुदान सालाना 70 से बढ़ाकर 110 करोड़।
निजी उत्पादकों का सामान भी छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड से बिकेगा।
सेरीखेड़ी की 9.308 हेक्टेयर भूमि के आबंटन प्रस्ताव को मंजूरी।
तमिलनाडु में लागू है 69% आरक्षण
बताते हैं कि भूपेश सरकार ऐसा संकल्प भी ला सकती है, जिसमें छत्तीसगढ़ के आरक्षण कानून को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने का आग्रह केंद्र से किया जाएगा। तमिलनाडु में 69% आरक्षण है और वह ऐसा कर चुका है। वहां पिछड़ी जाति (बैकवर्ड कास्ट) को 30%, अधिकांश पिछड़ी जाति (मैक्सिमम बैकवर्ड कास्ट) को 20%, अनुसूचित जाति को 18% और अनुसूचित जनजाति को 1% आरक्षण दिया गया है।