तारा रानी श्रीवास्तव एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं, और महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा थीं। वे अपने पति फुलेंदु बाबू के साथ बिहार के सारण जिले में रहती थी। 1942 में, सीवान में पुलिस थाने की ओर मार्च कर रहे उनके पति फुलेंदु बाबू की गोली लगने के कारण मृत्यु हुई, जिसके बावजूद उन्होंने मार्च जारी रखा था।
आइए आज के इस आर्टिकल में हम तारा रानी श्रीवास्तव के जीवन से जुड़ी 10 प्रमुख बातों के बारे में बताते हैं कि उनका जीवन कैसा था, एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने देश के लिए क्या योगदान दिए।
तारा रानी श्रीवास्तव के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें
1. तारा रानी श्रीवास्तव का जन्म बिहार में पटना के पास सारण जिले में एक साधारण परिवार में हुआ था। वे बहुत कम उम्र से ही स्वतंत्रता के लिए चल रहे संघर्ष से प्रेरित थीं।
2. तारा रानी श्रीवास्तव का विवाह 13 साल की उम्र में फुलेंदु बाबू से हुई थी, जो पहले से ही स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा थे।
3. तारा रानी एक ऐसे समुदाय में रहती थी जो महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता था, लेकिन वह गांधीजी के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समान विचारधारा वाली महिलाओं को इकट्ठा करने में कामयाब रही।
4. उन्होंने आसपास के गांवों की महिलाओं को भी प्रेरित किया और उन्हें ब्रिटिश शासन के विरोध में आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।
5. तारा रानी ग्रामीण महिलाओं के लिए एक प्रेरक शक्ति के रूप में उभरी और उनके प्रयास रंग लाए। उन्होंने कई महिलाओं को भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
6. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी के आह्वान के जवाब में, फुलेंदु बाबू सीवान पुलिस स्टेशन के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए पुरुषों और महिलाओं की भारी भीड़ को इकट्ठा करने में कामयाब रहे।
7. नवविवाहित जोड़े, तारा रानी और फुलेंदु ठीक सामने खड़े हुए और ब्रिटिश विरोधी नारे लगाए। पुलिस ने लाठीचार्ज और गोलीबारी करनी शुरु की जिसमें की तारा के पति फुलेंदु का गोली लगने के कारण निधन हो गया।
8. तारा रानि ने 15 अगस्त 1947 तक भारत को अंततः स्वतंत्रता प्राप्त होने तक स्वतंत्रता संग्राम में अथक रूप से भाग लिया।
9. तारा रानी श्रीवास्तव एक बहादुर दिल थीं जिन्होंने अपने प्रियजन को खोने के बावजूद सराहनीय संकल्प दिखाया।
10. तारा रानी एक ऐसी महिला थी जिन्होंने देश की आजादी के लिए महान बलिदान दिए, यहां तक कि अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर दिए।